हिंदू संगठनोंके पृष्ठपोषणके कारण ही शासनद्वारा टालमटोल ! – सुभाष देसाई

आषाढ शुक्ल ८, कलियुग वर्ष ५११५

गोवंश हत्या प्रतिबंधक विधेयकमें विद्यमान त्रुटियोंका उत्तर देनेके लिए शासनके पास १० वर्षोंमें भी समय नहीं !

मुंबई – विधिमंडलने वर्ष १९९५ में प्राणी सुरक्षा (गोवंश हत्या प्रतिबंधक) विधेयक पारित कर राष्ट्रपतिकी अनुमतिके लिए भेजा । तत्पश्चात आजतकका इतिहास बहुत बडा है । राष्ट्रपति कार्यालयने विधेयकमें विद्यमान त्रुटियां दर्शाई; परंतु राज्यशासनने इन त्रुटियोंके विषयमें कुछ नहीं किया । अभीतक, इस विधेयकका आगे क्या हुआ, इस विषयमें विपक्षके २४ बार स्मरणपत्र भेजनेके उपरांत भी राज्यशासनने इसका उत्तर नहीं दिया । ( इसका स्पष्ट अर्थ है कि शासनको मुसलमानोंके मत प्राप्ति हेतु यह विधेयक पारित करना ही नहीं है ! हिंदुओ, पूरे देशसे प्रचुर मात्रामें गोमांस निर्यात किया जाता है । गोवंशकी रक्षा तो दूर; इसके विपरीत हिंदूनिष्ठ उसकी रक्षा करने जाते हैं, तो उनके ही विरोधमें अभियोग प्रविष्ट किए जाते हैं एवं इसके लिए हिंदू नेताओंकी हत्या भी की जाती है । इसलिए हिंदू एवं गोवंशकी रक्षाके लिए अब ''हिंदू राष्ट्र’’ चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

इस संदर्भमें सोमवारको भाजपाके विधायक श्री. सुधीर मुनगंटीवारके साथ उपस्थित सूत्रोंपर वार्तालाप करते हुए शिवसेनाके विधानसभाके गुटनेता श्री. सुभाष देसाईने पूछा कि उपर्युक्त विधेयक कृषि तथा पर्यावरण सभी दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण है; परंतु क्या केवल हिंदू संगठनोंके पृष्ठपोषणके कारण ही शासनद्वारा समय नष्ट करनेकी नीतिका अवलंब किया जा रहा है ? इस अवसरपर विपक्ष नेता श्री. एकनाथ खडसेने कहा कि शासन जानबूझकर त्रुटियां दूर नहीं करता अथवा शासनको यह कानून पारित करनेमें कोई चाह नहीं रही । अंततः शिवसेना, भाजपा, मनसे तथा शेकापके विधायकोंने प्रलंबित विधेयकपर शासनका  स्पष्टीकरण प्रस्तुत करनेकी मांग की ।

प्रमुख मंत्री एक बार कह दें कि वे अहिंसाप्रेमी गांधीजीका आदर्श नहीं मानते !  सुधीर मुनगंटीवार

राष्ट्रपति कार्यालयके पास कुल मिलाकर देशके ८३ तथा केवल महाराष्ट्रके २७ विधेयक पारित करने हेतु प्रलंबित हैं । उसमें महाराष्ट्र विधिमंडलने १९९५ में प्राणी सुरक्षा (गोवंश हत्याप्रतिबंधक) विधेयक पारित कर भेजा; तत्पश्चात २००३ में त्रुटियोंके संदर्भमें राज्यको पत्र प्राप्त हुआ; परंतु तदुपरांत १० वर्षोंमें बताई गई त्रुटियोंके निवारणके संदर्भमें पत्र नहीं भेजा गया । अभीतक २४ बार पृष्ठपोषण करनेके उपरांत भी राज्य शासनने कोई कार्यवाही नहीं की । भाजपाके विधायक श्री. सुधीर मुनगंटीवारने मुख्य मंत्रीको झटका लगाते हुए कहा कि गांधीजीने हमें अहिंसाकी सीख दी । उनका नाम लेकर हम राज्यका कामकाज कर रहे हैं; परंतु मुख्य मंत्री एक बार कह दें कि वे उनके आदर्शको नहीं मानते । यह विधेयक तितर-बितर हो गया है, तो शासन एक बार स्पष्ट करे कि यह विधेयक पारित करना है अथवा नहीं । इसपर अध्यक्ष दिलीप वलसे पाटिलने कहा कि विधेयक प्रलंबित रखना गंभीर विषय है । इसलिए शासन सभी विधेयकोंकी अडचनों तथा त्रुटियोंके विषयमें एक बार अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करे । इस समय मुख्य मंत्री पृथ्वीराज चौहानने कहा कि विधेयक विभिन्न विभागोंसे संबंधित होनेके कारण अभी जानकारी देना संभव नहीं है; परंतु इस विषयमें गुटनेताओंकी बैठकमें विचार-विमर्श किया जाएगा । ( गुटनेताओंकी बैठकमें विचार-विमर्श करनेका कारण बताकर समय नष्ट करनेवाले मुख्य मंत्री पारदर्शी कामकाज कैसे करेंगे ? वास्ववमें मुख्य मंत्रीको विधानभवनमें सभी विधायकोंके समक्ष अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करना चाहिए !  संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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