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वैष्णोदेवी सिक्केके विरुद्ध मुसलमानोंद्वारा देहली उच्च न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट !

चैत्र कृष्ण पक्ष  ७, कलियुग वर्ष ५११५

धर्मांध मुसलमानोंका प्रत्येक कृत्य भारतकी धर्मनिरपेक्ष घटनाके विरुद्ध होनेपर भी धर्मांधोंद्वारा झूठा प्रदर्शन !

 

नई देहली : माता श्री वैष्णोदेवी मंदिर व्यवस्थापन मंडलके रजत महोत्सवके अवसरपर केंद्रप्रशासनद्वारा जारी किए गए ५ रुपएके सिक्केको नफीस काजी नामके धर्मांध मुसलमानने देहली उच्च न्यायालयमें आह्वान दिया है । (अब हिंदुबहुल राष्ट्रमें हिंदु देवताओंके चित्रांकित सिक्के प्रशासन जारी न करे, ऐसी मांग करनेवाले धर्मांध मुसलमान कल देशमें हिंदुओंके धार्मिक त्यौहार भी न मनाएं, ऐसा कहेंगे ! कुछ सिक्कोंपर ईसाईयोंके ‘क्रॉस’ का चित्र है । इस विषयमें धर्मांध मुसलमानने याचिका क्यों प्रविष्ट नहीं की ? भारतसे हिंदु संस्कृति नष्ट हो, ऐसी इच्छा रखनेवाले कांग्रेस प्रशासनको अनुकूल मुसलमान तथा ईसाईयोंकी मिलीभगत है, यह स्पष्ट है ! – संपादक,  दैनिक सनातन प्रभात )

१. काजीके अधिवक्ता भी मुसलमान हैं । याचिकामें कहा गया है कि धार्मिक चित्र अथवा निशानवाले सिक्के जारी करनेसे भारतकी धर्मनिरपेक्ष प्रतिमापर आघात होता है । अत: प्रशासनसे ऐसे सिक्के हटाने हेतु कहा जाए । (धर्मांध मुसलमानोंने सऊदी अरबद्वारा रामके नामपर लगाई बंदीके विरुद्ध मुंह क्यों नहीं खोला ? इस्लामी राष्ट्रमें धर्मनिरपेक्षता क्यों नहीं होती ? क्या वे इसका उत्तर देंगे ? क्या धर्मनिरेपक्षताका पालन केवल हिंदु ही करें ? धर्मके नामपर सुविधा मांगते समय धर्मांध मुसलमानोंको धर्मनिरपेक्षता क्यों याद नहीं आती ? सर्वोच्च न्यायालयका निर्णय विरोधमें जानेपर शरीयतनुसार उसे परिवर्तन करनेको कहते समय धर्मनिरपेक्षता क्यों याद नहीं आती ? हिंदुओ, ऐसे धर्मांधोंको उनका उचित स्थान दिखा देने हेतु हिंदु राष्ट्रकी स्थापना करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) 

२. उच्च न्यायालयने, प्रशासनको इस घटनामें क्या कार्यवाही की, इसका प्रतिज्ञापत्र ३ सप्ताहमें प्रस्तुत करनेको कहा । (एक प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने हेतु तीन सप्ताहकी क्या आवश्यकता ? क्या वह एक दिनमें प्रस्तुत नहीं किया जा सकता ? इसी प्रकार समय व्यर्थ गवांनेकी प्रक्रियाके कारण न्यायालयमें सालोंसाल अभियोग चलते रहते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

३. विशेष बात यह है कि उच्च न्यायालयके जिस खंडपीठके सामने यह याचिका सुनावाई हेतु आई है, उसका नेतृत्व कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बी.डी. अहमद कर रहे थे । (इस अभियोगका निर्णय यदि हिंदुओंके विरुद्ध हुआ तो आश्चर्यकी कोई बात नहीं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात


अद्यतन


ईसाई एवं मुसलमानोंके श्रद्धास्थानोंके छायाचित्रवाली मुद्रा एवं डाक टिकटसे नहीं, अपितु वैष्णवदेवीके छायाचित्रवाली मुद्रासे देशकी धर्मनिरपेक्ष प्रतिमा भंग होती है, ऐसा दिखावा करनेवाले धर्मांध मुसलमान !

आषाढ कृष्ण १ , कलियुग वर्ष ५११५

श्री माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्डके २५ वर्ष पूरे होनेके उपलक्ष्यमें भारतीय रिजर्व बैंकद्वारा वैष्णवदेवीके छायाचित्रवाली पांच रुपएकी विशेष मुद्रा प्रचलनमें लानेका निर्णय लिया गया है; परंतु इस मुद्राको धर्मांध मुसलमानोंके संगठनोंने विरोध दर्शाया है । संगठनोंका कहना है कि वैष्णवदेवीकी मुद्रासे देशकी धर्मनिरपेक्ष प्रतिमा आहत होनेकी संभावना है । इसके विरोधमें आंदोलन किए जाएंगे । परंतु धर्माभिमानी हिंदुओंने प्रश्न किया है कि क्या मुसलमान एवं ईसाईयोंके श्रद्धास्थानोंके छायाचित्रवाली मुद्रा एवं डाक टिकटसे देशकी धर्मनिरपेक्ष प्रतिमा आहत नहीं होती ?

मुसलमान एवं ईसाईयोंके श्रद्धास्थानोंके छायाचित्रोंवाली मुद्रा एवं डाक टिकट

१. ईसाई संत अल्फान्सोके जन्मोत्सवके उपलक्ष्यमें संत अल्फान्साके छायाचित्रवाला पांच रुपएकी मुद्रा

२. ईसाईयोंके क्रॉसवाले एक  एवं दो रुपयोंकी मुद्राएं

३. रुग्णसेवाके नामपर हिंदुओंका धर्मपरिवर्तन करनेवाली मदर तेरेसाके छायाचित्रवाली मुद्रा

४. हिंदुओंपर अनगिनत अत्याचार करनेवाला क्रूरकर्माr टीपू सुलतानका छायाचित्रवाला डाक टिकट

५. भाग्यनगरके ओस्मानिया विद्यापीठ एवं देहली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विद्यापीठके स्वर्णमहोत्सवके निमित्त निकाला हुआ डाक टिकट

६. जाकीर हुसैनका छायाचित्रवाला २० पैसोंका डाक टिकट

७. हुसेन अहमद मदनीका छायाचित्रवाला डाक टिकट

हिंदुओ, मुसलमान एवं ईसाईयोंके श्रद्धास्थानोंके छायाचित्रवाली मुद्रा एवं डाक टिकटोंका वैधानिक मार्गसे विरोध करें !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 


पांच रुपये के सिक्के पर मां वैष्णो देवी की तस्वीर पर विवाद

ज्येष्ठ शुक्ल ११ / १२ , कलियुग वर्ष ५११५ 

सिक्केका विरोध करनेवाले धर्मांध इस्लामी राष्ट्रमें चलते बने !


मुंबई – श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के २५ साल पूरे होने पर जारी देवी मां की तस्वीर वाले पांच रुपये के सिक्के को लेकर विवाद पैदा हो गया है। रिजर्व बैंक से जारी इन सिक्कों को लेकर मुस्लिम संगठनों ने विरोध जताया है।

