चैत्र शु. ११ , कलियुग वर्ष ५११४
अंनिसके कार्यकर्ताओंद्वारा हिंदु धर्मपर आलोचना !
अमरावती (महाराष्ट्र), २ अप्रैल (वृत्तसंस्था) – यहांके कुंभारवाडेमें स्थित श्रीराममंदिरमें श्रीरामनवमीके उपलक्ष्यमें कुछ समय पूर्व ही ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन’ विषयपर व्याख्यानका आयोजन किया गया था । अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके कार्यकर्ता श्रीकृष्ण धोटेने अपने भाषणमें हिंदुधर्मकी विधियोंपर आलोचना करना आरंभ करते ही हिंदु जनजागृति समितिके कार्यकर्ता श्री. हेमंत खत्रीने कुछ आक्षेपार्ह विधानोंपर प्रतिवाद किया । इसपर ठीकसे उत्तर न देते हुए अंनिसके कार्यकर्ताने पलायन किया ।
श्रीकृष्ण धोटेद्वारा किए गए धर्र्मद्रोही वक्तव्य एवं उसपर श्री. खत्रीद्वारा किया गया प्रतिवाद
धोटे : नामकरण, श्राद्ध, तेरहवीं इत्यादि कार्यक्रमोंके लिए हम ‘ब्राह्मणोंको’ आमंत्रित करते हैं । यह मानसिक दास्यता है ।
श्री. खत्री : हम न्यायालयीन कामकाजमें अधिवक्ताओंसे परामर्श लेते हैं, रोगग्रस्त होनेपर वैद्यके बताए अनुसार औषधोपचार करते हैं । ठीक उसी तरह अध्यात्मके अभ्यासक ब्राह्मणका परामर्श लेकर एवं पंचांग देखकर हिंदु धर्ममें ऐसी विधियां करनेकी मान्यता है । इसमें अयोग्य कुछ भी नहीं है ।
धोटे : मृत पूर्वजोंके निषेधके रूपमें हम छतपर भोजन परोसकर कौएकी प्रतीक्षा करते हैं ।
श्री. खत्री : ‘श्राद्ध’ हमारे पूर्वजोंको गति मिलनेके लिए हिंदु धर्मशास्त्रके अनुसार की जानेवाली एक विधि है ।
धोटे : ज्योतिष एक कला है, शास्त्र नहीं ।
श्री. खत्री : ज्योतिषशास्त्रके अनुसार पंचांगमें सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण इत्यादि बातोंका सही समय दिया जाता है । क्या तब भी वह शास्त्र नहीं है ?
धोटेद्वारा वास्तूशास्त्रपर भी ऐसे ही आक्षेपजनक वक्तव्य किए जानेपर श्री. हेमंत खत्रीने उनसे प्रतिवाद करनेका प्रयास किया, तो धोटेने अभी ‘समय नहीं है’, ‘मैं इसका उत्तर दूंगा’, ऐसा कहकर अपना विषय एकाएक वहीं समाप्त कर वहांसे पलायन किया । उस समय श्री. हेमंत खत्रीने श्रोताओंको बताया कि यह हमारा नित्यका अनुभव है । अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके कार्यकर्ता इसी प्रकार प्रश्नोंका समाधान न करते हुए उङ्गकर चले जाते हैं ।’’ अंतमें हुआ भी यही कि श्री. धोटेने बिना प्रश्नोंके उत्तर दिए वहांसे पलायन किया ।
इस प्रतिवादमें बजरंग दलके श्री. समीर साठेने ‘मंत्रसे यज्ञ प्रज्वलित होता है’, कहते हुए श्री. हेमंतका समर्थन किया । (प्रतिवाद करनेवाले श्री. हेमंत खत्री एवं श्री. समीर साठेका अभिनंदन । ऐसे धर्माभिमानी ही हिंदु धर्मकी खरी शक्ति हैं ! – संपादक)
इस कार्यक्रममें २५ लोग उपस्थित थे; परंतु अन्य किसीने प्रश्न पूछनेका साहस तो नहीं दिखाया; परंतु अंतमें मान्य किया कि उन्हें भी अंनिसद्वारा पूछे गए प्रश्न अच्छे नहीं लग रहे थे ।’ (इससे यह स्पष्ट होता है कि हिंदुओंमें स्थित यह धृतराष्ट्र-गांधारी वृत्ति नष्ट करने एवं उनमें क्षात्रवृत्ति एवं धर्माभिमान निर्माण करनेके लिए उन्हें शिक्षण देना कितना आवश्यक है ! – संपादक)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात