ज्येष्ठ शुक्ल २, कलियुग वर्ष ५११५
श्री. चेतन जनार्दन, हिंदू जनजागृति समिति, आंध्रप्रदेश |
विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : एक राज्यके दिशाहीन गोवंश रक्षा आंदोलनके संदर्भमें हिंदुत्वनिष्ठोंमें जागृति करते समय हुए अनुभवके संबंधमें हिंदू जनजागृति समितिके श्री. चेतन जनार्दनने कहा, उस राज्यमें आंदोलनके समय समाजको यह बतानेका प्रयास किया जा रहा था कि गाय सर्व धर्मियोंके लिए किस प्रकार उपयोगी है । इसके लिए वे मुसलमान और ईसाई समाजके लोगोंको आंदोलनके व्यासपीठपर लानेका प्रयत्न कर रहे थे । गोरक्षाका आंदोलन, धर्मरक्षाका आंदोलन है । अतः, गोरक्षाका महत्त्व हिंदू ही समझ सकते हैं; यह ज्ञात होनेपर भी, वे इसे धर्मनिरपेक्ष ढंगसे चला कर यह दिखानेका प्रयत्न कर रहे थे कि यह आंदोलन हिंदुत्ववादी नहीं है । राज्यमें सहस्रों गोवंशकी हत्याकी उपेक्षा कर केवल भटकनेवाले गोवंशकी समस्यापर बल दे रहे थे । जब एक राज्यस्तरीय आंदोलनमें सर्व गोरक्षक संगठनोंको बुलाया गया; उस समय व्यासपीठपर केवल अपने संगठनके लोगोंको स्थान दिया गया । इसलिए, अन्य गोप्रेमी दुःखी हुए । उस राज्यके भाजपा शासनने आजतक गोहत्याके विरुद्ध अथवा गोपालनके लिए पोषक कोई नीति नहीं बनाई थी । किंतु, शासनके इस उपेक्षापूर्ण कृत्यके विषयमें इन आंदोलनकारियोंने एक शब्द भी नहीं कहा । इस आंदोलनमें, गोहत्या रोकनके लिए कार्यकर्ताओंकी कोई आग्रही भूमिका नहीं थी । अनेक लोग हिंदुत्वकी भूमिका धर्मनिरपेक्ष पद्धतिसे ही प्रस्तुत करनेका प्रयत्न करते दिखाई दिए । आगे जब अन्य राज्योंमें गोवंश रक्षाका आंदोलन चलाया जाए, उस समय सब हिंदुत्वनिष्ठोंको इन त्रुटियोंपर ध्यान देकर, इनकी पुनरावृत्ति टालनेका प्रयत्न करना चाहिए ।