आषाढ कृष्ण १२ , कलियुग वर्ष ५११५
भारतका विनाश टालनेके लिए भारतको ’हिंदू राष्ट्र’ के रूपमें घोषित करना चाहिए ! – पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिंदू जनजागृति समिति
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बेंगळुरू – यहांके चालुक्य उपाहारगृह (होटल) के ’सम्राट’ सभागृहमें हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळेने ’हिंदू राष्ट्र’ की आवश्यकता’ इस विषयपर हिंदूनिष्ठ संगठनोंके प्रमुख व्यक्तियोंका मार्गदर्शन किया एवं आवाहन किया कि भारतका विनाश टालनेके लिए भारतको ’हिंदू राष्ट्र’ के रूपमें घोषित करना चाहिए । इस मार्गदर्शनमें अधिवक्ताओंके साथ विविध संगठनोंके प्रमुख व्यक्ति ऐसे कुल मिलाकर १०० से अधिक नागरिक सम्मिलित हुए थे ।
पू. डॉ. पिंगळेने आगे कहा कि आज भारत अनेक समस्याओंसे ग्रस्त है । शिक्षा, वैद्यकीय, न्यायालय समान अनेक क्षेत्र समस्याओंमें डूबे हैं । भ्रष्टाचार चरम सीमापर पहुंच गया है । आजकी इस स्थितिके लिए वर्तमान समयके राजनीतिज्ञ ही उत्तरदायी हैं । राजनेता देशकी रक्षा करनेके स्थानपर देशको लूट रहे हैं । परिणामतः समस्त प्रजा भ्रष्ट हो गई है । उत्तराखंडके जलप्रलयका कारण वहांकी सरकारद्वारा पवित्र तीर्थस्थानोंको पर्यटन स्थलमें रूपांतरका परिणाम ही है । उसका दुष्परिणाम जनता भोग रही है ।
इसमें सुधार करने हेतु हमें इतिहासका अभ्यास कर ’हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु हरिहर-बुक्क तथा छत्रपति शिवाजी महाराजने धर्मशक्तिके आधारपर जो प्रयास किए, उन प्रयासोंके समान प्रयास करने चाहिए । हिंदू राजा-महाराजाओंने ऋषि-मुनियोंके मार्गदर्शनमें ’हिंदू राष्ट्र’ स्थापित कर आदर्श शासन दिया । आज विश्वमें ईसाईयोंके १५२ देश हैं, मुसलमानोंके ६२ देश हैं; परंतु ’हिंदू राष्ट्र’ एक भी नहीं है । अतः भारतको ’हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने हेतु प्रयास करने चाहिए । प्रत्येक हिंदूको हिंदू धर्मका आचरण करना चाहिए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात