आषाढ कृष्ण ९, कलियुग वर्ष ५११५
बेंगलुरु – यहांके महालक्ष्मी ले आऊट परिसर स्थित श्री प्रसन्न वीरांजनेय स्वामी देवस्थानका सरकारीकरण करनेका प्रयास हो रहा है । १९७३ में यहांके कुछ नागरिकोंने एक बडे शिलाखंडसे अजंनेयकी मूर्ति बनाकर इस देवस्थानकी निर्मिति की । आज यह देवस्थान बेंगलुरुका एक प्रमुख देवस्थान बन गया है । यहा दर्शन करनेवालोंकी संख्या दिनबदिन बढती जा रही है । मंदिरकी अभिवृद्धि सहन न कर पानेवाले कुछ व्यक्तियोंने राजकीय व्यक्तियोंसे हाथ मिलाकर यह देवस्थान अप्रैल २०१२ से प्रशासनके आधिपत्यमें दिया । तथा वहां प्रशासकीय अधिकारियोंको मनोनीत किया । इस प्रक्रियाके विरोधमें श्री प्रसन्न वीरांजनेयस्वामी देवस्थान मंडल द्वारा उच्च न्यायालयमें प्रविष्ट याचिकापर न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया । शासन द्वारा देवस्थान हथियाना अनुचित बताकर न्यायालयने प्रशासनका आदेश निरस्त किया । देवस्थानकी ओरसे अधिवक्ता एन. रवींद्रनाथ कामतजी विषेश ध्यान दे रहे हैं । इसके पश्चात पुन: मंदिरका सरकारीकरण करनेका प्रयास किया जा रहा है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात