अद्ययावत
- शहजाद को फांसी के लिए हाईकोर्ट जाएगी दिल्ली पुलिस (३१ जुलाई २०१३)
- बटला हाउस एनकाउंटर केस में शहजाद को उम्रकैद की सजा (३० जुलाई २०१३)
- बटला हाउस एनकाउंटर : शहजाद हत्या का दोषी करार (२६ जुलाई २०१३)
शहजाद को फांसी के लिए हाईकोर्ट जाएगी दिल्ली पुलिस
३१ जुलाई २०१३
नई दिल्ली – बटला हाउस मुठभेड़ में शहजाद को मिली उम्रकैद और जुर्माने की सजा से दिल्ली पुलिस संतुष्ट नहीं। इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की जान लेने वाले के लिए पुलिस अधिकारी फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के विशेष आयुक्त एसएन श्रीवास्तव का कहना है कि उनके पास फैसले की प्रति नहीं पहुंची है। इसका अध्ययन करने के बाद अगला कदम उठाया जाएगा। सूत्रों की मानें तो अदालत द्वारा शहजाद को फांसी के बजाय उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद स्पेशल सेल अधिकारियों की एक बैठक भी हुई। जिसमें तय हुआ कि आदेश की प्रति मिलने के बाद कानूनी विशेषाों के साथ सलाह-मशविरा कर आगे की रणनीति तय की जाए।
स्पेशल सेल के अधिकारियों का कहना है कि बटला हाउस मुठभेड़ आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई थी। इसमें शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के हत्यारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। अधिकारियों के अनुसार इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के हाथ अगर आतंकी आतिफ उर्फ बशीर का मोबाइल नंबर 981**0438 ना लगा होता तो देश भर में मौत बांट रहे आइएम (इंडियन मुजाहिदीन) संगठन का खुलासा ही नहीं होता।
बटला हाउस मुठभेड़ के बाद ही पता चला कि दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में भी आइएम का यह मॉड्यूल बम विस्फोट कर चुका था। इसके बाद ही देश भर में आइएम सदस्यों की गिरफ्तारी का दौर शुरू हुआ। पुलिस का कहना है कि सबके सामने हुए एनकाउंटर में शहीद को पूर्ण न्याय दिलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाएगी। पुलिस बल का मनोबल बनाए रखने के लिए जरूरी है कि दोषी साबित हुए शहजाद को सख्त से सख्त सजा यानी फांसी की सजा दिलाई जाए।
दिल्ली में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी शहजाद को कुछ दिनों पहले ही कोर्ट ने शर्मा की हत्या का दोषी करार दिया है।
स्त्रोत : जागरण
बटला हाउस एनकाउंटर केस में शहजाद को उम्रकैद की सजा
३० जुलाई २०१३
दिल्ली की एक अदालत ने आज २००८ के बटला हाउस मुठभेड़ मामले के एकमात्र दोषी और इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकवादी शहजाद अहमद को उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है। अभियोजन पक्ष ने इसे अत्यधिक गंभीर अपराध मानते हुए अहमद के लिए मृत्युदंड की मांग की थी।
बटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के निरीक्षक एम.सी. शर्मा की हत्या मामले में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ निवासी शहजाद (२४) को दोषी सिद्ध करने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार शास्त्री ने यह फैसला सुनाया।
अदालत ने सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष और शहजाद के वकील की दलील सुनने के बाद फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा था।
शहजाद के लिए मृत्युदंड मांग रहे अभियोजन पक्ष ने अदालत में बताया कि आरोपी ने शर्मा की हत्या की और कर्तव्य का निर्वाह कर रहे मुख्य कांस्टेबल बलवंत सिंह और राजबीर सिंह को जख्मी कर दिया, इसलिए उसे मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।
इसने कहा कि किसी भी तरह की सजा सुनाए जाने के दौरान अदालत को निरीक्षक शर्मा के परिवार के दर्द को भी ध्यान में रखना चाहिए। बताया गया है कि शहजाद उस दौरान मुठभेड़ वाले स्थान दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर स्थित एल-8 मकान में मौजूद था।
अदालत ने २५ जुलाई को शहजाद को पुलिस अधिकारी पर हमला करने और उन्हें उनका कर्तव्य निर्वाह करने से रोकने का दोषी पाया था। शहजाद को हत्या, हत्या के प्रयास का दोषी पाया गया, जिसके लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड है।
शहजाद के वकील सतीश टमटा ने अदालत से कहा कि यह मामला सुनियोजित अपराध की श्रेणी में नहीं आता और उन्होंने अदालत से इस पर नरम रुख रखते हुए शहजाद को सुधार का एक मौका दिए जाने का अनुरोध किया।
१९ सितम्बर, २००८ को शर्मा के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा के सात पुलिसकर्मियों और १३ सितम्बर २००८ को दिल्ली में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में कथित तौर पर शामिल रहने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी।
ये विस्फोट करोल बाग, कनॉट प्लेस, ग्रेटर कैलाश और इंडिया गेट पर हुए थे, जिनमें २६ लोगों की मौत हो गई थी और १३० से अधिक घायल हुए थे। पुलिसकर्मियों के दल को यह सूचना मिली थी कि पांच श्रंखलाबद्ध विस्फोटों में शामिल एक वांछित व्यक्ति जामिया नगर के चार मंजिला बटला हाउस के एल-8 फ्लैट में छिपा हुआ है।
पुलिस के दल ने सुबह १०.३० बजे फ्लैट पर धावा बोला और परिणामस्वरूप दोनों तरफ से गोलीबारी हुई। तभी छिपे हुए आतंकवादी द्वारा चलाई गई गोली से शर्मा की मौत हो गई।
स्त्रोत : live hindustan
बटला हाउस एनकाउंटर : शहजाद हत्या का दोषी करार
२६ जुलाई २०१३
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नई दिल्ली – पांच साल पहले हुए बहुचर्चित बटला हाउस एनकाउंटर में साकेत जिला जज ने आरोपी शहजाद को हत्या का दोषी करार दिया है । कोर्ट ने शहजाद को आर्म्स ऐक्ट के तहत भी दोषी करार दिया । इसके साथ ही अदालत के इस फैसले ने एक बार फिर यह बात साफ कर दी कि बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी नहीं बल्कि असली था । कोर्ट शहजाद की सजा का ऐलान २९ जुलाई को करेगी । उसे अन्य धाराओं के अलावा ३०२ के तहत भी दोषी पाया गया है । ३०२ के तहत अधिकतम सजा फांसी और न्यूनतम उम्र कैद की होती है ।
गौरतलब है कि बटला हाउस एनकाउंटर के फर्जी होने का आरोप लगाया जाता रहा है । हालांकि सरकार इन आरोपों को दरकिनार करते हुए इस एनकाउंटर की जांच की मांग भी ठुकरा चुकी है । इस लिहाज से कोर्ट के सामने यह सवाल नहीं था कि बटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था या नहीं, लेकिन शहजाद पर हत्या के आरोप के इस मामले से यह सवाल परोक्ष रूप से जुड़ गया था । अदालत ने शहजाद को इंस्पेक्टर एमसी शर्मा की हत्या का दोषी करार देते हुए एक तरह से मान लिया कि एनकाउंटर असली था ।
क्याथामामला : १३ सितंबर २००८ में दिल्ली को दहला देने वाले पांच सीरियल बम ब्लास्ट हुए जिसमें करीब ३० लोग मारे गए और सौ से ज्यादा जख्मी हुए । मामले की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौंपी गई । पुलिस को ब्लास्ट में शामिल आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के कुछ संदिग्ध आतंकवादियों के जामिया नगर के बटला हाउस इलाके में छिपे होने की सूचना मिली ।
१९ सितंबर २००८ को दिन में साढ़े १० बजे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में सात पुलिस वालों की एक टीम बटला हाउस के फ्लैट नंबर एल-१८ में रेड के लिए पहुंची । पुलिस जैसे ही उस चार मंजिला बिल्डिंग के दूसरे तल पर पहुंची, उस पर फ्लैट के अंदर से फायरिंग शुरू हो गई । पुलिस ने भी इसका जवाब दिया । इस मुठभेड़ में मुहम्मद आतिफ अमीन और मुहम्मद साजिद के मारे जाने के बाद दो कथित आतंकवादियों मुहम्मद सैफ और जीशान को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि एक आतंकवादी भागने में कामयाब हो गया । इस एनकाउंटर में दो पुलिस वाले भी घायल हुए जिसमें इंस्पेक्टर एम. सी. शर्मा ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया ।
कौन-कौनसेविवाद : कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर विवाद को जन्म दिया, हालांकि उनकी ही पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया । समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर शक जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की। मगर तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने एनकाउंटर को वास्तविक बताते हुए मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया ।
एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई सामाजिक और गैरसरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए ।
-पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा । एक एनजीओ की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया कि वह एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच करे और २ महीने के भीतर रिपोर्ट दे । अपनी रिपोर्ट में एनएचआरसी ने पुलिस को क्लीन चिट दी जिसे स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने मामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी ।
कैसेचलाट्रायल : २८ अप्रैल २०१०- पुलिस ने इस मामले में चार कथित आतंकवादियों शहजाद अहमद उर्फ पप्पू, आरिज खान (भगौड़ा), आतिफ अमीन और मुहम्मद साजिद के खिलाफ चार्जशीट दायर की जिसमें इन लोगों पर इंस्पेक्टर एम. सी. शर्मा की हत्या का आरोप लगाया गया ।
इस मामले में आरोपी मुहम्मद सैफ ने सरेंडर किया था और बाकी दो आरोपी एनकाउंटर में मारे गए थे । लिहाजा, अकेले आरोपी के तौर शहजाद ने ही इस केस का ट्रायल फेस किया ।१५ फरवरी २०११-अदालत ने शहजाद उर्फ पप्पू के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए ।
अंतिम जिरह के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसके पास पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य और फोन कॉल्स रिकॉर्ड हैं जिससे यह साबित होता है कि शहजाद उसी फ्लैट में रहता था जिसमें पुलिस रेड के लिए गई थी और वह पुलिस दल पर फायरिंग करने वाले आतंकवादियों में भी शामिल था जिसमें इंस्पेक्टर एम. सी. शर्मा को गोली लगी । पुलिस की ओर से यह भी कहा गया कि वह पुलिस पर फायरिंग करने के बाद बालकनी से अपने साथी जुनैद के साथ भाग गया था ।
वहीं बचाव पक्ष ने बैलिस्टिक रिपोर्ट के आधार पर अदालत के समक्ष दावा किया कि पुलिस अधिकारी के शरीर से मिली गोली घटनास्थल से मिली बंदूक की थी, न कि उस हथियार की जो अरेस्ट के वक्त शहजाद के पास से मिला था । शहजाद की ओर से उस फ्लैट में मौजूद होने के आरोप का भी खंडन किया गया । दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद २१ जुलाई को एएसजे राजेंद्र कुमार शास्त्री ने अपना फैसला २५ जुलाई के लिए सुरक्षित रखा ।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स