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परबा गांवमें समितिके कार्यक्रममें तीन सौसे अधिक ग्रामवासियोंकी उत्स्फूर्त उपस्थिति

आषाढ शुक्ल २ , कलियुग वर्ष ५११५


४ सहस्र लोकसंख्यावाले  इस गांवमें अभीतक बिजलीकी सुविधा नहीं है ।

भुवनेश्वर – ओडिशा तथा झारखंड राज्यकी सीमापर अतिशय दुर्गम क्षेत्रमें परबा नामक गांवमें ‘हिंदू धर्मकी सद्य:स्थिति  तथा हिंदू संगठनकी आवश्यकता’ इस विषयपर आयोजित किए गए कार्यक्रममें गांवके तीन सौसे अधिक ग्रामवासियोंद्वारा उत्सफूर्तरूपसे सकारात्मक प्रतिसाद प्राप्त हुआ ।

सिमडेगा जनपदके परबा गांवके माध्यमिक पाठशालामें इस कार्यक्रमका आयोजन किया गया था । हिंदू धर्मियोंपर मुसलमान तथा ईसाईयोंद्वारा हो रहे आक्रमणकी जानकारी दी गई । साथ ही हिंदू जनजागृति समितिके श्री. प्रकाश मालोंडकरद्वारा ‘राष्ट्र तथा धर्मपर होनेवाले आक्रमणके विरोधमें समाजप्रबोधन, धर्मशिक्षा तथा हिंदूसंगठनकी क्या आवश्यकता है’,  उपस्थित व्यक्तियोंको इस विषयकी जानकारी दी गई । संप्रदाय, दल, जाति, संगठन तथा पद आदिमें  फसनेके कारण विभाजित  हिंदुओंका संगठित होना तथा उससे हिंदू राष्ट्र् स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है । यदि हिंदू राष्ट्र स्थापित हुआ, तो हिंदुओंकी सभी समस्याओंका निराकरण अपनेआप होगा । यह बताकर श्री. मांडोलकरने समिति तथा सनातन संस्थाद्वारा किए जानेवाले धर्मजागृति तथा धर्मरक्षाके कार्यके संदर्भमें जानकारी दी ।


श्री. युगल किशोर नाथ, श्री. महेश साहु, श्रीमती बबीतादेवी, श्री. लक्ष्मण मांझी आदि मान्यवर ग्रामवासियोंद्वारा तथा बीरमित्रपुरमें निवास करनेवाले गोरक्षा मंचकी कु. कोईली भगत, श्री. प्रेम प्रकाश तथा श्री. शिवचरण गोप आदि धर्माभिमानियोंद्वारा कार्यक्रमके विषयमें विचार व्यक्त किए गए । सभी धर्माभिमानियोंद्वारा यह बताया गया कि गांवमें निरंतर इस प्रकारकी जनजागृति करनेवाले कार्यक्रम आयोजित करना आवश्यक है । ग्रामवासियोंकी विनतीपर प्रत्येक पंद्रह दिनके पश्चात धर्मशिक्षावर्गका आयोजन करनेका निश्चित किया गया है ।


क्षणिकाएं

अ. जून २०१३ में गोवामें हुए अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें उपास्थित श्री. शिवचरण गोपद्वारा अधिवेशनमें प्रेरणा प्राप्त कर यह कार्यक्रम आयोजित करनेमें विशेष पहल की गई थी ।

आ. कार्यक्रमके लिए ८ से १४ वर्षके  आयुवर्गके ४० से अधिक बच्चे थे, उन्होंने कार्यक्रमके प्रारंभसे अंततक दो घंटे शांतिसे बैठकर कार्यक्रममें सहयोग किया ।

इ. ४ सहस्र लोकसंख्यावाले  इस गांवमें अभीतक बिजलीकी सुविधा नहीं है । प्रमुख मार्गसे लगभग १० कि.मी. तक दुर्गम क्षेत्रमें यह गांव है । यदि गांवमें जाना है, तो पैदल, ऑटोरिक्शा अथवा निजी वाहनसे जाना पडता है । यहांके लोगोंके मनमें राष्ट्र तथा धर्मके विषयमें जाननेकी तथा कुछ करनेकी जिज्ञासा तथा उत्साह दिखाई दिया ।

ई यद्यपि कार्यक्रमके अंतिम सत्रमें कुछ मात्रामें वर्षा हुई, किंतु लोगोंने अत्यंत शांतिसे कार्यक्रममें सहभाग लिया । उत्सफूर्तरूपसे राष्ट्र तथा धर्मविषयक घोषणाएं भी की गइं ।

उ श्री. शिवचरणकी मौसी श्रीमती बबीतादेवी, यह कार्यक्रम गांवमें हो, इसके लिए पिछले माससे प्रयास कर रही थीं । इतने दुर्गम गांवमें उन्होने दोपहिया चलाकर उत्साहसे प्रसार किया ।

ऊ. प्रोजेक्टर लाने हेतु चारपहिया वाहनकी सुविधा, जेनरेटर, राऊरकेलासे आए धर्माभिमानियोंके भोजनके प्रबंध आदिमें षयमें ४-५ धर्माभिमानियोंद्वारा स्वेच्छा सहयोग प्राप्त हुआ ।

ए श्री. शिवचरणकी मां श्रीमती सुनीता गोप यह कार्यक्रम देखकर प्रभावित हुइं तथा उन्होने यह विनती की कि हमारे संप्रदायमें इस प्रकार कुछ भी नहीं बताया जाता । इस प्रकार घटना घटती है, इस विषयकी जानकारी हमें इस कार्यक्रमके कारण ही हुई । इसी प्रकारका कार्यक्रम हमारे गांव अर्थात बीरमित्रपुरमें आयोजित करें ।

स्त्रोत : दैनिक  सनातन प्रभात

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