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‘हिंदू धर्मको धन अर्जित करनेका साधन बनानेवालोंको हिंदू राष्ट्रमें स्थान नहीं होगा !’

ज्येष्ठ शुक्ल १, कलियुग वर्ष ५११५ 

विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : हिंदू धर्मके सर्व मानबिंदु हमारे लिए अमूल्य धरोहर हैं । किंतु, हमारा दुर्भाग्य यह है कि इन मंदिरोंमें धर्मका ज्ञान करानेवाला कोई नहीं । पैसे लेकर मंदिरमें दर्शन करवाना, मंदिरका परिसर धर्मप्रसारके लिए अधिक भाडा लेकर देना, इस प्रकारके कार्य होते हैं । भगवा वस्त्र परिधान कर ढोंगी साधु-संत पैसे मांगते हैं । हिंदू धर्मको धन अर्जित करनेका साधन बनानेवाले ऐसे अधर्मियोंके लिए हिंदू राष्ट्रमें स्थान नहीं होगा, यह मार्गदर्शन हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेजीने मंदिर और साधु-संतोंकी स्थिति इस विषयपर किया ।  

पू. डॉ. पिंगळेजीने अपने मार्गदर्शनमें कहा, 

१. कुछ मंदिर दोपहरको बंद कर दिए जात हैं, उस समय दर्शनके लिए दूरसे आए भक्तोंसे कहा जाता है, भगवान सोए हैं । किंतु, उसी समय किसीने पैसा दिया, तो परदा हटाकर देवताके दर्शन करवा दिए जाते हैं । 

२. मंदिरमें धर्मप्रसारका कार्य करनेके लिए बहुत शुल्क लिया जाता है । ऐसे मंदिरोंके प्रबंधकोंको मंदिर धर्मप्रसारके माध्यम हैं, यह ज्ञात होनेपर भी वे मंदिरोंका व्यापार करते हैं ।

३. अधिकतर मंदिरोंमें इतनी अस्वच्छता रहती होती है कि वहां पांव रखनेकी भी इच्छा नहीं होती ।

४. काशीमें एक मंदिर ऐसा है, जो केवल प्रातः और सायं. आरतीके लिए खोला जाता है; शेष दिन बंद रहता है । कारण, दिनमें भगवा वस्त्रधारी ढोंगी साधु-संत मंदिरमें आकर गांजा, चरस पीते हुए मंदिरको अपना अड्डा बना लेते हैं ।

कुंभमेलामें अधर्माचरण !

१. हाल हीमें हुए प्रयागराजके कुंभमेलेमें नागासाधुओंको विदेशी पत्रकार पैसे देकर उन नागसाधुओंके आपत्तिजनक स्थितिके छायाचित्र निकालते हैं । इससे पूरे विश्‍वमें यह संदेश गया कि हिंदू साधु-संत पैसोंपर बिकनेवाले होते हैं । 

२. कुछ संत अपने पत्रकार सम्मेलनका समाचार प्रकाशित करनेके लिए संवाददाताओंको पैसे बांट रहे थे । ऐसे संत समाजके सामने कौन-सा आदर्श रखेंगे ?

३. जिस प्रकार, राजनीतिक दल पैसे लेकर चुनावका टिकट देते हैं, उसी प्रकार, महंतों एवं महामंडलेश्‍वरोंके पद बेचे जा रहे थे । अन्योंको पद, प्रसिद्धि, लोकेषणा ऐसे व्यावहारिक मोहमायाका त्याग करनेका उपदेश करनेवाले साधु-संत उन्हीं अवगुणोंमें लिप्त दिखाई दिए ।

ढोंगी साधु, अर्थात भगवा वस्त्र पहने रावण !

पू. डॉ. पिंगळेजीने कहा, आज हिंदू १०० करोडसे अधिक हैं, फिर भी निराश हैं; कारण है, धर्मशिक्षाका अभाव । हिंदुओंकी भगवा रंगके प्रति श्रद्धा होती है, यह बात उस समय रावणको ज्ञात थी । इसलिए, उसने भगवा वस्त्र पहनकर सीतामाताका हरण किया था । आज भी वही स्थिति है । सहस्रों ढोंगी साधु-संत हिंदुओंको लूट रहे हैं । ये आधुनिक रावण हैं ।

प्रत्येक मंदिरमें आरतीके पश्‍चात, हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए प्रार्थना करें !

पू. डॉ. पिंगळेजीने कहा, हम  सब अपने आसपासके मंदिरोंमें जाकर श्रद्धालुओंका प्रबोधन करें । उन्हें समझाएं कि मंदिरकी पवित्रता बनाए रखनेके लिए मंदिर और उसका परिसर  स्वच्छ रहना अत्यंत आवश्यक है । उनसे मंदिरोंमें प्रातःकालकी और सायंकालकी आरतीके  पश्‍चात, हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए सामूहिक प्रार्थना करवाएं ।

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