ज्येष्ठ शुक्ल २, कलियुग वर्ष ५११५
विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : अनेक वीर राजाओंके इतिहाससे परिपूर्ण, कश्यप ऋषीके संकल्पसे निर्मित कश्मीरकी भूमि क्या केवल कश्मीरियोंकी है ? क्या अन्य भारतियोंका उसके प्रति कोई कर्तव्य नहीं है ? प्रत्येक भारतीयको आज यह निश्चित करनेका समय आ गया है कि उसका कश्मीरसे क्या नाता है ?
कश्मीरमें बार-बार आनेवाले पाकिस्तानी आतंकवादियोंका प्रवाह रोकनेके लिए पनून कश्मीरकी ओरसे शासनपर अत्यधिक मात्रामें दबाव बनाया गया । इसलिए १५ फरवरी २०१३ को कश्मीरके मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाको उस विषयमें सभागृहमें सत्य परिस्थिति बतानी पडी । ओमर अब्दुल्लाद्वारा दी गई जानकारीके अनुसार वर्तमानमें भारतमें अवैध रूपसे पाकिस्तानसे आए हुए २४७ आतंकवादी उनकी २-३ पत्नियों तथा ७-८ बच्चों सहित निवास कर रहे हैं । इसके पश्चात भी ३ सहस्र ९७४ आतंकवादियोंको नेपालके मार्गसे भारतमें लाया गया । १ सहस्र ८९ पाकसमर्थित आतंकवादियोंको भारतमें घुसानेका षड्यंत्र रचा गया है । भारतमें प्रवेश करनेवाले आतंकवादी सीधे न आते हुए नेपालके मार्गसे घुसते हैं । यदि उन्हें भारतमें आकर कुछ कामधंधा ही करना है तो, वे दूतावासके माध्यमसे सीधे क्यों नहीं आते ।
एक समय कश्मीर समृद्ध राज्य था । कश्मीरकी वर्तमान स्थिति परिवर्तित करनेके लिए प्रत्येक भारतीयको यह निश्चित करना चाहिए कि उसका कश्मीरके प्रति क्या कर्तव्य है ।