ज्येष्ठ शुक्ल ४ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए किए जानेवाले प्रयत्नोंके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चरणके रूपमें इस अधिवेशनका इतिहासमें उल्लेख होगा !
‘मुझे यह कहते हुए आनंद हो रहा है कि इस अधिवेशनका उद्देश्य १०० प्रतिशत सफल हुआ है । सबके मन परस्पर जुडे हैं और अनेक लोगोंके मनमें साधनाका बीज बोया गया है । आगामी वर्षमें इन दोनोंमें अत्यंत वृद्धि होगी और अगले अधिवेशनमें सम्मिलित होनेवाली विविध संस्थाओंके नाम भिन्न होंगे । तथापि उनका आचरण एवं कार्य ऐसा होगा कि वे एक ही संस्थाके कार्यकर्ता और साधकसमान लगेंगे । हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए करणीय प्रयत्नोंका यह एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चरण होगा ।
।। जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रम् ।।
– डॉ. आठवले (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष १, कलियुग वर्ष ५११५ (९.६.२०१३))