आषाढ शुक्ल १० , कलियुग वर्ष ५११५
पंढरपुरके श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिरके भ्रष्टाचारकी घटना !
हिंदू विधिज्ञ परिषद द्वारा पंढरपुरके श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिरमें हुए भ्रष्टाचारका भांडा फोड दिया गया । इस संदर्भमें हमने कुछ प्रमुख वारकरियोंकी प्रतिक्रियाएं जाननेकाप्रयास किया । इनमेंसे लगभग हर व्यक्तिने इस घटनाके संदर्भमें संताप व्यक्त कर इस घटनाके दोषियोंपर कठोर कार्यवाही होना अपेक्षित है, ऐसी मांग व्यक्त की है ।
इस घटनाकी गहराईसे न्यायालयीन पूछताछ कर उसका निर्णय होना चाहिए ! – राष्ट्रीय कीर्तनकार ह.भ.प. भरतबुवा रामदासी, कार्याध्यक्ष अखिल भारतीय कीर्तन कुल
पंढरपुरके श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिरका सरकारीकरण होनेसे ही वह भ्रष्टाचारका अड्डा बना है । हिंदू समाज जिस भावनासे पवित्र तीर्थक्षेत्र जाता है, प्रशासन उस भावनापर ही आघात कर रहा है । हिंदुओंके मंदिरोंद्वारा समाज जीवनमें सदाचारका बीजारोपण होता है । मंदिर धर्माचरणके ऊर्जास्रोत हैं तथा इस प्रकारका पाप कर क्या समाजसे हिंदू धर्म नामशेष करना है ? अत: सारे धर्माचारी मंदिर रक्षाका कार्य कर प्रशासनके नियंत्रणमें गए मंदिर अपने नियंत्रणमें लें तथा श्रद्धालुओंद्वारा अर्पण किया धन धर्मरक्षा हेतु ही व्यय करें । पंढरपुर मंदिरके भ्रष्टाचारके परिवादके कारण समाजमें संतापकी लहर उमड पडी है । अत: इस घटनाकी गहराईसे न्यायालयीन पूछताछ कर उसका निर्णय होना चाहिए !
इस घटनाके लिए प्रशासन ही उत्तरदायी ! – ह.भ.प. रमाकांत बोंगाळे महाराज, संस्थापक सांगली जिला वारकरी संप्रदाय संगठन, सांगली
पंढरपुरके श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिरपर भ्रष्टाचारका परिवाद होना, बहुत गंभीर बात है । वारकरियोंके श्रद्धासे अर्पण किए धनका उचित विनियोग होना अत्यावश्यक है । इस घटनाके विषयमें समितिके सारे सदस्योंका दक्ष रहना आवश्यक था, जो बात यहां बिलकुल ही दिखाई नहीं देती । मंदिर प्रशासनके नियंत्रणमें होनेसे इस घटनाके लिए प्रशासन ही उत्तरदायी है । प्रशासनके ही नियंत्रणमें मंदिरके भ्रष्टाचारका अन्वेषण कोई प्रशासकीय अधिकारी क्या प्रामाणिकतासे कर पाएगा ? इस घटनाके जो उत्तरदायी हैं, उन्हें ढूंढकर उनपर कठोर कार्यवाही होना अपेक्षित है । मंदिरोंके सरकारीकरका क्या परिणाम हो सकता है, उसका यह उदाहरण है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात