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ज्ञानेश्वरी एवं भगवत् गीता ही शाश्वत ज्ञान ! – डॉ. विजय भटकर

आषाढ कृष्ण ३ / ४ , कलियुग वर्ष ५११५

क्या अंधत्वका ढोंग रचानेवाली अंनिसवालोंकी आंख अब तो खुलेगी ?


पुणे – विज्ञान एवं अध्यात्मके समन्वयसे ही हम अंतिम सत्यतक पहुंच पाएंगे । तंत्रज्ञानकी शिक्षा ली अथवा संगणककी निर्मिती की, तो भी कालानुसार वे संकल्पना पलटती रहेगी । ऐसे समय शाश्वत ज्ञान कौनसा, इसका उत्तर भगवत् गीता एवं ज्ञानेश्वरी यही है । 'अध्यात्म एवं विज्ञान परस्परपूरक नहीं है ’, ऐसा अनुचित दृष्टीकोन समाजामें  फैलाकर संभ्रम निर्माण करनेवालोंको इन दोनोंकी परिभाषा ही समझमें नहीं आई, ऐसा प्रतिपादन ज्येष्ठ संगणकतज्ञ डॉ. विजय भटकरजीने किया । प्रसाद प्रकाशन तथा प्रसाद ज्ञानपीठके संयुक्त प्रयत्नोंसे आयोजित 'प्रसाद' के प्रकाशक एवं संपादक बापूसाहेब जोशीजीकी द्वितीय स्मृती कार्यक्रममें 'शास्त्रसंपदा' विषयके साक्षात्कारमें वे बोल रहे थे ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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