आषाढ कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११५
आतंकवादियोंकी हत्या नहीं करें, तो क्या उन्हें प्रतिदिन सिरका कोरमा तथा बिरियानी पहुंचाई जाए ? – उद्धव ठाकरे
हिंदुओ, यह बात ध्यानमें रखें कि आपके मनमें केवल ज्वलंत हिंदूनिष्ठ शिवसेनाप्रमुखोंकी शिवसेना ही झांक सकती है !
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मुंबई – आजतक धर्मांधोंकी चापलूसीके संदर्भमें अनेक प्रयोग किए गए; किंतु इशरतका यह प्रकरण देशकी चरमसीमा पार करनेवाला है । सत्यमेव जयते तथा तीन सिंहोंके बोधचिह्न हटाकर उस स्थानपर ‘इशरतमेव जयते’ नामक बोधचिह्न स्वयंके छायाचित्रोंके साथ प्रकाशित करनेका यह प्रकार निर्लज्ज स्वरूपका है । सी.बी.आइ.का कहना है कि इशरतजहांका यह झगडा दिखावटी था; किंतु किसी देशद्रोही आतंकवादी गुटको इस प्रकारके दिखावटी झगडेमें मृत्यु आए, तो उसमें क्या बिगडता है ? देश तथा समाज तो इस झगडेके कारण सुरक्षित हुआ न ! आतंकवादियोंकी हत्या नहीं करें, तो क्या उन्हें प्रतिदिन कोरमा तथा बिरियानीकी थाली पहुंचाई जाए ?
शिवसेनाके कार्यकारी प्रमुख श्री. उद्धव ठाकरेद्वारा दैनिक सामनाके ५ जुलाईके ‘इशरतमेव जयते,’ इस संपादकीयमें यह प्रश्न पूछा गया कि सी.बी.आइ.की ओरसे इशरतके विषयमें जो कृत्य किया गया, देशको उसका भयंकर मूल्य चुकाना पडेगा । हम इस आपत्तिकी घंटी आज ही बजा रहे हैं । अर्थात घंटी बजाकर भी क्या इस देशके हिंदू सतर्क होंगे ?
संपादकीयमें श्री. उद्धव ठाकरेद्वारा किए गए कुछ महत्त्वपूर्ण विधान इस प्रकार…
१. इस देशमें साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुरको आतंकवादी सिद्ध करनेमें शासनको क्या प्रतीत होता है ? शंकराचार्यजीको भी अपराधी निश्चित किया जाता है; किंतु केवल धर्मांध होनेके कारण इशरतजहांको निरपराध सिद्ध करनेका प्रयास हो रहा है । कांग्रेसके इस दिखावटी धर्मनिरपेक्षताके कारण धर्मांध धर्मांधोंका दुस्साहस बढ गया है तथा देशद्रोहियोंको बल प्राप्त हो रहा है । कांग्रेसकी यह देशद्रोही प्रवृत्ति देशको एक अन्य विभाजनकी खाईमें ढकेल रही है ।
२. इशरतजहांको निर्दोष तथा निरपराध सिद्ध कर राजनेताओंद्वारा इस देशकी मुस्लिम मतपेटीपर डाका डालनेका षडयंत्र रचा जा रहा है । मतोंके स्वार्थी राजनीतिके कारण एक आतंकवादीको निरपराध सिद्ध करनेका ऐसा भयंकर प्रकरण विश्वमें कभी भी तथा कहीं भी न हुआ होगा ।
३. इशरतजहांके लश्कर-ए-तोयबाके आतंकवादी होनेका निश्चित प्रमाण डेव्हिड हेडलीद्वारा शिकागो न्यायालयमें प्रस्तुत किया गया है । उसके अनुसार यह बात हेडलीद्वारा ही स्पष्ट की गई कि मई २००४ में पाकिस्तानका एजेंट जावेद तथा इशरत इन दोनोंने मिलकर कर्णावतीके महत्त्वपूर्ण स्थानोंकी जांच कर आतंकवादी आक्रमणका बडा नियोजन किया था; किंतु गुजरात पुलिसद्वारा यह नियोजन उधेडा गया ।
४. क्या अब सी.बी.आइ.वाले भी यह कहेंगें कि अब यह जो हेडली है, वह भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघका
लाठी-पारंगत कार्यकर्ता है तथा नरेंद्र मोदीद्वारा दी गई चेतावनीके कारण इशरतजहांको आंतकवादी सिद्ध कर रहा है ।
५. इशरतके साथ पाकके अल्लाको प्यारे हुए अमजद अली राना, जिशान जौहर तथा जावेद शेख ये भी पाकके आतंकवादी ही थे । उनके साथ इशरतजहां क्या कर रही थी ? इसका उत्तर देनेमें लिए सी.बी.आइ. असमर्थ है ।
६. हिंदू तथा धर्मांध इस प्रकारके सीधे दो पक्ष कर कांग्रेस अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहा है । उसके लिए देशकी सुरक्षा तथा प्रतिष्ठा चूल्हेमें डाली जा रही है । यह भयंकर बात है ।
७. इतने वर्षोंके उपरांत भी देशकी राजनीति गुजरात हिंसाके आस-पास ही घुमाई जा रही है । इशरतके तोयबाके साथ संबंध थे, यह ज्ञात होते हुए भी उसी इशरतको धर्मांधोंकी रानी चेन्नमा अथवा झांसीकी रानी सिद्ध करनेका प्रयास आरंभ है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात