श्रावण कृष्ण ७, कलियुग वर्ष ५११५
हिंदूद्वेषी पुणे पुलिसका पुनः एक बार शिवद्रोह फैक्ट प्रदर्शनीके बाहरसे छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमा हटाई !
छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमाको अवैध सिद्ध करनेके लिए यह देश भारत है या पाक ? लक्षावधि हिंदुओंको यातना देनेवाले धर्मांध टीपू सुलतानका फलक हटानेका साहस क्या कभी पुलिस कर सकती है ?
पुणे (महाराष्ट्र) – फ्रेंच पत्रकार फ्रान्सिस गोतिएके फाऊंडेशन एगेन्स्ट कंटिन्युअस टेररिज्म (फैक्ट)नामक संगठनने वडगांव-शिंदेमें छत्रपति शिवाजी महाराजकेसंदर्भमें छायाचित्रोंके निरंतर स्वरूपकी प्रदर्शनीका आयोजन किया है । ( कहां फ्रेंच होकर भी छत्रपति शिवाजी महाराजके संदर्भमें छायाचित्रोंकी प्रदर्शनी आयोजित करनेवाले फ्रान्सिस गोतिए, तो कहां अफजलखानकी कबरकी महानता सहनेवाले वैचारिक दृष्टिसे मुसलमान बने महाराष्ट्रके राजनेता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इस प्रदर्शनीके बाहर छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमा सिद्ध की थी; किंतु सुरक्षाका कारण बताकर हिंदूद्रोही शासनके हिंदूद्वेषी पुलिसने उसे हटानेके लिए विवश किया । ( वैचारिक दृष्टिसे मुसलमान बने राजनेताओंके आदेशके कारण पुलिस अब छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमापर भी आपत्ति उठाने लगी है । यदि ऐसी पुलिस आजाद मैदानकी हिंसाके अनुसार धर्मांध मुसलमानोंके लक्ष्य हुई, तो क्या हिंदू कभी उन्हें बचाएंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इस प्रदर्शनीका अनावरण समारोह २८ जुलाईको था । प्रदर्शनीके बाहर कोनशिलाके पास छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमाकी स्थापना की गई थी; किंतु कार्यक्रमकी पूर्वसंध्याको ही अर्थात २७ जुलाईको पुलिसने इस प्रतिमापर आपत्ति दर्शाई । ( मुसलमान अथवा ईसाईयोंके किसी श्रद्धास्थानके विषयमें क्या पुलिस कभी इस प्रकारकी आपत्ति उठा सकती है ? यदि इस प्रकारका प्रयास भी करते, तो अबतक अहिंदुओंद्वारा पुलिसकी क्या दशा होती ? हिंदू असंगठित होनेके कारण ही इस प्रकार उनके श्रद्धास्थानोंका अनादर किया जाता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) सांयकालके ६.३० बजे प्रदर्शनीके स्थानपर पुलिस आई । उन्होंने पूछा, ‘क्या यह प्रतिमा स्थापित करनेके लिए अनुमति प्राप्त की है ?’ तथा इस प्रतिमाको अवैध सिद्ध करनिकालने लिए विवश किया । साथ ही पुलिसने बताया कि इस प्रकार खुले मैदानपर (मालरानपर) यदि प्रतिमा स्थापित की गई तथा उसका अनादर किया गया, तो उसका दायित्व कौन लेगा ? ( वर्तमानमें अनेक स्थानोंपर अवैध मस्जिदका निर्माण कार्य किया जाता है । ऐसी मस्जिदोंकी रक्षाका दायित्व अस्वीकार करनेका साहस क्या कभी पुलिस दिखाती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस प्रकारकी प्रतिमा स्थापित करनेके लिए अनुमतिकी जो प्रक्रिया होती है, वह पूरी करनी पडती है । किंतु वह पूरी नहीं हुई । ( यदि छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमा प्रदर्शनीके परिसरमें है, तो वह अवैध कैसे हो सकती है ? उसके लिए अनुमतिकी आवश्यकता ही क्यों है ? पुलिसके इस युक्तिवादसे यह स्पष्ट होता है कि वे वैचारिक दृष्टिसे मुसलमान राजनेताओंके बहकावेमें आकर यह कृत्य कर रही है । आज अनेक स्थानोंपर मुसलमान टीपू सुलतानके समान हिंदुओंको यातना देनेवाले धर्मांधोंका डंका बजानेके लिए फलक प्रकाशित करते हैं; किंतु क्या कभी पुलिसने उन्हें रोका है ? केवल हिंदूके सहिष्णु होनेके कारण तथा मतोंकी चापलूसीके कारण राजनेता छत्रपति शिवाजी महाराजकी प्रतिमा स्थापित नहीं करने देते ? भविष्यमें यही राजनेता छत्रपति शिवाजी महाराजके नामका उच्चारण करनेसे भी मना करेंगे ! इस स्थितिमें परिवर्तन लाने हेतु हिंदू राष्ट्र अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
कितने हिंदू राजनेताओंमें ऐसा अभिमान है ?
छत्रपति शिवाजी महाराजका अनादर सहना असंभव है ! – फ्रान्सिस गोतिए
छत्रपति शिवाजी महाराजकी हटाई गई प्रतिमा एवं उसके पास फ्रान्सिस गोतिए |
इस संदर्भमें फ्रान्सिस गोतिएने संताप व्यक्त किया । प्रक्षुब्ध होकर उन्होंने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराजके समान वीर पुरुषके प्रति प्रत्येक व्यक्तिको गर्व होना चाहिए । इसी कारण हमने यह प्रतिमा यहां स्थापि की थी । इस देशमें अवैधरूपसे अनेक घटनाएं घटती हैं, सर्वप्रथम पुलिसको उन्हें दूर करनेका प्रयास करना चाहिए । छत्रपति शिवाजी महाराजका अनादर सहना हमारे लिए असंभव है । पुलिसके इस अनिष्ट कृत्यका हम विरोध कर रहे हैं । साथ ही यह विषय हम ऊपरतक पहुंचाएंगे । ( छत्रपति शिवाजी महाराजके अनादरके विरोधमें सक्रिय प्रयास करनेकी सिद्धता दर्शानेवाले फ्रान्सिस गोतिएका अभिनंदन ! भारतके प्रत्येक शिवप्रेमीको पुलिसके इस कुकर्मके विषयमें राजनेताओंको फटकारना चाहिए तथा गोतिएको सक्रिय सहयोग देना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात