आषाढ शुक्ल ४, कलियुग वर्ष ५११५
वारकरियोंके साथ चर्चा करनेके उपरांत ही (अंध)श्रद्धाविरोधी अधिनियम पारित करेंगे, कई बार ऐसा कहनेवाले झूठे मुख्यमंत्रीने कहा ।
पुणे : वारकरियोंके विरोध करनेपर भी प्रशासन सुधारित जादूटोनाविरोधी अधिनियमको क्यों पारित कर रहा है, ?, ऐसा प्रश्न दैनिक सनातन प्रभातकी वार्ताकार कु. शलाका सहस्रबुद्धेने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहानसे किया । उसपर उन्होंने कहा कि वारकरियोंकी सारी सूचनाओंपर सोचनेके पश्चात अधिनियमका सुधारित प्रारूप बनाया गया है । इसपर मंत्रीमंडलमें चर्चा होगी । अनेक लोगोंने सुधारित विधेयक नहीं देखा है । यह अधिनियम केवल ‘अघोरी कृत्यों’ के संदर्भमें ही कार्यान्वित होगा । (`आषाढी वारी’ आरंभ होनेसे इस अधिनियमके विरोधमें वारकरी निरंतर चेतावनी दे रहे हैं । १२ जुलाईको भवानीनगर परिसरमें पालखी १ घंटा रोकनेकी चेतावनी दिए जानेपर भी मुख्यमंत्री उसे अनदेखा तथा अनसुना कर रहे हैं; यह उपरोल्लेखित वक्तव्यसे स्पष्ट है । वारकरियोंकी धर्मभावनाओंका आदर न करनेवाले मुख्यमंत्री क्या सत्तामें रहनेयोग्य हैं ? इस प्रकारकी उदासीनता क्या वे मुसलमान अथवा ईसाईयोंके संदर्भमें दिखाते ? भविष्यमें यदि वारकरियोंके आंदोलनका ( विस्फोट ) उद्रेक हुआ, तो उसका उत्तरदायित्व मुख्यमंत्रीपर रहेगा, क्या वे इस विषयमें गंभीरतासे सोचेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इन वक्तव्योंसे मुख्यमंत्री आनेवाले वर्षाकालीन अधिवेशनमें यह अधिनियम पारित करनेका निर्धार कर चुके हैं, यह बात तो स्पष्ट है ।
वारकरियोंकी एक और मांग है गोवंशहत्याबंदी । उस विषयमें पूछनेपर मुख्यमंत्रीने कहा कि गोवंशहत्याबंदी करनेका कोई भी विचार नहीं है । (इससे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्रीको हिंदुओंकी धर्मश्रद्धाओंमें विषयमें जरा भी आस्था नहीं है । हिंदुओ, आनेवाले चुनावमें मुख्यमंत्रीके साथ कांग्रेसको घर भेजें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात