श्रावण कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५
महाबोधि मंदिर बौद्ध एवं हिंदू धर्म के लोगोंका एक श्रद्धास्थान है । अब वहां के मंदिर प्रबंधन समिति में गैर हिन्दू जिलाधिकारी भी अध्यक्ष होंगे । क्या इस तरह से आज तक किसी राज्य सरकार ने चर्च पर गैर ख्रिश्चन या मस्जिद, वक्फ बोर्ड पर गैर मुसलमान को अध्यक्ष बनाया है ? हिंदूओं, हमारे हिंदू मंदिरोंकी यह दु:स्थिती बदलने के लिए अब ‘हिंदू राष्ट्र’ की शीघ्रतासे स्थापना करें । – संपादक
महाबोधि मंदिर |
पटना : बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति में अब गैर हिन्दू जिलाधिकारी भी अध्यक्ष होंगे। इस संबंध में मंगलवार को बिहार विधानसभा में राज्य सरकार की ओर से पेश महाबोधि मंदिर (संशोधन) विधेयक-2013 को पारित कर दिया गया। इससे पहले विपक्ष ने विधेयक को लेकर हो-हंगामा और सरकार के जबाव का बहिष्कार किया।
प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सदन में संशोधन विधेयक को पेश किया था। इस पर भाजपा विधायक डा.अच्युतानंद ने विधेयक के सिद्धांत पर विमर्श के लिए प्रस्ताव रखा जो खारिज हो गया। अवनीश कुमार सिंह ने विधेयक पर जनमत जानने और अरूण शंकर प्रसाद ने प्रवर समिति बनाने का प्रस्ताव रखा। यह अस्वीकृत हो गया। जनक सिंह, कन्हैया कुमार और प्रेम कुमार ने विधेयक के मूल पाठ में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया। यह भी नामंजूर हुआ। कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि सरकार ने जो संशोधन विधेयक लाया है वह गलत नहीं है। भाकपा के अवधेश कुमार राय ने कहा कि सरकार को विधेयक पर अनावश्यक विवाद से बचना चाहिए।
अब समाज में तनाव फैलेगा : विरोधी दल के नेता नंद किशोर यादव ने विधेयक पर कहा कि इसमें संशोधन से पहले बौद्ध धर्म के अनुयायियों की भावना का ख्याल रखा जाए। उन्होंने जानना चाहा कि संशोधन विधेयक की जरूरत ही क्या है? क्या पहले का विधेयक गलत है? सरकार जवाब दे। गैरहिन्दू और गैरबौद्ध महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति का अध्यक्ष कैसे बन सकता है? सरकार ने बिरनी के छत्ता में हाथ डाला है। इस नये विधेयक से अजीबोगरीब स्थिति पैदा होगी। इससे मंदिर को लेकर तनाव पैदा होगा। तब इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा? सरकार को विधेयक वापस लेना चाहिए।
हड़बड़ी में उठाया गया कदम : राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी ने संशोधन विधेयक को सरकार द्वारा हड़बड़ी में उठाया गया कदम बताया। उनके मुताबिक महाबोधि मंदिर में विस्फोट के बाद सरकार की नींद खुली है। लंबे अरसे से बौद्ध धर्म के अनुयायियों की मांग है कि मंदिर का प्रबंधन उनके हाथों में सौंपा जाए। डीएम को हटाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त बौद्ध धर्मालंबी को कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इस पर भाजपा को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। सत्तापक्ष और विपक्ष से आग्रह है कि मंदिर कमेटी को विवादित नहीं बनाया जाए।
स्त्रोत : दैनिक जागरण