वैशाख कृ. ९, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदु धर्म, संत ज्ञानेश्वर, विठ्ठलभक्त वारकरियोंका ‘बोकड (बकरा)’ चलचित्रमें घोर अनादर !
मुंबई (महाराष्ट्र), १३ अप्रैल (वृत्तसंस्था) -हिंदु जनजागृति समितिके मुंबई, ठाणे एवं रायगढ जनपदके समन्वयक श्री. शिवाजी वटकरने पत्रद्वारा केंद्रीय चित्रपट परिनिरीक्षण मंडलसे मांग की कि प्रविण कारले दिग्दर्शित एवं ‘हेमा फिल्म्स’ निर्मित ‘बकरा’ चलचित्रमें हिंदु धर्म तथा संत ज्ञानेश्वर माऊलीका घोर अनादर किया गया है । इसलिए करोडो हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंको कुचलनेवाले चलचित्रका प्रमाणपत्र तत्काल निरस्त करें । उन्होंने कहा कि ‘संत ज्ञानेश्वरको समूचा विश्व वंदन करता है । विठ्ठलभक्त वारकरी गलेमें माला धारण कर प्रतिवर्ष अत्यधिक भक्तिभावसे तीर्थयात्रा करते हैं । ऐसे अनेक उदाहरण हैं कि भक्तिके कारण लोग व्यसनमुक्त होकर उनका जीवन सुखी एवं संतुष्ट होता है । ऐसा होते हुए भी इस चलचित्रमें भगवानकी भक्ति करनेवाली व्यक्ति जानबूझकर व्यभिचारी दर्शाकर चलचित्रके निर्माताओंने हिंदु धर्म तथा विठ्ठलभक्त वारकरियोंका निर्दयतासे उपहास ही उडाया है । इसलिए इस पत्रद्वारा श्री वटकरने केंद्रीय चित्रपट परिनिरीक्षण मंडलसे इस विषयमें गंभीरतासे विचार कर इस चलचित्रपर कार्यवाही करने एवं हिंदु धर्मियोंके मनमें स्थित असंतोषका विस्फोट होने पूर्व ही रोकनेका आवाहन किया है ।
‘बोकड’ चलचित्रमें आक्षेपजनक प्रसंग आगे दिए अनुसार हैं ।
१. इस चलचित्रमें बकरेका ध्यान रखनेवाला पात्र मुसलमान है एवं बकरेका मटन खिलानेवाला ‘माऊली’ नामक पात्र हिंदु है तथा उसने माला धारण कर रखी है ।
२. चलचित्रमें ‘माऊली’की ताडीकी दुकान दिखाकर उस दुकानमें पंढरपुरके विठ्ठलकी प्रतिमा तथा संत ज्ञानेश्वरकी मूर्ति भी दिखाई गई है । इस पात्रके मुखमें निरंतर ‘माऊली – माऊली’ शब्दप्रयोग दिया गया है ।
३. ‘माऊली’ पात्र युवकोंको ताडी देते हुए भी चित्रित किया गया है ।
४. इस माऊली पात्रको अभंगके सुरोंमें वार्तालाप करते हुए दिखाया गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात