आषाढ शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५
मंदिरके सरकारीकरणके दुष्परिणाम !
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मुंबई – शिर्डीके श्री साईंबाबा संस्थानको दानस्वरूप प्राप्त ११० किलो सोनेके अलंकार संस्थानने बिना प्रशासनकी अनुमतिके, अपने मनसे पिघलाए । अत: उसमें १४ किलो सोना कम होनेकी घटना सामने आई है । केवल इतना ही नहीं, अपितु इस संबंधमें प्रशासनकोदिए ब्यौरेमें सोना पिघलाने हेतु प्रशासनकी अनुमति लेनेकी झूठी बात कही गई है । शिवसेना सदस्य श्री. रामदास कदमने विधान परिषदमें, केंद्रीय अन्वेषण विभागद्वारा, इस घटनाका अन्वेषण करनेकी मांग की है । ( हिंदुओंके मंदिर निधर्मी कांग्रेस प्रशासनके नियंत्रणमें जानेसे उसमें निरंतर इस प्रकारके घोटाले हो रहे हैं । प्रशासनका इस ओर बिलकुल ध्यान नहीं है । मंदिरमें श्रद्धालुओं द्वारा अर्पण किया धन रहता है । उसका व्यय धर्म हेतु ही होना चाहिए । मंदिरोंका भ्रष्ट कारोबार रोकने हेतु मंदिर श्रद्धालुओंके नियंत्रणमें देने चाहिए । यह केवल हिंदू राष्ट्रमें ही हो सकता है । अत: हिंदू राष्ट्र हेतु प्रयत्नशील रहें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इसका उत्तर देते हुए राज्यमंत्री उदय सामंतने कहा, ये अलंकार प्रशासनके ख्रिस्ताब्द २००७ के अध्यादेशानुसार पिघलाए गए हैं, तथा उसका ब्यौरा रखा गया है । इस उत्तरपर आपत्ति उठाते हुए सदस्य मनीष जैनने कहा कि इन अलंकारोंमें हीरे, माणिक, पन्ना आदिका अंतर्भाव था । उनका मूल्यांकन क्यों नहीं किया गया ?, ऐसा प्रश्न भी किया । ( इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि शासनकर्ता तथा देवस्थान समितिके भ्रष्ट सदस्योंकी आपसी सहमतिसे ही यह भ्रष्टाचार चलता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात