श्रावण कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, हिंदूद्वेषी पुरातत्त्व विभागको वैध मार्गसे फटकारें !
हिंदुओ, आपके प्राचीन मंदिर ठीक करनेसे यदि जातीय तनाव उत्पन्न होता हो, तो पाठ पढाने हेतु हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अपरिहार्य है, यह जानें !
श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिर |
भाग्यनगर (आंध्रप्रदेश) – यहांके प्राचीन श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिरके न्यासियोंद्वारा मंदिरकी देखभालकी मांग भारतीय पुरातत्त्व विभागने ठुकराई । चारमीनारके निकट श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिरकी देखभाल हेतु अनुमति देनेसे भाग्यनगरमें जातीय तनाव उत्पन्न होनेकी आशंकासे भारतीय पुरातत्त्व विभागने यह मांग ठुकराई है ।
१. मंदिरकी न्यासी शशिकलाजीकी दी जानकारीके अनुसार, मंदिरपरडाली दरी जीर्ण हो चुकी है । मंदिरकी देखभालका कार्य यदि आरंभ न किया गया तो मंदिरमें पानी टपकनेकी आशंका है । इससे मंदिरकी पूजा तथा दूसरे कार्यक्रमोंमें बाधा हो सकती है ।
२. चारमीनारकी सुरक्षा हेतु उच्च न्यायालयने इस वादग्रस्त स्थानपर कोई भी नया निर्माणकार्य करनेसे बंदी लगाई है । भारतीय पुरातत्त्व विभागके अधीक्षक पुरातत्त्वज्ञ आ. कृष्णय्याने ऐसा बताया कि वे उस आदेशका पालन कर रहे हैं । ( अन्य समयपर न्यायालयके आदेशका उल्लंघन करनेवाला प्रशासन तथा शासनकर्ता हिंदुओंके श्रद्धास्थानोंके विषयमें न्यायालयके आदेशपर तत्परतासे कार्यवाही करते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. मंदिरके स्थानपर किसी भी निर्माणकार्यको अनुमति देना, अर्थात मुसलमानोंको क्रोधित करना है, पुरातत्त्व विभागके एक अधिकारीने ऐसा बताया । ( मुसलमानोंका क्रोध नहीं चाहिए; इसलिए हिंदुओंके मंदिरकी देखभाल करने हेतु भी अनुमति न देना, हिंदुओंका धार्मिक अधिकार छीनने जैसा है । हिंदूबहुल भारतमें पुरातत्त्व विभागकी आडमें हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंका अनादर करनेवाले निधर्मी (अधर्मी) शासनकर्ताओंको हटाने हेतु हिंदू राष्ट्रके अतिरिक्त पर्याय नहीं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिरके विषयसे पूर्व नवंबरमें भाग्यनगरमें हिंदू तथा मुसलमानोंमें दंगा हुआ था । तत्पश्चात `मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लीमीन’, मुसलमानोंके इस राजकीय पक्षने कांग्रेसके साथ संबंध तोड दिए थे । ( कांग्रेस प्रशासनके मुसलमानोंकी अति चापलूसीका यह परिणाम है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात