आषाढ कृष्ण ८ , कलियुग वर्ष ५११५
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केरल शासनके शिक्षण विभागद्वारा संस्कृत भाषा शालाओंसे सीमापार करनेका षडयंत्र रचा गया है । संस्कृत अध्यापकोंके लिए ली जानेवाली परीक्षामें कठिन धारा सिद्ध कर कष्टदायक शर्तें लगाई जाती हैं । इस संदर्भमें कुछ कृत्य इस प्रकार हैं –
अ. वर्ष २००८ में शिक्षण विभागद्वारा संस्कृत अध्यापकोंके लिए ली जानेवाली परीक्षाका प्रबंध ही नहीं किया गया ।
आ. वर्ष २००९ में जनताद्वारा आंदोलन किए जानेके पश्चात हाल ही में जून मासमें इस परीक्षाका प्रबंध किया गया ।
इ. पिछले वर्ष एक विषयमें अनुत्तीर्ण विद्यार्थीको इस वर्षकी परीक्षाके लिए अनुमति अस्वीकार की गई ।
ई. परीक्षा हेतु ४०० परीक्षार्थियोंके निवेदन आए थे, किंतु केवल ५० परीक्षार्थियोंको ही परीक्षाके लिए अनुमति दी गई ।
उ. संस्कृत पाठशालामें ११ वीं उत्तीर्ण तथा संस्कृत भाषाको प्रथम प्राधान्य देनेवाले विद्यार्थीको ही परीक्षाके लिए अनुमति दी गई ।
ऊ. इस परीक्षाका विज्ञापन प्रकाशित ही नहीं किया गया ।
ए. परीक्षार्थियोंको परीक्षाकी पहचानपत्रिका दो दिन पूर्व दी गई ।
ऐ. परीक्षा केद्रोंकी संख्या अल्प की गई ।
उपयुक्त अडचनें उत्पन्न कर परीक्षार्थी परीक्षासे वंचित कैसे रहें, शिक्षण विभागद्वारा इस बातका ही प्रयास किया गया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात