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शास्त्रको छोडकर हिंदू और धर्म ये दो शब्द रह ही नहीं सकते ! – डॉ. कौशिकचंद्र मलिक

डॉ. कौशिकचंद्र मलिक

ज्येष्ठ शुक्ल ४, कलियुग वर्ष ५११५ 

विद्याधिराज सभागृह, श्री रामनाथ देवस्थान, गोवा : हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु हिंदू धर्मशास्त्रके प्रसारकी आवश्यकता तथा उसके लिए प्रयत्न इस विषयपर बोलते हुए डॉ. कौशिकचंद्र मलिकने कहा, शास्त्रको छोडकर हिंदू और धर्म ये दो शब्द रह ही नहीं सकते । हिंदू धर्म शास्त्रपर आधारित है । वेद अपौरूषेय हैं । जिन वेदमंत्रोंके घोषमें प्रभु श्रीरामचंद्र और सीतामाताका विवाह हुआ, उन्हीं वेद-मंत्रोंके घोषमें मेरा और मेरी धर्मपत्नीका विवाह हुआ, यह हिंदू धर्मकी महानता है ।

आगे डॉ. कौशिकचंद्र मलिकने कहा,

हजरत मोहम्मदका बाल गुम जाए, तो बंगालमें दंगे होते हैं । बांग्लादेशके लिए जो युद्ध हुआ, उसकी भी तीव्र प्रतिक्रिया सर्वत्र उभरी; परंतु हमें डरनेका कोई कारण नहीं । हिरण्यकश्यपुने भक्त प्रल्हादको प्रताडित करनेका बहुत प्रयत्न किया । तब भी वे नहीं घबराए । द्रौपदीने भी संकटकालमें धैर्य नहीं छोडा । वैसा ही हमें भी करना चाहिए ।

हिंदुओंका एक दोष है । हिंदू कभी खंडन नहीं करते । मुसलमानोंने हमारे विरोधमें जो दुष्प्रचार किया, उसका हमने कभी विरोध नहीं किया । उसका विराेध करना हिन्दुआेंका धर्मकर्तव्य है ।

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