आषाढ शुक्ल ९ , कलियुग वर्ष ५११५
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‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ इस अंग्रेजी दैनिकके ५ जुलाई २०१३ के नई मुंबईके परिशिष्टमें ‘केनिथ फ्रॅन्चिज ’ द्वारा यह चित्र प्रसिद्ध किया गया है । चित्रमें केदारनाथमें आया महाप्रलय दिखाया गया है । उपर कोनेमें ‘ वॉश्ड अवे’ (बह गया) ऐसा लिखा है । नदीके पानीमें नमस्कारकी मुद्रामें हाथ दिखाया है तथा उसपर ‘फेथ'(श्रद्धा) लिखा है । सारांश, महाप्रलयमें हिंदुओंकी श्रद्धा बह गई, चित्रकारका ऐसा कहना है ।
धर्माभिमानी हिंदू निम्नाकित पतेपर निषेध व्यक्त कर रहे हैं ।द टाइम्स आफ इंडिया,छत्रपति शिवाजी टर्मिनसके सामने,डा. डी.एन. रोड, फोर्ट, मुंबई, ४०० ००१ (महाराष्ट्र)दूरभाष क्रमांक – (०२२) ६६३५३६३६, ६६३५३५३५, फैक्स क्रमांक – २३३२३३४६ |
महाप्रलयमें केदारनाथ परिसरके सारे भवन बह गए; किंतु मंदिर सुरक्षित (शेष) है । इससे हिंदुओंकी श्रद्धा और भी दृढ एवं अटल हो गई है ! वास्तवमें एक ईसाई चित्रकारको हिंदुओंकी धर्मभावनाओंके विषयमें चित्ररूपमें कुछ व्यक्त करनेका क्या अधिकार ? ईसाईबहुल अमेरिकामें कई तूफान आए । तूफानोंमें ईसाईयोंकी श्रद्धा घुल गई, यदि ऐसा चित्र कोई बनाता, तो क्या ईसाई चुप बैठते ? हिंदू संगठित न होनेसे ईसाई चित्रकार हिंदुओंकी धर्मभावनाओंका अपमान करनेवाले ऐसे चित्र बनाते हैं; तथा ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ जैसे हिंदूद्वेषी समाचारपत्र उसे प्रसिद्धी देते हैं । हिंदुओ, वैध मार्गसे इसका निषेध करें !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात