ज्येष्ठ शुक्ल १, कलियुग वर्ष ५११५
पू. डॉ. पिंगळेजीने अपने मार्गदर्शनमें कहा,
१. कुछ मंदिर दोपहरको बंद कर दिए जात हैं, उस समय दर्शनके लिए दूरसे आए भक्तोंसे कहा जाता है, भगवान सोए हैं । किंतु, उसी समय किसीने पैसा दिया, तो परदा हटाकर देवताके दर्शन करवा दिए जाते हैं ।
२. मंदिरमें धर्मप्रसारका कार्य करनेके लिए बहुत शुल्क लिया जाता है । ऐसे मंदिरोंके प्रबंधकोंको मंदिर धर्मप्रसारके माध्यम हैं, यह ज्ञात होनेपर भी वे मंदिरोंका व्यापार करते हैं ।
३. अधिकतर मंदिरोंमें इतनी अस्वच्छता रहती होती है कि वहां पांव रखनेकी भी इच्छा नहीं होती ।
४. काशीमें एक मंदिर ऐसा है, जो केवल प्रातः और सायं. आरतीके लिए खोला जाता है; शेष दिन बंद रहता है । कारण, दिनमें भगवा वस्त्रधारी ढोंगी साधु-संत मंदिरमें आकर गांजा, चरस पीते हुए मंदिरको अपना अड्डा बना लेते हैं ।
कुंभमेलामें अधर्माचरण !
१. हाल हीमें हुए प्रयागराजके कुंभमेलेमें नागासाधुओंको विदेशी पत्रकार पैसे देकर उन नागसाधुओंके आपत्तिजनक स्थितिके छायाचित्र निकालते हैं । इससे पूरे विश्वमें यह संदेश गया कि हिंदू साधु-संत पैसोंपर बिकनेवाले होते हैं ।
२. कुछ संत अपने पत्रकार सम्मेलनका समाचार प्रकाशित करनेके लिए संवाददाताओंको पैसे बांट रहे थे । ऐसे संत समाजके सामने कौन-सा आदर्श रखेंगे ?
३. जिस प्रकार, राजनीतिक दल पैसे लेकर चुनावका टिकट देते हैं, उसी प्रकार, महंतों एवं महामंडलेश्वरोंके पद बेचे जा रहे थे । अन्योंको पद, प्रसिद्धि, लोकेषणा ऐसे व्यावहारिक मोहमायाका त्याग करनेका उपदेश करनेवाले साधु-संत उन्हीं अवगुणोंमें लिप्त दिखाई दिए ।
ढोंगी साधु, अर्थात भगवा वस्त्र पहने रावण !
पू. डॉ. पिंगळेजीने कहा, आज हिंदू १०० करोडसे अधिक हैं, फिर भी निराश हैं; कारण है, धर्मशिक्षाका अभाव । हिंदुओंकी भगवा रंगके प्रति श्रद्धा होती है, यह बात उस समय रावणको ज्ञात थी । इसलिए, उसने भगवा वस्त्र पहनकर सीतामाताका हरण किया था । आज भी वही स्थिति है । सहस्रों ढोंगी साधु-संत हिंदुओंको लूट रहे हैं । ये आधुनिक रावण हैं ।
प्रत्येक मंदिरमें आरतीके पश्चात, हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए प्रार्थना करें !
पू. डॉ. पिंगळेजीने कहा, हम सब अपने आसपासके मंदिरोंमें जाकर श्रद्धालुओंका प्रबोधन करें । उन्हें समझाएं कि मंदिरकी पवित्रता बनाए रखनेके लिए मंदिर और उसका परिसर स्वच्छ रहना अत्यंत आवश्यक है । उनसे मंदिरोंमें प्रातःकालकी और सायंकालकी आरतीके पश्चात, हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए सामूहिक प्रार्थना करवाएं ।