उत्तराखंडके आपद्ग्रस्तोंको योगऋषि रामदेवबाबाकी ओरसे स्वयंसेवकोंके माध्यमसे सहायता !

आषाढ कृष्ण १२ , कलियुग वर्ष ५११५

उत्तराखंडके आपद्ग्रस्तोंको योगऋषि रामदेवबाबाकी ओरसे १०० प्रशिक्षित स्वयंसेवकोंके साथ ७०० स्वयंसेवकोंके माध्यमसे सहायता !

भारत स्वाभिमान एवं पतंजली योग समितिका कार्य सारे हिंदुत्ववादी संगठनों हेतु आदर्श !

विशेष प्रतिनिधि


हरिद्वार – उत्तराखंडमें १७ जूनको आई महाप्रलयमें फंसे सहस्रों आपद्ग्रस्तोंकी सहायता करने हेतु योगऋषि रामदेवबाबाके भारत स्वाभिमान एवं पतंजली योग समितिकी ओरसे अगवानी की गई । भारत स्वाभिमानके गोवा राज्य प्रमुख श्री. कमलेश बांदेकरजीने दी है कि ५ स्थानोंपर स्थापित सहायता केंद्रों द्वारा अनेक आपद्ग्रस्तोंको जितनी हो सके उतनी हर प्रकारकी सहायता की जा रही है । इस कार्यमें १०० प्रशिक्षित स्वयंसेवकोंसमेत ७०० स्वयंसेवक सहभागी हुए हैं । श्री. बांदेकर, उनके सहकारी मये, गोवा स्थित किसान संगठनके अध्यक्ष श्री. कमलाकांत तारी तथा पर्वरीके भारत स्वाभिमानके कोषाध्यक्ष श्री. जब्बारसिंह राजपुरोहित वहांके सहायता कार्यमें प्रत्यक्ष सहभागी हुए थे ।

योगऋषि रामदेवबाबाद्वारा आपद्ग्रस्तोंको सहायता करनेका  आवाहन

हरिद्वारमें भारत स्वाभिमानकी राष्ट्रीय कार्यकारिणीकी बैठक बुलाई गई थी; किंतु उत्तराखंडमें महाप्रलयकी बात सुनकर बैठक शीघ्र ही समाप्त कर योगऋषि रामदेवबाबाकी ओरसे स्वयंसेवकोंको उत्तराखंडमें सहायता कार्य हेतु जानेका आवाहन किया गया । उसके अनुसार भारतभरसे हरिद्वार आए सारे स्वयंसेवक तथा उत्तराखंडके परिसरसे अन्य स्वयंसेवकोंने वहां आपद्ग्रस्तों हेतु सहायता कार्य आरंभ किया । इस सहायता कार्यमें आचार्य बाळकृष्णजी स्वयं सहभागी हुए थे ।
आपत्तिके दूसरे ही दिन वहां ६४ सहस्र बिस्कुटकी पुडियां, १४ सहस्र पानीकी बोतलें आदि साहित्य भेजा गया । सहस्रधारा, उत्तरकाशी, गुप्तकाशी, हृषिकेश तथा देहरादूनमें स्थापित ५ सहायता केंद्रों द्वारा घायल आपद्ग्रस्तोंकी सेवा-सुश्रुषा करनेका कार्य प्राधान्यसे किया गया । भारत स्वाभिमानके कुल मिलाकर ७०० स्वयंसेवक वहांके सहायता-कार्यमें सहभागी हुए थे । अकोलासे भी १०० प्रशिक्षित स्वयंसेवक उत्तराखंडमें दूसरे दिनसे ही कार्यरत हैं ।

वहां आपद्ग्रस्तोंका प्रथमोपचार करनेसे उनके रिश्तेदारोंसे भेंट होनेतक लगनेवाली हर प्रकारकी सहायता भारत स्वाभिमानकी ओरसे की जा रही है । भारत स्वाभिमानके पूरे भारतभरके कार्यकर्ता अभी भी उत्तराखंडमें जाकर वहां उद्ध्वस्त हुए गावोंका पुनर्वसन करना, वैद्यकीय शिविर चलाना आदि सेवा कर रहे हैं ।

शासनकी निष्क्रियतासे संताप; तो सेनादलोंके प्रति आभार ! –  श्री. कमलेश बांदेकर

‘वहांकी स्थिति इतनी भीषण है कि सामान्य व्यक्ति उसे देख भी नहीं सकता । वहांके ६५ गांव पूर्णत: उद्धवस्त हो गए हैं । इतना होनेपर भी शासनकी ओरसे कोई भी सहायता केंद्र अथवा तत्सम कार्य नहीं किया गया । प्रशासनने आपद्ग्रस्तोंके रिश्तेदारोंकी व्यवस्था करनेके लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी । सेनादलों द्वारा भारी मात्रामें बचाव एवं राहत कार्य किया गया । उनके प्रति जितना आभार व्यक्त करें, अल्प ही है !’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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