श्रावण कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओंके संतोंकी अश्लाघ्य आलोचना करनेवाले भारतके प्रसारमाध्यम क्या कभी इस विषयसे संबंधित समाचार दिखाएंगे ?
अनैतिक कृत्य करनेवाले पादरी तथा उनका समर्थन करनेवाले उनके धर्मगुरुओंपर श्रद्धा रखनेवाले ईसाई कौनसे धर्मका पालन करते होंगे, हम इसकी कल्पना कर सकते हैं । क्या हिंदुओंको लालच देकर धर्मांतरित करनेवाले भारतके ईसाई इस बातको स्वीकार करते हैं ?
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(पोपके हवाई जहाजसे ) – पादरियोंके विषयमें मैं मेरा मत उनकी लैंगिक प्रवत्तिसे निश्चित नहीं करूंगा । यदि कोई समलिंगी व्यक्ति ईश्वरकी खोज करनेका प्रयास कर रहा हो, तथा उसकी इच्छा उचित हो, तो उसके विषयमें निर्णय लेनेवाला मैं कौन होता हूं ?, इन शब्दोंमें ईसाईयोंके वेटिकन स्थित धर्मगुरु पोप फ्रांन्सिसने पादरियोंके लैंगिक अत्याचारका समर्थन करनेका प्रयास किया । हाल ही में विदेश यात्रासे वापिस आते समय वेटिकन हवाई जहाजमें आयोजित एक वार्ताकार परिषदमें बोल रहे थे ।
१. इनके पूर्वके पोप बेनिडिक्ट-१६ वें ने २००५ में कुछ दस्तावेजोंपर हस्ताक्षर किए थे । उसमें कहा गया था कि समलिंगी प्रवृत्तिके पुरुषोंको पादरी न बनाया जाए । किंतु पोप फ्रांन्सिस इसके विपरीत वक्तव्य दे कर ऐसे पादरियोंको क्षमा कर उनका अपराध भूलनेको कह रहे हैं ।
२. इटलीके समाचापत्रोंमें ऐसा वृत्त प्रसिद्ध हुआ था कि समलिंगी संबंध रखनेवाले पादरियोंके प्रमाण (सबूत) प्राप्त कर उन्हें भयादोहन करनेवालोंका एक दल गिरिजाघरमें कार्यरत है । पोप बेनिडिक्ट द्वारा धर्मगुरुका स्थान छोडनेके पीछे यह भी एक कारण था ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात