ज्येष्ठ शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके विषयमें सुभाष झा ने कहा,
१. हिंदुस्थान हिंदुओंका क्यों नहीं है ? आज जिसे साम्यवाद, धर्मनिरपेक्षतावाद कहा जाता है, उसकी कहीं कोई व्याख्या नहीं ।
२. अल्पसंख्यक क्या है, इसकी भी कोई व्याप्ति नहीं है । विभाजनके समय मुसलमान ३ करोड थे, इसलिए अल्पसंख्यक थे । अब वे ३० करोड हो गए हैं, तब भी अल्पसंख्यक ही हैं क्या ? अब तो अनुसूचित जातीयोंका आरक्षण भी मुसलमानोंको मिलेगा ।
३. एकबार हिंदू राष्ट्र स्थापित हो जाए, भारतकी सर्वाधिक समस्याएं दूर हो जाएंगी । दंगे रोकनेके लिए होनेवाला खर्च, उससे होनेवाली राष्ट्रीय संपत्तिकी हानि सब रुक जाएगा ।
५. भारतको इस स्थितिसे बाहर निकालनेके लिए हिंदू राष्ट्र शीघ्रातिशीघ्र स्थापित होना आवश्यक है ।