मूवमेंट ऑफ ह्यूंमन वेलफेयर के अध्यक्ष डा. अजीमुद्दीन का कहना है कि सिक्के भिखारियों को दिए जाते हैं। जुलूसों के दौरान फेंके जाते हैं, लिहाजा देवी की तस्वीर इस पर अंकित करना गलत है। (धर्मांधोंके भोलेपनका दिखावा ! म.फि. हुसेन द्वारा हिंदुओंके देवताओंके नग्न तथा अश्लील चित्र बनानेपर उनका अपमान हुआ । क्या तब ये संगठन सोए थे ? क्या तब उन्हें देवताओंका अपमान नहीं लगा ? भिखारियोंमें सिक्के बांटनेसे उसका अपमान कैसे होगा ? जुलूसमें ऐसे सिक्के न उछालें, ऐसी सूचना हिंदू तथा दूसरोंको की जा सकती है । उस हेतु सिक्का निरस्त करनेकी क्या आवश्यकता है ? ऐसी मांग करनेसे हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको ठेस पहुंचती है, उसका क्या ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) सिक्के पर हिंदू देवी की तस्वीर से भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचता है। जमीयत-उल-उलेमा के अध्यक्ष मौलाना मुस्तकीम आजमी ने कहा कि हम इस फैसले को लेकर विरोध दर्ज कराएंगे। (धर्मांधोंका तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावाद हिंदू प्रतिदिन सह रहे हैं । धर्मांधोंमें यदि धर्मनिरपेक्षतावाद होता, तो वे राममंदिरके निर्माणका, काशी विश्वेश्वरके तथा मथुराके श्रीकृष्ण मंदिरसे लगी मस्जिदें हटाने हेतु कभी भी विरोध नहीं करते ! अपनी सुविधानुसार धर्मांधोंको धर्मनिरपेक्षतावाद याद आता है । कश्मीरसे साढेचार लाख हिंदुओंको विस्थापित होना पडा, तब ये धर्मांध संगठन क्या कर रहे थे ? ११ अगस्तको मुंबई तथा आसपासके परिसरसे धर्मांध धर्मांधोंने आजाद मैदान परिसरमें किए दंगोंके समय तथा उसके उपरांत इन धर्मांध संगठनोंने धर्मनिरपेक्षताके नामपर रजा अकादमीका विरोध क्यों नहीं किया ? हिंदुओ, ऐसे ढोंगी धर्मनिरपेक्षतावादियोंने यदि आंदोलन किया, तो वैध मार्गसे विरोध करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

हालांकि, हिंदू संगठन सनातन संस्था के प्रवक्ता अभय वर्तक ने कहा है कि ईसाई संत अल्फोंसा और मदर टेरेसा की तस्वीर वाले सिक्के भी जारी किए गए हैं। मां वैष्णो देवी की तस्वीर वाले सिक्के जारी करने में क्या गलत है। कुर्ला, माहिम, जोगेश्वरी और भिंडी बाजार में दुकानदारों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ऐसे सिक्के लेने से इन्कार कर देते हैं। (इस्लामी राष्ट्र इंडोनेशियाके प्रचलित नोटोंपर हिंदू देवताओंके चित्र वहांके प्रशासनने ही प्रसिद्ध किए हैं । वहांके धर्मांध उनका उपयोग करते हैं, तो भारतके धर्मांधोंको क्या कष्ट होते हैं ? आवश्यकता पडनेपर हिंदुओंके पैसोंसे व्यवहार करनेवाले तथा हिंदुओंके  राजस्वद्वारा जमा किए पैसोंपर शासकीय सहूलियत लेनेवाले, तथा अलग-अलग कारणोंसे हिंदुओंके मंदिरोंका पैसा  लेनेवाले धर्मांधोंको तब क्यों अनुचित नहीं लगता ? हिंदुओ, ऐसे धर्मांधोंका अब आर्थिक रूपसे बहिष्कार करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : जागरण, दैनिक सनातन प्रभात


वैष्णोदेवीका चित्रांकित ५ रु. का सिक्का चलनमें लानेका प्रशासनका निर्णय !

ज्येष्ठ शुक्ल ११ / १२ , कलियुग वर्ष ५११५ 

हिंदुओंके मंदिरोंको प्राधान्यसे सुरक्षा तथा सुविधा उपलब्ध कराना अपेक्षित होते हुए भी हिंदुओंके मतोंपर दृष्टि रखकर सिक्का सिद्ध करनेवाली हिंदुद्वेषी कांग्रेस !

नई देहली – श्री माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्डके २५ वर्ष पूरे होनेके अवसरपर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ५ रु. का विशेष सिक्का चलनमें लानेका निर्णय लिया गया है । बैंक द्वारा दी गई जानकारीनुसार सिक्केकी एक ओर माता वैष्णोदेवीका चित्र तथा हिंदी एवं अंग्रेजीमें ‘श्री माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड’ लिखा जाएगा । तथा चित्रके नीचे ‘वर्ष २०१२’ एवं ‘रजत जयंती’ ऐसा लिखा जाएगा । (यदि धर्मांध धर्मांध सिक्केका बहिष्कार करने लगें तो संत मदर तेरेसाके सिक्केका क्या उन्होंने कभी बहिष्कार किया था, ऐसा कहकर हिंदू उन्हें फटकारें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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