आषाढ शुक्ल ९, कलियुग वर्ष ५११५
मंदिरोंकी अपेक्षा चर्चके पास सहस्रों गुना अधिक धन होते हुए भी उनकी ओर अनदेखा कर तथा साथ ही मस्जिद एवं मदरसाद्वारा अरब देशसे प्राप्त राशिकी ओर अनदेखा करनेवाली रिजर्व बैंकका कहना ।
नई देहली- भारतीय रिजर्व बैंकने केंद्रशासनको सोनेके सदंर्भमें निर्णय लेनेके लिए कुछ अनुशंसाएं कीं, साथ ही यह भीबताया कि ‘जबतक देशमें सोनेकी मांग अल्प नहीं होती, तबतक सोनेकी आयात अल्प नहीं होगी तथा भारतीय वित्तीय हानि भी अल्प नहीं होगी ।’ अनुशंसा प्रदान करते समय भी बैंकने बताया कि ‘मंदिरोंमें अर्पण किया जानेवाला सोना ही इस समस्याका मूल है ।सोना आयात किया जाता है तथा उसका परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्थापर हो रहा है ।’
१. शासनको बैंकके सहयोगसे सोनेके विभिन्न उत्पादन करने चाहिए । इससे सोनेके प्रति जनताका लगाव अल्प होगा । इस प्रकारके उत्पाद हाटमें आए हैं; किंतु जनताको उसके विषयमें जानकारी न होनेके कारण उसका विक्रय नहीं हुआ ।
२. प्रतिवर्ष देशमें ३०० टन सोना इकट्ठा होता है । देशकी अर्थव्यवस्थाकी दृष्टिसे उसका कोई उपयोग नहीं होता । यह देशकी अर्थव्यवस्थापर एक बोझ है । यदि संस्थाओंको ऐसा सोना अच्छे दाममें खरीदनेकी अनुमति प्राप्त हुई, तो जनता इस सोनेका विक्रय करेगी तथा उसका उपयोग अर्थव्यवस्था हेतु होगा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात