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मुख्यमंत्रीद्वारा (अंध)श्रद्धाविरोधी अधिनियम पारित करनेके वक्तव्यसे वारकरी संप्रदाय संतप्त !

आषाढ कृष्ण १२, कलियुग वर्ष ५११५

हिंदुओ, हिंदू धर्मपर आघात करनेवाला अधिनियम निरस्त होनेतक वारकरियोंका निश्चयपूर्वक समर्थन कर वैध मार्गसे लडाई आरंभ रखें !

(अंध)श्रद्धाविरोधी अधिनियम पारित करनेके संदर्भमें संसदीय कामकाजमंत्री हर्षवर्धन पाटिल द्वारा संदिग्ध भूमिका प्रस्तुत की गई, तो मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाणने, वर्षाकालीन अधिवेशनमें यह अधिनियम पारित करेंगे, ऐसा बताया है । इस हिंदूद्रोही अधिनियमका हिंदुत्ववादी संगठन तथा वारकरी संप्रदाय द्वारा तीव्र विरोध किया जा चुका है तथा मुख्यमंत्रीके वक्तव्यसे वारकरी संप्रदाय अत्यधिक क्रोधित हो चुका है । हिंदूद्रोही अधिनियम पारित करनेका षडयंत्र रचनेवाले सत्ताधारी सत्ता छोडनेकी सिद्धता कर ही अधिनियम पारित करें, ऐसा वारकरियोंकी ओरसे बताया गया है; तथा संपूर्ण वारीमें मुख्यमंत्रीके विरुद्ध वातावरणकी सिद्धता हो गई है ।

दोनों कांग्रेस हिंदूद्रोही अधिनियम पारित करनेका पागलपन दिमागसे हटाएं ! – भीष्माचार्य ह.भ.प. निवृत्ती महाराज वक्ते, अध्यक्ष, राष्ट्रीय वारकरी सेना

आजतक १३ धारा तथा इस बार १, ऐसी १४ धारा अधिनियमसे निरस्त की गई हैं, ऐसा सुननेमें आया है । यदि यह अधिनियम हिंदूद्रोही नहीं, जैसा प्रशासनका कहना है, तो ये धारा क्यों निरस्त की गई ? सुधारित अधिनियम पहले अधिनियमसे भयावह बनाया गया है । नास्तिकोंकी बातमें आकर यदि शासनकर्ता हिंदुओंको धोखा देनेका प्रयास करेंगे, तो वह किसी भी हालतमें सहन नहीं होगा । विधेयक सिद्ध कर उसमें निरंतर परिवर्तन किए जा रहे है; क्योंकि यह अधिनियम हिंदू धर्मविध्वंसक है; यह हिंदूद्रोही षड्यंत्र न समझ सके, हिंदू इतने भोले भी नहीं हैं । इस संदर्भमें हमने अनेक लोकप्रतिनिधियोंसे भेंट कर उनका भी प्रबोधन किया है । यदि इन सत्ताधारियोंको अधिनियम पारित करना ही है, तो वे अपनी कुर्सी छोडनेकी सिद्धता रखें । संपूर्ण महाराष्ट्रके वारकरी इस अधिनियमका विरोध करेंगे, किसी भी हालतमें इसे स्वीकार नहीं करेंगे । हिंदुओंकी धर्मश्रद्धाओंपर आघात करनेवाले अपने दिमागसे अधिनियमका पागलपन हटा दें, तो उनके लिए अच्छा रहेगा !

अधिनियम पारित करनेपर मुख्यमंत्रीका घेराव करेंगे ! – ह.भ.प. प्रकाश महाराज जवंजाल, अध्यक्ष, वारकरी महामंडल

प्रस्तावित जादूटोनाविरोधी अधिनियमको वारकरी संप्रदाय, हिंदुत्ववादी संगठन, आदि विरोधी पक्षोंका तीव्र विरोध है । प्रशासन द्वारा अबतक विधेयकसे १३ धारा निरस्त की गई हैं । इस अधिनियमानुसार संत ज्ञानेश्वर महाराजने भैंसेके मुखसे वेद बुलवाए, ऐसा कहना भी अपराध सिद्ध होगा । सुधारित प्रारूप द्वारा अधिनियमकी व्यापकता बढाई गई है । वर्षाकालीन अधिवेशनमें जादूटोनाविरोधी अधिनियम पारित करेंगे,  मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा कहा गया है । अधिनियम पारित करनेपर वारकरियोंद्वारा आषाढ एकादशीके दिन मुख्यमंत्रीका घेराव किया जाएगा, यह बात वे याद रखें । इस अधिनियमका विरोध नहीं है, ऐसा यदि कोई कहता है, तो वह उसका व्यक्तिगत मत होगा । वारकरी संप्रदायको आज भी इस अधिनियमका तीव्र विरोध ही है ।

चिंतन हेतु जादूटोनाविरोधी अधिनियमका प्रारूप प्राप्त न होनेसे अधिनियमका तीव्र विरोध ! – ह.भ.प. नरहरी महाराज चौधरी, सचिव, वारकरी महामंडल

महाराष्ट्र प्रशासन पारित करने जा रहे जादूटोनाविरोधी अधिनियमकी कोई आवश्यकता नहीं । अधिनियमके माध्यमसे प्रशासन महाराष्ट्रकी जनतापर अन्याय कर रहा है । वर्तमान भारतीय दंडविधान अंधश्रद्धा रोकनेमें सक्षम है । इस दंडविधानके आधारपर आजतक संबंधित अपराधोंमें अपराधियोंको दंड दिया गया है । वर्तमान अधिनियमकी कार्यवाही यदि यथार्थतासे की जाए, तो नए अधिनियमकी आवश्यकता नहीं होगी । ऐसी स्थितिमें प्रशासन यह अधिनियम पारित करनेकका षड्यंत्र क्यों रच रहा है ? न्यायाधीश, विधितज्ञ, अधिवक्ता जैसोंको प्रारूप सिद्ध करने हेतु कहनेकी अपेक्षा प्रशासनद्वारा नास्तिक लोगोंको अधिनियमका प्रारूप सिद्ध करनेका दायित्व दिया गया है । यह बात प्रशासनको शोभा नहीं देती । अधिनियमका प्रारूप सिद्ध करनेवाले अतिनीच व्यक्तियोंको सामाजिक, सांप्रदायिक, मानवता आदि किसी भी प्रकारका उत्तरदायित्व नहीं है । आजतक वारकरी संप्रदाय एवं सारे साधुसंतोंने अंधश्रद्धाओंके विरोधमें समाजमें जागृति करनेका कार्य किया है; अत: प्रशासन वारकरी संप्रदायसे अंधश्रद्धाके विषयमें कुछ ना कहे । मुख्यमंत्री द्वारा अधिनियमका प्रारूप वारकरियोंको चिंतन हेतु दिया जाएगा, ऐसा आश्वासन दिया गया था; किंतु अभीतक यह प्रारूप नहीं दिया गया । जबतक वारकरियोंको प्रारूप नहीं दिया जाता, तबतक वारकरी संप्रदाय अधिनियमका विरोध ही करेंगे !

पहले गोवंशहत्याबंदी अधिनियम पारित करें, तत्पश्चात जादूटोनाविरोधी अधिनियमका विचार करें ! – ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्री, अध्यक्ष, वारकरी प्रबोधन समिति

प्रशासनने जादूटोनाविरोधी अधिनियम बनाते समय वारकरियोंके मतपर ध्यान नहीं दिया । जिन्हें वारकरी संप्रदायके प्रतिनिधि जानकर प्रशासनने चर्चा हेतु बुलाया, वे किसी भी वारकरी संगठन अथवा संप्रदायके कार्यकर्ता अथवा पदाधिकारी नहीं हैं । ऐसे लोगोंको वारकरियोंके रूपमें शासनदरबारमें प्रस्तुत किया गया तथा सच्चे वारकरी, जैसे वारकरी संप्रदायके भीष्माचार्य ह.भ.प. निवृत्ती महाराज वक्तेके मतपर ध्यान ही नहीं दिया । गोवंशहत्याबंदी अधिनियम कार्यान्वित किया जाए, इस मांग हेतु वारकरी संप्रदाय द्वारा प्रशासनसे निरंतर संपर्क किया गया; किंतु उसकी ओर कुछ भी ध्यान नहीं दिया गया । अत: प्रशासन पहले गोवंशहत्याबंदी अधिनियम कार्यान्वित करे, तथा उसके पश्चात जादूटोनाविरोधी अधिनियमका विचार करे ।

अधिनियम पारित करनेपर प्रशासनको गंभीर परिणामोंका सामना करना पडेगा ! – ह.भ.प. विवेकानंद वास्कर महाराज, न्यासी, संत ज्ञानेश्वर महाराज, दिंडी समारोह

अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियमका विधेयक तैयार करते समय वारकरी बंधुओंको समाविष्ट नहीं किया गया । वारकरी संप्रदायको अंधेरेमें रखकर राज्यप्रशासन यह अधिनियम पारित कर रहा है । वारकरी संप्रदाय अपने विरोधपर अटल है । यदि राज्यप्रशासन यह अधिनियम पारित करता है, तो प्रशासनको उसके कृत्यके परिणाम भुगतने पडेंगे ।

अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियमका विधेयक निरस्त होनेतक आंदोलनकी तीव्रता आरंभ रहेगी ! – श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र समन्वयक, हिंदू जनजागृति समिति

दोनों कांग्रेसप्रणीत आघाडी शासन वर्षाकालीन अधिवेशनमें अंधश्रद्धा निर्मूलन अधिनियमका विधेयक पारित करने हेतु उतावले हो रहे हैं; किंतु यह विधेयक पहलेसे अधिक धोखादायक बनाया गया है । विधेयकसे धारा १३ हटानेसे शेष धार्मिक स्वातंत्रता भी नष्ट हो गई है । तथा ‘भोंदू बाबा’ शब्द हटाकर ‘भोंदू लोग’ ऐसा प्रयोग कर अधिनियम सारी श्रद्धालु जनताके माथे मढ दिया जाएगा । अत: यह अधिनियम उनके धार्मिक स्वातंत्र्यपर आघात है । अधिनियमकी व्यापकता बढाकर अधिकाधिक धार्मिक संस्कारोंको अधिनियमके नियंत्रणमें लानेका षड्यंत्र रचा गया है । ये सारे परिवर्ततन प्रशासनने अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समितिके प्रा. श्याम मानवसे बंद कक्षमें चर्चा कर किए हैं । अब प्रशासन इन परिवर्तनोंको वारकरियों द्वारा सुझाए जानेकी बिलकुल झूठी बात बता रहा है । यह विधेयक निरस्त होनेतक हिंदू जनजागृति समितिके आंदोलनकी तीव्रता बढती जानेवाली है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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