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भंडारा एवं भामचंद्र पहाडोंकी रक्षा हेतु आंदोलन करनेवाले वारकरियोंपर आरोप प्रविष्ट !

अद्यतन


भंडारा एवं भामचंद्र पहाडोंकी रक्षा हेतु आंदोलन करनेवाले वारकरियोंपर आरोप प्रविष्ट !

३ जुलाई २०१३

आंदोलनमें सहभागी कबीर कला मंचके ३ कार्यकर्ता नियंत्रणमें

  • वैध आंदोलन करनेवाले वारकरियोंपर आरोप प्रविष्ट कर मुगलोंके कार्यकालको लजानेवाली महाराष्ट्र पुलिस !

  • वारीके विशेष अवसरपर हिंदूद्रोह करनेवाली पुलिसके नाम सनातन प्रभातको भेजें !

पुणे – संत तुकाराम महाराजने जहां साधना की, वह भंडारा एवं भामचंद्र पहाड पूरी तरह सुरक्षित किया जाए, वहां चल रहा निर्माण कार्य तथा खुदाईका काम तुरंत रोका जाए, इन मांगों हेतु मुंबई-पुणे महामार्ग स्थित तलेगांव दाभाडे मार्गपर सोमाटणे फाटा, यहां `संतभूमि संघर्ष संरक्षक समिति’ की ओरसे २८ जूनको सवेरे ११ बजे `मार्ग बंद’ आंदोलन किया गया । इस अवसरपर जमावबंदीका आदेश भंग करनेके कारण ह.भ.प. मधुसूदन महाराज पाटिल, ह.भ.प. अरुण महाराज बुरघाटे, ह.भ.प. गजानन महाराज पिंपळे, एम.एन.कांबळे, अधिवक्ता वैशाली चांदणे, एम.डी भोसलेके साथ १०-१२ वारकरियोंके विरोधमें आरोप प्रविष्ट किया गया है । (वारकरियोंके पूर्वनियोजित वैध आंदोलनके समय उन्हें नियंत्रणमें लेकर उनपर आरोप प्रविष्ट करननेवाली पुलिस क्या इस प्रकारकी कार्यवाही अहिंदुओंके आंदोलन पर करती ? हिंदू असंगठित होनेके कारण वारकरियों द्वारा उनके श्रद्धास्थानोंकी रक्षा हेतु किया आंदोलन दबाने हेतु पुलिस ऐसे कृत्य करती है! आज अधर्मी शासनकर्ता सत्तामें होनेके कारण ही यह होता है ! यह स्थिति पलटने हेतु हिंदू राष्ट्र ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

वारकरियो, आपके आंदोलनसे कोई अपना स्वार्थ तो नहीं साध रहा, यह जानने हेतु सतर्कता बढाएं !

आंदोलनमें महाराष्ट्र शासनद्वारा बंदी लगाए प्रक्षोभक गीत गानेसे आंदोलनमें सहभागी कबीर कला मंचके दीपक ठेंगळे, सिद्धार्थ भोसले तथा रूपाली जाधवको पुलिसने नियंत्रणमें लिया । (वारकरियो, आपके आंदोलनमें कौन सहभागी हो रहे हैं, उसका क्या परिणाम हो सकता है, इसका विचार कर ऐसे आंदोलनोंके समय सतर्कता रखनी चाहिए ! कल अंनिसवाले ऐसे आंदोलनमें सहभागी होकर अपने हिंदूद्रोहका दांव साधनेका प्रयास कर सकते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

कबीर कला मंचका नक्सलवादसे संबंध !

पुलिसने कबीर कला मंचका नक्सलवादियोंसे संबंध होनेका आरोप लगाया है । अत: आतंकवादविरोधी पथक द्वारा इन तीनोंकी पूछताछ आरंभ की गई है । इस कार्यवाहीका विरोध कर भारिप-बहुजन महासंघके कार्यकर्ताओंने तलेगांव पुलिस थानेपर मोर्चा आयोजित किया । पुलिस थानाके सामने ही `मौन आंदोलन’ करनेसे कुछ समयके लिए तनावका वातावरण उत्पन्न हो गया था ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात


संत तुकाराम महाराजकी तपोभूमि भंडारा एवं भामचंद्र पहाडके संरक्षणार्थ वारकरी आज 'देहूरस्ता'में पुणे-मुंबई महामार्ग रोकेंगे !

२८ जून २०१३

अधर्मी कांग्रेसके राज्यमें हिंदुओंके क्षेत्र धोखेमें !

पुणे – संत तुकाराम महाराजकी तपोभूमि भंडारा एवं भामचंद्र पहाडपर चल रहे खुदाई तथा निर्माण कार्य एवं पहाडपर होनेवाले अवैध प्रवेशके विरोधमें संतभूमि संरक्षक संघर्ष समिति एवं वारकरी संप्रदाय २८ जूनको मार्गपर आकर मार्ग बंद आंदोलन एवं भजन सत्याग्रह करेंगे । (अधर्मी शासकोंने ऐसा निश्चय किया है कि हिंदुओंके क्षेत्र एवं श्रद्धाको नष्ट करना ही है । इसलिए स्थानोंकी रक्षाके लिए वारकरियोंको मार्गपर आना पड रहा है । केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे तीर्थक्षेत्रोंकी पवित्रताको नष्ट करनेके परिणाम सभीने अनुभव किए हैं । ऐसा होते हुए भी इस प्रकारका बेढंगापन करनेवाले शासक राज्य करनेके लिए अपात्र एवं अयोग्य ही हैं ! हिंदुओ, एक ओर पर्यावरणकी रक्षाका उपदेश देना एवं दूसरी ओर पहाड तोडकर पर्यावरणकी हानि करना, ऐसी दोहरी नीति अब सहन न करें । संतोंके विषयमें कृतघ्न शासनको सत्तासे हटाकर ’हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करें ।-संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) यह आंदोलन पुणे-मुंबई महामार्गपर स्थित सोमाटणे  मार्गमें किया जाएगा ।

१. मावल भागके इन दो पर्वतोंकी तलहटीका अंश छोडकर शेष भाग संरक्षित स्मारकके रूपमें घोषित करनेका राज्यसरकारका विचार है ।

२. संत तुकाराम महाराजने इस पहाडपर साधना की है । इसलिए इस पहाडसे वारकरियोंकी भावनाएं जुडी हुई हैं ।

३. वर्ष २००५ से ही उस स्थानपर खुदाई एवं निर्माण कार्य हो रहे हैं ।

४. जनपदाधिकारी विकास देशमुखसे उनपर कठोर कार्यवाही करनेकी लिखित मांग की गई थी ।

५. वारकरियोंद्वारा दोनों पर्वत संरक्षित स्मारकके रूपमें घोषित करनेकी मांग की गई थी; परंतु इसपर तलहटीके पास खेती करनेवाले किसानोंने आपत्ति उठाई थी ।

६. अतः पुरातत्व विभागद्वारा सरकारको उस भागको छोडकर शेष पहाड संरक्षित करनेका प्रस्ताव  दिया गया है ।

७. भंडारा पहाडपर संत तुकाराम महाराजद्वारा निमार्ण करवाया गया प्राचीन मंदिर था । उसे धर्मादाय आयुक्तकी अनुमतिके बिना ही गिराकर उस स्थानपर नए मंदिरका निर्माणकार्य किया गया । (संतोंद्वारा निर्माण कार्य किए गए मंदिर गिरानेवाले अबतक स्वचछंद घूम रहे हैं, यह हिंदुओंकी असंगठितता एवं शुतुरमुर्गी मानसिकताका परिणाम है ! आज यदि छत्रपति शिवाजी महाराज रहते, तो मंदिर तोडनेवाले व्यक्तियोंको उनके हाथ एवं पैर तोडनेका दंड दिया गया होता ! छत्रपति शिवाजी महाराज समान कर्तव्यपरायण शासक मिलनेके लिए ’हिंदू राष्ट्र’ अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

८. संघर्ष समितिके संस्थापक अध्यक्ष मधुसूदन पाटिलने यह प्राचीन मंदिर तोडनेवाले व्यक्तियोंपर कार्यवाही करने, पहाडकी तोडफोड रोकने तथा दोनों पहाडोंकी किलाबंदी करनेकी मांग की है ।

वारकरियोंकी न्यायोचित मांगको सरकारद्वारा नित्य की भांति अनदेखा करना !

उपर्युक्त मांगोंके लिए पिछले माह भंडारा पहाडकी तलहटीमें वारकरियोंद्वारा आंदोलन किया गया था । इस अवसरपर १५ दिनोंमें इस विषयमें निर्णय लेनेका आश्वासन मिलनेके उपरांत वह आंदोलन वापस लिया गया; परंतु वैसा कोई निर्णय न मिलनेके कारण पुनः आंदोलन करनेका निर्णय लिया गया है । (वारकरियोंको कीर्तन करनेकी अपेक्षा आंदोलन करनेके लिए विवश करनेवाले शासकोंको सत्तासे हटाएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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