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अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन देशकी चारों दिशाओंमें आयोजित करना चाहिए ! – पू. झम्मन शास्त्री

पू. झम्मन शास्त्री, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय पीठ परिषद

विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : अखिल भारतीय पीठ परिषदके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं गोवर्धन पीठके जद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्‍चिलानंद सरस्वतीजीके कृपापात्र शिष्य पू. झम्मन शास्त्रीजीने अधिवेशनके निमित्त प्रतिपादित किया कि, अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशन मंदिरमें संतोंक शुभाशीर्वादकी छत्रछायामें आयोजित किया गया है, इसलिए इस अधिवेशनका हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाका उद्देश्य निश्‍चितरूपसे सफल होगा । हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाविषयक चिंतन करनेके साथ ही गो, गंगा और गीताकी रक्षाके लिए यहां चिंतन होना, अत्यंत उचित है । ऐसे अधिवेशन देशकी चारों दिशाओंमें आयोजित किए जाने चाहिए ।

पू. झम्मन शास्त्री बोले,

१. इस अधिवेशनमें शंकराचार्यजीका अस्तित्व मुझे प्रतीत हो रहा है । इस अधिवेशनके लिए शंकराचार्यजीके आशीर्वाद हैं ।

२. आज पश्‍चिमी संस्कृतिके आक्रमणके कारण हिंदू संस्कृति नष्ट होने लगी है । शिक्षित लोग अपने गांव छोडकर शहरोंमें बस रहे हैं । ग्रामीण जनताको मार्गदर्शन करनेवाला कोई नहीं रह गया और मिशनरियोंने इसका लाभ उठाया । मिशनरी एक ओर पैसे देकर ग्रामीण भागके निर्धन हिंदुओंका धर्म-परिवर्तन कर रहे हैं और नगरोंमें उपभोगितावाद निर्माण कर रहे हैं । संपन्न परिवारोंके हिंदू इसकी बलि चढ रहे हैं और पैसे देकर अपना धर्म-परिवर्तन कर रहे हैं ।

३. आज अयोध्यामें श्रीरामजीको कपडोंमें लपेटकर रखा है । यह बात हिंदुओंको कचोटती नहीं । दुर्भाग्यकी बात है कि अपने लिए घर बनानेके लिए भागदौड करनेवाले हिंदुओंको ऐसा नहीं लगता कि वे श्रीराम मंदिरके निर्माणके लिए भी कुछ प्रयत्न करें ।

४. वर्ष १९६६ में प.पू. करपात्री महाराजजीने १० लाख गोभक्तोंसहित नई देहलीमें आंदोलन किया था । तब उनपर इंदिरा गांधीके आदेशपर गोलीबारी की गई थी । उसमें ७०० गोभक्त मारे गए थे । सत्ताधारी इस प्रकार आंदोलन करनेवाले हिंदुओंका दमन करती है । इसलिए आज हिंदुत्वनिष्ठोंको व्यूहरचना बनाकर आंदोलन करनेकी आवश्यकता है ।

सनातन आश्रममें सेवारत युवक आदर्श !

पू. झम्मन शास्त्रीने सनातनके आश्रमका अवलोकन कर कहा, सनातन संस्थाके आश्रममें ढाई सौ से तीन सौ युवक समर्पित होकर राष्ट्र और धर्मका कार्य कर रहे हैं । उनका कल्याण होगा । ये युवक समाजके लिए आदर्श हैं । इसके विपरीत राजनीतिज्ञ सत्ताकी लालसामें ८० वर्षकी आयुमें भी चुनाव लडते हैं ।

 

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