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सरकार के खजाने में आइएसआइ ने भर दिए जाली नोट

श्रावण कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५


लखनऊ : बैंकों के एटीएम भी कई सालों से लगातार जाली नोट उगल रहे हैं और इन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इस काले धंधे में तस्करों के साथ बैंक कर्मी भी मिले हैं। एटीएस अपर पुलिस महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि इस काले कारोबार को खत्म करने के लिए हमारी बड़ी कार्ययोजना है। यह यूपी पुलिस की सक्रियता और अभिसूचना संकलन का नतीजा है कि नेपाल में बैठकर करोड़ों रुपये जाली नोटों की सप्लाई करने वाला और पाकिस्तान से प्रशिक्षित इमरान तेली जैसा बड़ा सप्लायर पकड़ा गया है। हमारे रडार पर कई बड़े तस्कर हैं और जल्द ही नतीजे सामने आयेंगे।

दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था में सेंध लगाने में जुटी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की पहुंच भारतीय खजाने तक हो गयी है। एसटीएफ और एटीएस ने करीब डेढ़ साल में ७५ अभियुक्तों को पकड़कर ७० लाख से अधिक जाली नोट बरामद करने का दावा किया, लेकिन अकेले इमरान तेली ने ही दो वर्षो में २० करोड़ जाली नोट यहां भेजे हैं। इमरान से पहले भी यूपी के ही माजिद मनिहार (नेपालगंज में मारा गया) और परवेज टांडा (नेपाल के बुटवल में मारा गया) जैसे कई नामचीन अपराधियों ने यहां करोड़ों जाली नोट खपाये हैं। सवाल लाजिमी है कि इनकी भेजी गयी खेप आखिर कहां गयी। जवाब बिल्कुल साफ है। तस्करों ने यहां बैंकों के एटीएम से लेकर बड़े-बड़े कारोबारियों तक यह नोट पहुंचा दिए हैं।

ऐसा भी नहीं कि बैंकों तक जाली नोट पहुंचने का मुद्दा कभी नहीं उठा। विधानसभा के पिछले बजट सत्र में भाजपा के श्यामदेव राय चौधरी और कांग्रेस के मुकेश श्रीवास्तव ने इस पर सवाल उठाया। संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने बताया कि बैंकों से जाली नोटों के १८ और एटीएम से भी जाली नोट मिलने के मामले सामने आये हैं। सरकार ने तब विधान सभा में घोषणा की कि राज्य स्तर पर डीजीपी और जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जाली नोटों पर अंकुश की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। पर सच्चाई यही है कि अभी तक इन कमेटियों ने कोई भी करिश्मा नहीं दिखाया। एसबीआइ की शाखाओं में नोट शार्टिग मशीन व अल्ट्रा वाइलेट लैंप लगाये जाने के बावजूद उनके एटीएम से जाली नोट मिलने से भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

 

बैंककर्मियों से बेपरवाह है सरकार

जाली नोटों के धंधे में बैंक कर्मियों की भूमिका से सरकार बेपरवाह है। वर्ष २००९ में सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज कस्बे के एक बैंक से लाखों रुपये के जाली नोट मिले। इस मामले में कैशियर सुधाकर त्रिपाठी पकड़ा गया। उसने बैंक कर्मियों की भूमिका के बारे में कई अहम सुराग दिए, लेकिन जाली नोटों के तस्करों से बैंक कर्मियों की मिली भगत का राजफाश अब तक नहीं हो सका। बसपा सरकार के दौरान मौजूदा विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने जाली नोट का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।

 

एटीएम ने उगले जाली नोट

– छह जुलाई २०१३ को महराजगंज जिले के फरेंदा कस्बे से सिद्धार्थनगर के छितरापार निवासी मोहन को स्टेट बैंक के एटीएम से जाली नोट मिले। शाखा प्रबंधक ने उनकी शिकायत ही नहीं सुनी।

– २२ जून २०१३ को चित्रकूट के लोहदा निवासी महेन्द्र मिश्रा को सिविल लाइंस स्थित एचडीएफसी बैंक के एटीएम से जाली नोट मिले। सुनवाई नहीं।

– दिसंबर २०१२ में सीतापुर के स्टेट बैंक बिसवां में एटीएम से पैसा निकालने गये सिविल जज मनीष कुमार को जाली नोट मिले।

– १६ दिसंबर २०११ को गोरखपुर में धर्मशाला बाजार में एसबीआइ के एटीएम से एक उपभोक्ता को ५०० रुपये जाली नोट मिले।

– अगस्त २००८ में अयोध्या में एक महिला पुलिसकर्मी ने एटीएम से जाली नोट मिलने पर मुकदमा दर्ज कराया।

स्त्रोत : दैनिक जागरण

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