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जागतिक स्तरपर हिंदुओं हेतु कार्य करनेवाली जागतिक हिंदू परिषदकी स्थापनाकी घोषणा !

ज्येष्ठ शुक्ल ८ , कलियुग वर्ष ५११५

परिषदेमें उपस्थित संत, धर्माचार्य एवं मान्यवर. पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे (वर्तुलमें)

परिषदेमें उपस्थित संत, धर्माचार्य एवं मान्यवर. पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे (वर्तुलमें)

जकार्ता (इंडोनेशिया) – जागतिक हिंदू परिषदका आयोजन करनेवाले व्यवस्थापकीय मंडलके अध्यक्ष डॉ. प्रा. मेदभक्तजीद्वारा जागतिक स्तरपर हिंदुओं हेतु कार्य करनेवाली जागतिक हिंदू परिषदकी स्थापना घोषित की गई । ख्रिस्ताब्द २०१२ में इंडोनेशियामें पहली जागतिक हिंदू परिषद आयोजित की गई थी । जागतिक स्तरपर हिंदुओं हेतु कार्य करनेवाला कोई संगठन हो, ऐसी मांग परिषदमें सहभागी हिंदू नेताओंने उस वक्त की थी । उस पाश्र्वभूमिपर इस परिषदकी स्थापना की गई । इंडोनेशिया, तथा जागतिक स्तरपर हिंदुओंकी प्रतिष्ठा सुधारने हेतु परिषदके माध्यमसे प्रयास किए जाएंगे, ऐसा डॉ. मेदभक्तजीने कहा । इस अवसरपर जागतिक हिंदू केंद्रकी स्थापना करनेकी भी घोषणा की गई । जागतिक हिंदू परिषदके दूसरे दिन दूरदूरसे आए हिंदू नेताओंने विविध विषयोंपर अपने विचार प्रस्तुत किए । जागतिक स्तरपर हर वक्ताद्वारा हिंदुओंको कष्टदेनेवाली समस्याएं एवं उनपर उपाय हर प्रस्तुत किए गए । हिंदुओं हेतु स्वतंत्र आर्थिक व्यवस्था नहीं है । हिंदुओं हेतु स्वतंत्र आर्थिक मूलभूत सुविधाओंकी अर्थात हिंदू अधिकोषकी स्थापना करना आवश्यक है, श्री. संजीव स्वहनेजीने परिषदमें ऐसा वक्तव्य दिया ।

हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अर्थात विश्वबंधुत्वकी स्थापनाकी प्रक्रिया ! – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे

पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे

पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे

बाली – धर्मराज्यकी स्थापनामें क्रांति नहीं होती, उत्क्रांति होती है । क्रांतिमें विध्वंस होता है, उत्क्रांतिमें विध्वंस नहीं उद्धार होता है । जनताको धर्मशिक्षा देकर, उसके दोषोंका निर्मूलन कर तथा उसमें सद्गुण बढाकर उसे सात्त्विक बनाया जाता है । प्रभुकृपा प्राप्त राष्ट्रसंत तथा साधक अपने आदर्श, सद्गुण, संस्कृति एवं अनुभव द्वारा धर्मराज्यकी स्थापना करते हैं, भारतके हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मागदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगलेजीने इंडोनेशियामें आयोजित जागतिक हिंदू परिषदके अवसरपर ऐसा प्रतिपादन किया । पू. डॉ. पिंगलेजीने हिंदू धर्मकी महत्ता, हिंदू संस्कृतिकी रक्षा हेतु आवश्यक प्रयास, तथा हिंदुओंका धर्माचरण करना आवश्यक क्यों है,  उपस्थित व्यक्तियोंको इस विषयकी जानकारी दी ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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