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भारत हिंदू राष्ट्र बने, इस हेतु राष्ट्रव्यापी हिंदूसंगठनका निर्धार !

ज्येष्ठ शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५ 
बाएं हाथसे श्री. रमेश शिंदे, श्री. अनिल धीर, पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे,
श्री. तपनकुमार घोष, श्री. नवलकिशोर शर्मा एवं श्री. अश्‍वनीकुमार च्रोंगू

रामनाथी (गोवा) : भारत स्वयंभू हिंदू राष्ट्र है तथा हिंदू दर्शन,हिंदू धर्मशास्त्र,हिंदू संस्कृति एवं हिंदू समाजकी रक्षा हेतु भारतको हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए, ऐसा प्रस्ताव द्वितीय अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें आज जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम् । के नारोंके बीच एकमतसे पारित किया गया । इस अधिवेशनमें सहभागी हुए २१ राज्योंके हिंदुत्ववादी संगठनोंके २५० से भी अधिक पदाधिकारियोंने भारतको हिंदू राष्ट्र बनाने हेतु राष्ट्रव्यापी हिंदूसंगठनका समान कृति योजना निश्‍चित की । इस अधिवेशनमें नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया श्रीलंका पाकिस्तानके हिंदुओंके प्रतिनिधि भी उपस्थित थे । पिछले ५ दिनोंसे श्री रामनाथ देवस्थान,फोंडा,गोवामें चल रहे इस अधिवेशनका आज समापन हुआ ।

अधिवेशनमें सहभागी संगठनोंने आगामी वर्षमें समान ध्येयके लिए पूरे वर्ष देशभरके २० राज्योंमें प्रांतीय हिंदू अधिवेशन आयोजित करनेका निश्‍चय किया है । इसके अनुरूप महाराष्ट्र एवं कर्नाटकमें कुछ स्थानोंपर जिलास्तरीय हिंदू अधिवेशन निश्‍चित किया गया ।

समान सूत्री परियोजनाके अंतर्गत गोरक्षा, हिंदुओंको स्वरक्षा प्रशिक्षण, हिंदुओंको न्यायालयीन लडाईमें सहायता, दंगापीडित हिंदुओंकी सहायता, विदेशके शरणार्थी हिंदुओंकी सहायता आदि विषयोंपर सर्व हिंदू संगठनोंने संगठित होकर कार्य करनेका निश्‍चय किया है । इस अधिवेशनमें नेपालके हिंदू संगठनोंके प्रतिनिधियोंने नेपालको पुनः हिंदू राष्ट्र घोषित करनेका प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे सर्वसम्मतिसे पारित किया गया ।

इस अधिवेशनमें १२ धर्माचार्य,७० हिंदुत्ववादी संगठनोंके १५० से भी अधिक पदाधिकारी,५० से भी अधिक समाजसेवक,१५ से भी अधिक अधिवक्ता,१५ से भी अधिक ज्येष्ठ पत्रकार,८ प्रवचनकार,६ विचारकोंके साथ ही विविध क्षेत्रोंके गणमान्य नागरिक उपस्थित थे । इस अधिवेशनमें गोरक्षा, संस्कृतिरक्षा, गंगारक्षा, देवताओंका अनादर, हिंदू मानवाधिकार,हिंदुओंपर हो रहे अत्याचार आदिके विषयमें क्रियाशील चर्चा की गई । इस अधिवेशनमें हिंदू विधिज्ञ परिषदके माध्यमसे धर्माभिमानी अधिवक्ताओंका चर्चासत्र आयोजित किया गया था ।

हिंदू मतपेटी बनानेका सर्व हिंदुत्ववादी संगठनोंका निश्‍चय !

