ज्येष्ठ शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, इस प्रकार मूर्तिभंजकोंद्वारा ही श्रीगणेशमूर्तिकी प्रतिषथापना करनेकी घोषणा कर अनुचित आदर्श सिद्ध करनेवालोंका निषेध हिंदू कर रहे हैं । इस प्रकारके लोगोंसे आगामी पीढीको बचाने हेतु हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करें !
इस प्रकार वैचारिक धर्मांध बना हुआ राजघराना जहां होगा, वहां धर्मांध हिंदुओंपर मात नहीं करेंगे, तो ही आश्चर्यकी बात होगी !
मिरज (महाराष्ट्र) – १५ जूनको यहांके पटवर्धन राजघरानेके गंगाधरराव बाळासाहेब पटवर्धन (चौथे) सपरिवार गलेफ (चादर) चढाने हेतु ख्वाजा मिरासाहेब दर्गामें गए थे । उस समय उन्होंने यह घोषणा की कि ‘पिछले साढे तीन सौ वर्षोंसे मिरजमें हिंदू- धर्मांध एकत्रित रहते हैं । सन २००९ में हुआ जातीय हिंसाचार दुर्दैव्यकी बात है । उस हिंसाचारकी छाया दूर करने हेतु पटवर्धन राजघराना इस वर्षसे गणेशोत्सवमें सम्मिलित होगा । तलेके गणपति मंदिरमें मुसलमानोंद्वारा राजघरानेकी श्रीगणेशमूर्तिकी प्रतिष्थापना की जाएगी ।’
( शिवसेनाकी ओरसे निर्माण किए गए कमानपर होनेवाले अफजलखानके चित्रका विरोध कर मिरज हिंसाचारके समय मुसलमानोंद्वारा श्री गणेशकी मूर्ति पत्थरसे तोडी गई थी ! मिरजके अतिरिक्त अन्य स्थानोंपर भी गणेशोत्सवकी कालावधिमें शोभायात्राओंपर धर्मांधोंद्वारा हिंदुओंपर प्राणघातक आक्रमण होनेके प्रकार उत्पन्न करते हैं । क्या इन मूर्तिभंजकोंको श्री गणेशके विषयमें कभी भी प्रेम उमडकर आनेकी संभावना है ? गंगाधरराव पटवर्धनके समान सर्वधर्मसमभावके नामपर पागल बने हिंदू ही वास्तवमें हिंदू धर्मके शत्रु हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
दैनिक सकाळमें इस प्रकारका समाचार प्रकाशित किया गया है कि इस अवसरपर गंगाधरराव पटवर्धनने बताया, मिरजके तत्कालीन अधिपति मेरे पितामह पटवर्धन (तीसरे)की कालावधिमें किलेके पीरके स्थानपर कुराण पठन तथा वेदमंत्रपठन एकत्रितरूपसे किया जाता था । दर्गेकी चादरके मानबिंदूके स्थानपर चर्मकार समाजकी चादरका मान यह पटवर्धन राजघरानेका है । यह परंपरा कुछ वर्षोंसे खंडित हुई थी । उर्सके लिए दर्गा समितिद्वारा राजघरानेको निमंत्रित किया जाता था । किंतु कुछ वर्षोंसे मुझे सीधी निमंत्रण पत्रिका भी नहीं आई । ( पटवर्धनको सीधी निमंत्रण पत्रिका भी नहीं आती, इसका अर्थ है, मुसलमानोंकी दृष्टिसे हिंदू राजघरानेके व्यक्तिका मोल शू्न्य है । ऐसा होते हुए भी गंगाधरराव पटवर्धनको मुसलमानोंके प्रति प्रेम क्यों उमड आया है ? कि उन्हें भी आगामी चुनावमें मतोंकी भीख मांगने हेतु मुसलमानोंके तलुए चटनेकी इच्छा है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
कुछ वर्ष पूर्व सांगलीके चिंतामणराव पटवर्धनने सांगलीके श्री गणेश मंदिरमें उर्दू सीखानेका वर्ग आरंभ किया था, साथ ही गृहमंत्रीकी उपस्थितिमें सर्वधर्मसमभावके नामपर ईसाई तथा मुसलमानोंको आमंत्रित कर उनके धर्मकी प्रार्थनाका पठन करवाया था । ( यह कितने दुर्दैवकी बात है कि राजनेताओंके पगपर पगम रखकर मुसलमानोंके लिए पांवडा बिछानेवाले इस प्रकारके हिंदू राजघरानेमें जन्मे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात