आषाढ शुक्ल ३ , कलियुग वर्ष ५११५
विद्यावाचस्पति डॉ. शंकर अभ्यंकर |
पुणे – आज हिंदू धर्मपर विविध माध्यमोंसे आघात हो रहे हैं । हिंदुओंकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है । हिंदुओंको जागृत होकर संगठित होना चाहिए, तो ही स्वतंत्रतावीर सावकरको अभिप्रेत हिंदू राष्ट्र साकार हो सकेगा, विद्यावाचस्पति डॉ. शंकर अभ्यंकरजीने यह प्रतिपादित किया । स्वतंत्रतावीर सावरकर स्मृति प्रतिष्ठानकी ओरसे चार पराक्रमी एवं शूर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओंको उनके हाथों साहस पुरस्कारोंका वितरण किया गया । ७ जुलाईको पुणेके लोकमान्य सभागृहमें यह कार्यक्रम संपन्न हुआ । इस अवसरपर करवीर पीठके जगद्गुरु शंकराचार्य विद्यानृसिंह भारतीकी वंदनीय उपस्थिति थी । देहलीके डॉ. राकेश रंजन, श्री. निशांत जिंदाल, पंडित महेंद्रपाल आर्य तथा स्वामी ओम शर्माको पुरस्कारसे सम्मानित किया गया ।
पुरस्कारका उत्तर देते हुए जन्मसे मुसलमान किंतु अब हिंदू बने, पंडित महेंद्रपाल आर्यने कहा, मुझे वेदोंका अभ्यास कर लोगोंको इस्लाममें धर्मांतरित करनेको कहा गया था; किंतु वेदोंका अभ्यास करनेपर वेद ही शाश्वत ज्ञान है, यह मेरी समझमें आया । वेदोंमें ही सही ज्ञान समाया है । इस अवसरपर हिंदू महासभाकी नेता श्रीमती हिमानीताई सावरकर, पुणे नगर हिंदू महासभाके श्री. गजानन नेरकर आदि उपस्थित थे ।
क्षणचित्र
१. कार्यक्रमका प्रारंभ स्वतंत्रतावीर सावरकरकी ‘अनादी मी, अनंत मी.’ ..इस कवितासे तथा अंत संपूर्ण `वन्दे मातरम’से हुआ ।
२. कार्यक्रमके चलते `हिंदू धर्मकी जय हो’, ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ ऐसी घोषणाएं की जा रही थीं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात