अद्ययावत
- आदिवासियोंद्वारा झारखंड स्थित वर्जिन मेरीका पुतला उखाडनेका निश्चय (९ अगस्त २०१३)
- झारखंडमें मदर मेरीको आदिवासी भेषमें दिखाना धर्मांतरकी नई चाल ! (२३ जून २०१३)
आदिवासियोंद्वारा झारखंड स्थित वर्जिन मेरीका पुतला उखाडनेका निश्चय
९ अगस्त २०१३
रांची – झारखंडके रांची जिलेके सिंगपुर गांवमें स्थापित वर्जिन मेरीके पुतलेको पहनाए गए आदिवासी महिलाके वस्त्र यदि परिवर्तन न किए गए तो यहांके आदिवासी समुदायने पुतला उखाडनेका निर्णय लिया है । गिरिजाघरके प्रतिनिधि तथा सारना आदिवासियोंमें पुतलेके वेशभूषाके विषयमें चल रही चर्चा विफल होनेसे यह निर्णय लिया गया है । पुतलेकी वेशभूषाका परिवर्तन करने हेतु २४ अगस्त तकका समय दिया गया है ।
पुतला स्थापित करते समय मेरी सांवले रंगमें दिखाई गई है । तथा उसे लाल किनारेवाली सफेद साडी पहनाई गई है । केशका जूडा बनाया गया है तथा हाथोंमें चूडियां पहनाई गई हैं । साथ ही उसे आदिवासी महिलाके समान बालक येशूको झोलीमें रखकर ले जाते हुए दिखाया गया है ।
सारना समाजके धर्मगुरु बंधन टिग्गाने बताया कि २५ अगस्तको हमने भव्य मोर्चा आयोजित किया है । उन्होंने बताया कि इसमें १ लाखसे अधिक सारना आदिवासी सम्मिलित होंगे । यह सारना आदिवासियोंको ईसाई धर्ममें धर्मांतरित करनेकी चाल है । मदर मेरीको आदिवासी महिलाके रूपमें दिखाना अनुचित है, ऐसा टिग्गाने बताया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
झारखंडमें मदर मेरीको आदिवासी भेषमें दिखाना धर्मांतरकी नई चाल !
२३ जून २०१३
आदिवासी महिलाके भेषमें मदर मेरीका पुतला !
( इसलिए आडवाणी तथा जयराम रमेश निधर्मी (अधर्मी) निकले ! दो समाजोंमें कलह उत्पन्न करनेका प्रयास, ऐसे राजकीय नेता जैसा वक्तव्य कर प्रश्नका उत्तर मिलनेवाला नहीं । आदिवासियोंके भोलेपनका लाभ उठाकर उनका धर्मांतर करनेकी ईसाई धर्मप्रसारकोंकी चाल अब सबको पता हो गई है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात |