ज्येष्ठ शुक्ल ५ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, अशास्त्रीय मूर्तिविसर्जनका विरोध करें !
कोल्हापुर – प्रदूषणके लिए पर्यायके रूपमें पर्यावरणपूरक (इको फ्रेन्डली ) गणेश मूर्तिके लिए विधायकोंके साथ कुछ व्यक्तियोंद्वारा कुंभार व्यवसायमें आनेवाली अडचनें जान लेने तथा उसपर हल निकालने हेतु मेला आयोजित किया गया था । महाराष्ट्र कुंभार समाज महासंघके सभागृहमें आयोजित इस मेलेमें गणेशमूर्ती विसर्जनके लिए कुत्रिम कुंड निर्माण करनेकी मांग की गई है । (इससे धर्मशास्त्रके विषयमें हिंदुओंकी अज्ञानता ही स्पष्ट होती है । शाडू मिट्टीकी मूर्ति पर्यावरणपूरक है एवं धर्मशास्त्रके अनुसार बहते पानीमें उसका विसर्जन करना ही आवश्यक है । ऐसी स्थितिमें केवल सस्ती लोकप्रियताके लिए इस प्रकारकी मांग करना अनुचित है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस अवसरपर भाजपाके विधायक सर्वश्री चंद्रकांतदादा पाटिल, भाजपाके जनपदाध्यक्ष महेश जाधव, प्रदूषण नियंत्रण मंडलके अधिकारी प्रशांत भोसले, कुंभार समाजके सचिव डी.डी. कुंभार, कार्यवाहक बबन वडणगेकर, अनिल निगवेकर, संभाजी माजगावकर, शिवाजी वडणगेकर, काका निगवेकर, प्रकाश तारळेकर, आर.जी. कुंभार आदि उपस्थित थे ।
विधायक चंद्रकांत पाटिलने कहा कि पर्यावरणका समतोल रखनेके लिए कुंभार बंधुओंको पर्यायके रूपमें `प्लास्टर ऑफ पॅरिस’ के स्थानपर कागजकी लुगदीसे मूर्ति बनानेका प्रशिक्षण लेना चाहिए । (यदि पर्यावरणका इतना ही ध्यान है, तो `प्लास्टर ऑफ पैरिस’ के स्थानपर शाडूमिट्टीrसे बनी मूर्तियोंका उपयोग करनेपर दबाव देना चाहिए । कागजकी लुगदीसे बनी मूर्तियोंके विसर्जनके उपरांत वह कागज जलाशयकी मछलियोंके कल्लोंमें (गलफड)फंसनेसे मछलियोंकी अपमृत्यु होनेकी घटनाएं हुई हैं । इसके उपरांत भी विधायकोंद्वारा की गई इस मांगसे स्पष्ट होता है कि इस विषयमें उनका अभ्यास अल्प है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
पर्यावरणवादी उदय गायकवाडने कहा कि पंचगंगा नदीका प्रदूषण `प्लास्टर ऑफ पैरिस’ से नहीं, अपितु कृत्रिम रंगोंसे हो रहा है । प्लास्टरसे कीचड जमा होकर प्रदूषण होता है । इसके लिए विसर्जनकी अलगसे सुविधा करनी चाहिए, जिसके लिए स्थानीय स्वराज्य संस्थाद्वारा कुंडका निर्माण कार्य आवश्यक है । (गणेश मूर्तिका विसर्जन नदीके बहते पानीमें करनेके कारण मूर्तिकी सात्त्विकता सर्वदूर पैâलती है, जिसका सभीको लाभ होता है । अतः कृत्रिम कुंड सिद्ध कर गणेश मूर्तिका उसमें विसर्जन करना अशास्त्रीय है । उसीप्रकार गणेशमूर्तियोंके रंगसे होनेवाला प्रदूषण पूरे वर्षमें कारखानेसे नदीमें छोडेजानेवाले जहरीले पदार्थोंकी तुलनामें ०.२ प्रतिशत ही है । ऐसे समयपर उदय गायकवाड समान व्यक्तियोंद्वारा प्रदूषण पैâलानेवाले कारखानोंके विरोधमें कितनी बार आंदोलन किए गए, एक बार घोषित करें ! केवल हिंदुओंके त्योहारके समय पर्यावरणप्रेमका ध्यान (पुलका) रखनेवाले ऐसे पर्यावरणवादियोंको हिंदू ही अब कंकडके समान अलग करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) श्री. महेश जाधवने कहा कि कुंभार समाजको शाडू अथवा कागजकी लुगदीसे मूर्तिको आकार देनेका विरोध न कर सरकारसे शाडू एवं नैसर्गिक रंगोंकी मांग करें । तथा मूर्तिकी ऊंचाईके विषयमें निश्चित होकर मंडलका प्रबोधन करें । (शाडू मिट्टीका आग्रह करनेवाले भाजपाके जनपदाध्यक्ष श्री. महेश जाधवका अभिनंदन ! श्री. जाधवद्वारा धर्मशास्त्रका महत्त्व एवं शाडूमिट्टीका पर्याय भाजपके विधायकोंको भी बता देना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात