आषाढ कृष्ण ३ / ४, कलियुग वर्ष ५११५
’यथा राजा तथा प्रजा’ उक्तिके अनुसार शासकों समान मृत व्यक्तियोंके तालूके ऊपरका माखन खानेवाले चोर !
चोरोंद्वारा साधुओंका वेश धारण कर मृत व्यक्तियोंके पार्थिव शरीरपर स्थित अलंकारोंकी लूट
देहरादून (उत्तराखंड) – उत्तराखंडमें चोरोंद्वारा साधुओंका वेश धारण कर महाप्रलयसे बचे नागरिकोंको लूटनेका काम किया जा रहा है । पुलिसद्वारा ऐसे कुछ लोगोंको बंदी बनाया गया है । पुलिसने चोरोंसे एक करोड रुपयोंसे भी अधिक राशि प्राप्त की है । एक चोरके पास ८३ लाख रुपए मिले हैं । जांचके उपरांत पता चला कि ये ८३ लाख रूपयोंकी राशि केदारनाथ स्टेट बैंककी है । बाढसे बचे श्रद्धालुओंने बताया कि उन्हें नेपाली लोगोंके सदृश कुछ व्यक्ति बाढमें मृत व्यक्तियोंकी देहसे अलंकार निकालते हुए दिखाई दिए । साधुओंके वेशमें भी कुछ लोगोंने मंदिर परिसरमें लूटपाट आरंभ की है । अनेक मृतदेहोंसे अलंकार एवं वस्त्रोंके खीसेमेंसे पैसे निकाल लिए हैं । अत: सैनिकोंको श्रद्धालुओंको बचानेके साथ ही इन चोरोंको बंदी बनानेका प्रयास भी करना पड रहा है ।
बैंककी अन्य राशिका भी पता लगाया जा रहा है । बाढमें केदारनाथ स्टेट बैंककी शाखा भी बह गई । उसमें बैंकके भी पैसे बहकर जानेकी वार्ता फैली, परंतु ये पैसे बहकर नहीं गए, अपितु कुछ लोगोंने उसे लूटा है । इतना ही नहीं, अपितु मंदिरकी तिजोरीके पैसोंकी भी चोरी की गई है । केदारनाथ मंदिरकी अलमारीमें स्थित करोडों रुपए भी बाढमें बह गए । मंदिर समितिके अधिकारी राजकुमारने बताया कि स्थानीय लोगोंद्वारा पानीमें तैरनेवाले नो भगा गए हैं । बाढके समय सौभाग्यसे राजकुमार एवं ३०० श्रद्धालु बच गए । केदारनाथ मंदिरमें प्रतिदिन न्यूनतम एक लाख रुपए आते थे तथा वहींके स्टेट बैंककी शाखामें ये पैसे जमा किए जाते थे । पश्चात यह पूरी राशि ऊखी मठके स्टेट बैंककी शाखामें संग्रह की जाती थी । प्रलयके दिन यह राशि जमा नहीं की गई । अतः करोडों रुपए पानीमें बह गए, ऐसा राजकुमारने बताया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात