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कुंभमेलेकी धरतीपर ‘वारी’ को सुविधा क्यों नहीं है ? – ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्री

ज्येष्ठ शुक्ल ४, कलियुग वर्ष ५११५ 


दाए ओर से श्री. विजय तेंडुलकर, ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्री
ह.भ.प. प्रकाश महाराज बोधले, श्री. गजानन जोशी और श्री. कृष्णा लिहिणे

मुंबई : तीर्थक्षेत्रोंका विकास करना शासनका कर्त्तव्य है; किंतु यह विकास तीर्थक्षेत्रके अनुसार हो । शासन अन्य बडे नगरोंकी धरतीपर पंढरपुर तथा देहू क्षेत्रोंका विकास कर रहा है । . शहरमें भोगवृत्ति होनेके कारण वहां पावित्र्य नहीं होता । तीर्थक्षेत्रमें त्यागवृत्ति देखी जाती है; तथा भोगवादकी अपेक्षा साधना करनेवाला समाज अधिक होता है । पंढरपुरमें केवल अट्टालिकाएं (इमारतें) बढ गई हैं, मंदिरका कलश तक नहीं दिखता । पवित्र नदियोंका जल प्रदूषित हो रहा है । १२ वर्ष पश्चात होनेवाले कुंभमेले हेतु कोट्यवधि रुपए व्ययकर रास्ते, पानी आदि सुविधाएं दी जाती हैं, अलग मंत्री उपलब्ध कराए जाते हैं; किंतु प्रतिवर्ष होनेवाले वारकरियोंको कुंभमेले हेतु सुविधा क्यों नहीं उपलब्ध कराई जाती,  वारकरी प्रबोधन महासमितिके अध्यक्ष ह.भ.प. रामेश्वर शास्त्री महाराजने १० जूनको पत्रकार परिषदमें ऐसा संताप व्यक्त किया ।

पंढरपुर देहू इन क्षेत्रोंका विशेष विकास ‘पंढरपुर-देहू-आळंदी मंडल ’ कर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, इस मांग हेतु तीर्थक्षेत्र विकास तथा पर्यटन क्षेत्रीय लोकहित रक्षक परिषदकी ओरसे मुंबई मराठी पत्रकार संघमें इस पत्रकार परिषदका आयोजन किया गया था । इस अवसरपर परिषदके (महाराष्ट्र) पुनर्वसन विभागके कार्याध्यक्ष श्री. कृष्णा लिहिणे तथा अर्थकारण विभागके कार्याध्यक्ष श्री. विजय तेंडुलकर भी उपस्थित थे ।

वारकरी यदि रास्तेपर उतर आएं, तो शासन भी पलट सकते हैं ! – ह.भ.प. प्रकाश महाराज बोधले

अखिल भारतीय वारकरी मंडलके राष्ट्रीय अध्यक्ष ह.भ.प. प्रकाश महाराज बोधलेजीने कहा, पिछली आषाढ एकादशीको वारकरियोंकी समस्याओं हेतु बैठक आयोजित करनेका आश्वासन स्वयं मुख्यमंत्रीने दिया था; किंतु उसके पश्चात आजतक एक भी बैठक नहीं हुई । वारकरियोंकी मूलभूत सुविधाओंकी ओर अनदेखा कर प्रशासन उनकी भावनाओंको ठेस पहुंचा रहा है । वारकरी यदि रास्तेपर उतर आएं, तो प्रशासन भी पलट सकते हैं; अत: वारकरियोंकी शक्ति तथा पत्रकारोंकी लेखनी एकसाथ आनेपर क्रांति होगी तथा इस क्रांति द्वारा जनताको शांति प्राप्त होगी । तीर्थक्षेत्रोंका विकास करनेवाली समितिपर वारकरियोंको रखना अपेक्षित होकर भी एक भी प्रतिनिधिको नहीं लिया गया ।

विकासके नामपर तीर्थक्षेत्रोंकी भूमि हडपनेका प्रशासनका दांव ! – गजानन जोशी

परिषदके भारत अध्यक्ष श्री. गजानन जोशीने कहा, शहर विकासके नामपर पंढरपुर, देहू आदि परिसरकी ४ सहस्र एकड भूमि हडपनेका प्रशासनका दांव है । उसमेंसे पंढरपुरमें १ सहस्र ५०० एकड भूमि है । तीर्थक्षेत्रोंके स्थानपर उद्यान, इमारतों हेतु भूमि आरक्षित करनेसे, प्रशासन भक्त निवास, गोशाला, सभा, मैदान आदि हेतु भूमि आरक्षित करे । इससे बाधित परिवारोंको केंद्रशासनके पुनर्वसन तथा पुनर्स्थापन अधिनियमके लाभ प्राप्त होनेमें सहायता करें,  वारकरियोंकी यही मांग है । किंतु इस हेतु प्रशासन टालमटोल कर रहा है । भाजपाके विधायक श्री. सुधीर मुनगंटीवार द्वारा डेढ माह पूर्व वारकरियोंकी सुविधा हेतु बैठक आयोजित करनेका पत्र मुख्यमंत्रीको दिया । उसपर मुख्यमंत्रीने लिखित रूपमें विशेष बैठक आयोजित करनेका आदेश दिया, किंतु  मुख्यमंत्रीको उसके लिए अभीतक समय नहीं मिला ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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