आषाढ कृष्ण १०, कलियुग वर्ष ५११५
डॉ. स्वामीके अनुसार वक्तव्य देनेवाला एक भी नेता क्या अन्य राजनीतिक दलोंमें हैं ?
डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी |
मुंबई – जनता दलके अध्यक्ष डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामीद्वारा यह प्रतिपादन किया गया कि देशमें धर्मांधोंकी बढती हुई संख्या भविष्यमें आनेवाले भयंकर तूफानकी चेतावनी है । हिंदुस्थानमें धर्मांधोंके पक्षमें वक्तव्य देना ही समाजवाद माना जाता है, तो हिंदुत्वको पुष्टि देना धर्मांधता कहा जाता है । यदि इस परिस्थितिमें परिवर्तन लाना है, तो हिंदुत्वका प्रसार करनेकी आवश्यकता है । देशमें सक्षम हिंदू शासन सत्तामें आए, इसके लिए सभी हिंदुओंको इकट्ठा होना चाहिए । सुनील मोदीकी, ‘धर्मांधोंकी लोकसंख्या एक चिंता’, नामक पुस्तकका प्रकाशन शिवसेनाके नेता मनोहर जोशी तथा डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामीके हाथों हुआ । उस अवसरपर डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी बोल रहे थे ।
डॉ. स्वामीने आगे बताया,
१. देशकी लोकसंख्या धर्मांधोंके बहुपत्नीत्वके कारण नहीं, अपितु बांग्लादेशसे हो रही घुसपैठके कारण बढ रही है । बांग्लादेशको हिंदुस्थानद्वारा दिए गए क्षेत्रमेंसे १/३ क्षेत्र पुनः वापस लेनेका समय आ गया है ।
२. हिंदुस्थानपर अधिकांश समय आक्रमण हुए, तो भी देशमें हिंदुत्व शेष है ।
३. यहांके धर्मांध भी वास्तवमें हिंदू ही हैं, उन्हें इसका भान करवा कर देना चाहिए । यदि चाहिए, तो वे अपनी डीएनए जांच करें । केंब्रिजद्वारा किए गए हिंदुस्थानकी डीएनए जांचमें यह सिद्ध हुआ है कि सभीकी डीएनए एक समान है । इस बातसे यहांके धर्मांधोंके पूर्वज हिंदू ही थे, इस बातको उन्हें स्वीकारना ही होगा ।
४. हिंदुत्वका प्रसार कर जो धर्मांध हिंदू बननेकी इच्छा रखते हैं, उनका स्वागत करना ही होगा ।
५. पाकिस्तान तथा अफगानिस्तानमें बढ रहा तालिबानी हस्तक्षेप हिंदुस्थानके लिए चेतावनी है ।
६. २०७१ तक इस देशमें धर्मांधोंकी लोकसंख्या इतनी बढ जाएगी कि यह धर्मांधबहुल देश कहा जाएगा । अतः विश्वमें एकमात्र शेष हिंदू संस्कृति संपुष्टमें आएगी । इसलिए आगामी चुनावमें देशके समस्त हिंदू एकजुटतासे मतदान करें एवं हिंदू शासनकी सत्ता लाएं ।
७. धर्मांध अन्य धर्मकी लडकियोंके साथ विवाह करते हैं; अतः उनकी संख्या बढ रही है । धर्मांधोंद्वारा विश्वके कुछ देशोंमें बलपूर्वक धर्र्मपरिवर्तन किया गया तथा आतंकवाद फैलाकर मुस्लिम राष्ट्रोंकी स्थापना की गई ।
८. वर्तमानमें भारतमें ८० प्रतिशत हिंदू शेष रह गए हैं, इसका कारण अर्थात धर्मांध तथा अंग्रेजोंका आक्रमण रोकने हेतु छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, पेशवे, रानीr लक्ष्मीबाई, सुभाषचंद्र बोसद्वारा किया गया युद्ध ही है ।
९. हमारे इतिहासमें औरंगजेब एवं अकबरके विषयमें पन्नेके पन्ने लिखे गए; किंतु विजयनगरीके विषयमें उल्लेख भी नहीं ।
१०. केरलमें हिंदू अपने स्वामित्वकी भूमिका धर्मांधोंके अतिरिक्त किसीको भी विक्रय नहीं कर सकते, वहां इस प्रकारकी स्थिति उत्पन्न हो गई है । वहां पुलिस तथा अधिनियमका अस्तित्व ही शेष नहीं रहा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात