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गंगा नदीपर बांध बनाना, यह गंगा एवं उसके तटपर स्थित तीर्थक्षेत्रोंको नष्ट करनेका षड्यंत्र !

ज्येष्ठ शुक्ल १ , कलियुग वर्ष ५११५

मनोज यादव, गंगा रक्षण आंदोलन

मनोज यादव, गंगा रक्षण आंदोलन

विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : गंगा नदी हिंदुओंके धार्मिक संस्कारोंके कारण प्रदूषित हुई है, यह कहना सरासर झूठ है । सत्य तो यह है कि गंगा नदी नगरोंके गंदे पानी और कारखानोंके रासायनिक जलसे प्रदूषित हुई है । अब तो गंगा नदीपर बांधे जा रहे टिहरी बांधके कारण इस नदीका अस्तित्व ही संकटमें पड गया है, यह बात गंगा रक्षा आंदोलनके श्री. मनोज यादवने बताई ।

     गंगा रक्षा इस विषयपर अपने विचार व्यक्त करते समय श्री. यादवजीने आगे कहा, इंदिराजीद्वारा निरस्त टिहरी बांधको, गोर्बाचेव्हसे आर्थिक सहायता प्राप्त करनेके लिए राजीव गांधी ने मान्यता दी । उस समय कहा गया था कि इससे १ सहस्र मेगावैट बिजली उत्पन्न होगी । परंतु, इस प्रकल्पसे केवल २५० मेगावैट बिजली उत्पन्न हो रही है । उस समय यह भी कहा गया था कि यह बांध १४० वर्ष टिकेगा । किंतु, अब सरकार कह रही है कि यह बांध केवल ४० वर्ष टिकेगा । यह तो देशके साथ शुद्ध विश्‍वासघात है । गंगा नदीपर स्थित टिहरी बांधसमान कुल ५२२ बांध बनानेका काम चल रहा है । यह तो गंगा नदी और उसके सर्व तीर्थक्षेत्र नष्ट करनेका षड्यंत्र है तथा बिजली उत्पन्न करनेकी बात करना, आंखोंमें धूल झोंकनेसमान है । बांधके माध्यमसे शासक, ठेकेदार, प्रतिष्ठान पैसा कमा रहे हैं । भारतीय जनता इस षड्यंत्रसे अनभिज्ञ है । जो इसका विरोध कर रहे हैं, उनका मुंह बंद कर दिया जाता हैं ।

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