इस बैठकमें आगामी लोकसभा चुनावकी पृष्ठभूमिपर हिंदू मतदाताओंकी आचारसंहिता निश्‍चित की गई । इस आचारसंहितामें किसी भी राजनीतिक दलके घोषणापत्रपर निर्भर न रहकर चुनावकी पृष्ठभूमिपर हिंदूहित और राष्ट्रहितकी दृष्टिसे हिंदुओंका अपना घोषणापत्र बनाकर उसे सर्व राजनीतिक दलोंको भेजनेका निश्‍चय किया गया है । जो दल इसे मानकर अपने घोषणापत्रमें इसका समावेश करेगा और चुनावके उपरांत उसके अनुसार प्रत्यक्ष आचरण करनेका वचन देगा,अन्यथा सत्ता छोडनेको तैयार होगा,उसीको हिंदू मत दें,यह निश्‍चित किया गया । हिंदुओंकी मतपेटी बनाकर प्रत्येक हिंदूको मतदान करने हेतु उद्युक्त करनेका इस समय निश्‍चय किया गया ।

मध्यप्रदेशकी भोजशाला,श्री सरस्वती मंदिर,मुक्त करनेकी मांग

धार, मध्यप्रदेश,की श्री सरस्वतीदेवीके मंदिरसे युक्त भोजशाला मुसलमानोंके नियंत्रणसे मुक्त की जाए,साथ ही भोजशालाकी श्री सरस्वतीदेवीकी इंग्लैंडमें स्थित मूर्ति भारत लाकर उसकी पुर्नप्रतिष्ठापना करने हेतु मध्यप्रदेश शासन तथा केंद्र शासन नेतृत्व करें,ऐसी आग्रही मांग अधिवेशनके हिंदुत्ववादियोंने की है । पिछले वर्ष अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें उपस्थित हिंदुत्वनिष्ठोंके संगठित प्रयासोंके कारण इस बसंत पंचमीको भोजशाला मुक्ति आंदोलनको राष्ट्रव्यापी स्वरूप प्राप्त हुआ था ।

हिंदू अधिवेशनका राष्ट्रीय स्तरसे अंतरराष्ट्रीय स्तरकी ओर होता मार्गक्रमण !

पहले अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें केवल भारतके हिंदुत्ववादी संगठन सहभागी हुए थे । द्वितीय अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें बांग्लादेश,नेपाल,मलेशिया,श्रीलंका एवं पाकिस्तानी हिंदुओंके नेता उपस्थित थे । इस अधिवेशनका स्वरूप देखकर इन विदेश स्थित हिंदुत्ववादियोंने अगले वर्ष अन्य हिंदुत्ववादी संगठनोंके नेताओंको भी अधिवेशनमें लानेका निश्‍चय किया है । साथ ही मौरिशसके ५-६ हिंदुत्ववादी संगठनोंके पदाधिकारियोंने तृतीय अधिवेशनमें सहभागी होनेकी सिद्धता दर्शाई है ।

अधिवेशनमें सर्वसम्मतिसे पारित हुए विशेष प्रस्ताव

१. केंद्रीय गोहत्या प्रतिबंधक कानून बनाया जाए तथा गोशालाओं को अनुदान देने हेतु वार्षिक अर्थसंकल्पमें नियम बनाया जाए ।

२. भारतकी सीमाओं की रक्षा हो,इसके लिए नेपालमें हिंदू राष्ट्र पुनर्स्थापित होने हेतु भारत शासनद्वारा प्रयास किए जाएं ।

३. कश्मीरसे पलायन करनेवाले हिंदुओंका सम्मानपूर्वक पुनर्वास किया जाए ।

४. बांग्लादेके हिंदू संगठनोंके शिखर संगठन बांग्लादेश हिंदू जमाते महाज्योतकी ओरसे बांग्लादेशी हिंदुओंकी रक्षा हेतु प्रस्ताव पारित किया गया ।

५. पाकिस्तान एवं बांग्लादेशसे भारतमें शरणार्थीके रूपमें आए हिंदुओं को धर्मबंधुत्वकी भूमिकाके रूपमें तत्काल भारतीय नागरिकता दी जाए ।

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