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(अंध)श्रद्धा निर्मूलन विधेयकके विषयमें वारकरियोंका समाधान करनेके अतिरिक्त आगे नहीं जाएंगे !

आषाढ शुक्ल ७ , कलियुग वर्ष ५११५ 

वारकरियो, इससे पूर्व भी मुख्यमंत्रीने ऐसा झूठा वक्तव्य दिया था ! अतः यह निश्चित करें कि उनपर कितना विश्वास रख सकते हैं तथा विधेयक निरस्त होनेतक यह लडाई आरंभ ही रखें !

मुंबई, १४ जुलाई – संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन पाटिल तथा मंत्री शशिकांत शिंदेने प्रस्तावित (अंध)श्रद्धा निर्मूलन विधेयकके विषयमें वारकरियोंके साथ चर्चा की है । १४ जुलाईको वर्षाकालीन अधिवेशनकी पूर्व संध्याको सह्याद्रि अतिथिगृहमें आयोजित पत्रकार परिषदमें वे यह बता रहे थे । उस समय मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहानद्वारा वारकरियोंको यह आश्वासन दिया गया कि वारकरियोंका मत जानकर सभीका समाधान किया जाएगा । (आजतक वारकरियोंका समाधान नहीं हुआ; इसीलिए  वे विरोध कर रहे हैं । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) साथ ही जिन्हें इस विषयमें इससे कुछ आपत्ति हैं, उनके समाधानकी पूर्ति करनेके अतिरिक्त आगे नहीं जाएंगे ।’ 

यदि अधिनियम सम्मत हुआ तो सत्ताको धक्का पहुंचेगा । इस प्रश्नपर मुख्यमंत्रीका मौन !

दैनिक सनातन प्रभातके पत्रकार श्री. नित्यानंद भिसेने मुख्यमंत्रीसे सीधा प्रश्न पूछा कि इस अधिनियममें राज्यकी राजनीतिमें परिवर्तन लानेकी शक्ति है तथा यह अधिनियम दोनों कांग्रेसके वर्तमान शासनद्वारा सम्मत किया गया, तो दोनों शासनको चोट पहुंचेगी, इस संदर्भमें आपका मत क्या है ? इस प्रश्नपर मुख्यमंत्रीके पास बैठे उपमुख्यमंत्री अजीत पवारकी त्योरीमें परिवर्तन हुआ, तो मुख्यमंत्री चौहान इसपर चुप रहे । तत्पश्चात दैनिक सनातन प्रभातके पत्रकारने पुनः एक बार विधेयकके विषयमें प्रश्न पूछा, तो मुख्यमंत्री प्रश्नका उत्तर न देकर पत्रकार परिषद बीचमें रोककर चल पडे । 

पुराने विधेयकको पीछे कर शासन अधिवेशनमें नया सुधारित विधेयक प्रस्तुत करेगा !

सदाकी तरह प्रलंबित विधेयककी सूचीमें इस वर्ष भी उपर्युक्त विधेयकका नाम है ; किंतु उसके आगे पुराने विधेयकको पीछे कर उसमें नया विधेयक प्रस्तुत करनेका प्रस्ताव समाविष्ट किया गया है । इस नए विधेयकका सुधारित नाम `महाराष्ट्र नरबली एवं अन्य अमानवीय प्रथा तथा टोनाटोटकाको प्रतिबंध एवं उसका समूल उच्चाटन विधेयक, २०१३’, है । अतः अंतमें शासनने विधेयकके लिए हो रहे विरोधपर पुनः एक बार कुछ शब्दों एवं वाक्योंमें परिवर्तन कर नए रूपसे विधेयक प्रस्तुत करनेकी सिद्धता की है; किंतु इसमें भी पहलेके अनुसार धर्मके लिए हानिकारक धाराएं अंतर्भूत हैं, यह जानकारी जांच सूत्रोंद्वारा प्राप्त हुई है । इस कारण इस विधेयकके लिए निरंतर विरोधियोंका विरोध रहेगा ही । 

यह विषय गंभीर है, इसलिए शासन भी विचार कर रहा है ! हर्षवर्धन पाटिल

मुख्यमंत्रीद्वारा पत्रकार परिषद रोकनेके पश्चात दैनिक सनातन प्रभातके पत्रकारने संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन पाटिलसे  व्यक्तिगत भेंट कर पूछा, ‘इस विधेयकके लिए वारकरियोंका विरोध है तथा दो पालकियोंको रोका गया है, साथ ही पंढरपुरकी पूजामें मुख्यमंत्रीका विरोध करनेका निर्णय लिया गया है । तो क्या निश्चित ही शासन वारकरियोंके साथ चर्चा करनेके लिए सिद्ध है ?’ इस प्रश्नपर पाटिलने प्रत्युत्तर दिया कि ‘यह विषय गंभीर है । इसलिए शासन भी इसका विचार कर रहा है ।’ 
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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