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अमरनाथ को ज़मीन देने का विरोध !

 आषाढ कृष्ण ३ / ४ , कलियुग वर्ष ५११५


भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में वनक्षेत्र की ४०  हेक्टेयर जमीन को हिन्दुओं के तीर्थस्थल अमरनाथ को देने पर पैदा हुआ विवाद गहरा गया है । सोमवार शाम से इस फैसले के ख़िलाफ श्रीनगर में प्रदर्शन हुए हैं और पुलिस फायरिंग में एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है. इसके बाद श्रीनगर में ख़ासा तनाव है । सोमवार की शाम पुलिस की गोली से दो प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था । वहाँ एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई । प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्ती कई जगह के बाजार बंद करवाए और कई जगहों पर सड़क जाम कर दी थी.प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने भीड को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी और बल का प्रयोग किया । प्रमुख अलगवादी नेता सैय्यद अली शाह गीलानी इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे । अमरनाथ श्राइन बोर्ड वो संस्था है जो अमरनाथ गुफा तक होने वाली तीर्थयात्रा का पूरा इंतजाम देखती है । हर साल हजारों की तादाद में तीर्थयात्री अमरनाथ की यात्रा करते है.

क्या है विवाद?

 


 

जमीन दिए जाने पर सरकार का कहना है कि तीर्थयात्रियों के लिए अस्थाई झोपड़ियाँ और शौचालय बनाए जाने के लिए जमीन की जरूरत थी, इसलिए ये जमीन दी गई है । जमीन दिए जाने का विरोध सबसे पहले पर्यावरण के क्षेत्र से जुड़े स्थानीय कार्यकर्ताओं ने किया जिसके बाद कुछ स्थानीय नेता भी इस आंदोलन में शामिल हो गए । भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के विपक्ष में बैठी नेशनल कॉन्फ्रेंस, सत्ताधारी कांग्रेस की सहयोगी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी जमीन के हस्तांतरण का विरोध किया था । पीडीपी के नेता और भारत प्रशासित कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का कहना है कि सरकार को जमीन हस्तांतरित किए जाने के फैसले को इस महीने के अंत तक वापस ले लेना चाहिए । वहीं अलगाववादी गुटों का कहना है कि एक साजिश के तहत ये जमीन श्राइन बोर्ड को दी गई है । गीलानी ने कहा, "बोर्ड को जमीन देना ग़ैर-कश्मीरी हिंदुओं को घाटी में बसाने की एक साजिश है ताकि मुस्लिम समुदाय घाटी में अल्पसंख्यक हो जाए." । उन्होंने जमीन के हस्तांतरण के आदेश को रद्द करने की माँग की है । साथ ही उनका कहना था कि अमरनाथ मंदिर बोर्ड की जिम्मेदारी कश्मीरी पंडि़तों के हाथों में दे दी जाए.गीलानी ने अपने समर्थकों से कहा कि वे घाटी में हिंदुओं और अन्य अपसंख्यकों की सुरक्षा और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा का ध्यान रखें.

राज्यपाल पर आरोप

इस फैसले का विरोध कर रहे अनेक नेता विवाद के लिए वर्तमान राज्यपाल लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत) एसके सिन्हा पर आरोप लगा रहे हैं । एसके सिन्हा का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है । दरअसल राज्यपाल ही अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं । एसके सिन्हा का कहना है कि श्राइन बोर्ड राज्य की विधानभा को जवाबदेह नहीं है । सिन्हा ने विधानसभा सदस्यों के किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया है । इस ताजा विवाद के बाद अलगाववादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के भिन्न धड़े एक होते दिखाई दे रहे हैं । दोनों ही गुटों ने जमीन हस्तांतरण के ख़िलाफ एकजुट होकर आंदोलन चलाने का फैसला किया है.दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने धमकी दी है कि अगर जमीन हस्तांतरण के ख़िलाफ आंदोलन नहीं बंद किए गए तो वो कश्मीर घाटी में होने वाली जरूरी चीजों की आपूर्ति नहीं होने देगी ।

स्त्रोत : BBC Hindi.com

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