ज्येष्ठ शुक्ल २, कलियुग वर्ष ५११५
विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : आतंकवादका धर्म नहीं होता, ऐसा सरकार ही कहती है तो ऐसेमें हिंदुओंका भगवा आतंकवाद कैसे अस्तित्वमें होगा ? सरकार यदि हिंदुओंके तथाकथित आतंकवादको भगवा आतंकवाद कहती है, तो हरा आतंकवाद क्यों नहीं कहती ? कोई भी समाज उसकी अपनी संस्कृति एवं इतिहाससे पहचाना जाता है । हिंदुओंका इतिहास क्या है ? रावणने सीताका हरण किया, तब प्रभु श्रीरामने रावणका वध किया था । श्रीराम उपवासके लिए नहीं बैठे । महाभारतके समय भी भगवान श्रीकृष्णने दुराचारी कौरवोंका नाश किया था । छत्रपति शिवाजी महाराजने भी पांचों मुसलमान बादशाहोंका नाश किया था । छत्रपति महाराजजी ने ऐसा नहीं कहा कि जाने दो, अल्पसंख्यक हैं । हिंदुओंका इतिहास आतंकवादका अंत करना ही है । इसलिए भगवा आतंकवाद नहीं, अपितु भगवा क्रांतिवाद है !
उन्होंने आगे कहा, धर्मके आधारपर विभाजन हुआ है, तो जिन्हें इस देशमें सुख नहीं मिल रहा, वे पाकिस्तानमें चलते बनें । यहां भिखारियोंसमान आरक्षण क्यों मांग रहे हैं । भारतमें मुसलमान राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री हो सकते हैं, तो हम सांप्रदायिक कैसे हुए ? हम सदैव हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई ऐसी घोषणा देते हैं । वे कभी मुस्लिम-हिंदू भाई-भाई ऐसे नारे लगाते हैं क्या ? हिंदू ईंटका जबाव पत्थरसे देना जानते हैं । चरखा चलाकर कभी स्वतंत्रता मिलेगी क्या ? हिंदुओंको उनकी अस्मिता जागृत करनेका कभी अवसर ही नहीं दिया गया । उन्हें नपुंसक बनाया गया । हिंदुओ, ध्यान दें, शस्त्र रखना पाप नहीं है और समय आनेपर उनका उपयोग करना भी पाप नहीं है ।