बांग्लादेश में हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में हिंसा पर उतरे जमात-ए-इस्लामी समर्थक

अद्ययावत


हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में हिंसा पर उतरे जमात समर्थक

५ अगस्त २०१३


ढाका – अदालत द्वारा जमात ए इस्लामी को अवैध और असंवैधानिक घोषित किए जाने विरोध में इस कंट्टरपंथी पार्टी के समर्थक हिंसा पर उतर आए हैं। शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं ने कई जगह रैलियां निकाली और प्रदर्शन किए। इस दौरान जगह-जगह तोड़फोड़ के अलावा देशी बम फोड़े गए।

गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने पार्टी के धार्मिक स्वरूप के चलते न केवल इसे अवैध घोषित किया बल्कि इसके आगामी चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी है। इस्लामी पार्टी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। पार्टी ने फैसले के विरोध में जमात ने १२ और १३ अगस्त को देशव्यापी बंद का आह्वान किया है। जमात ए इस्लामी की रैलियों के पुराने अनुभवों से डरी जनता बेहद डरी हुई है।

शनिवार को जमात और पार्टी की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर ने राजधानी ढाका में उत्पात मचाया। पुलिस ने बताया कि जमात और शिबिर के लोगों ने मोहखली फ्लाईओवर के पास धरना दिया था। बाद में इन लोगों ने लूटपाट और आगजनी शुरू कर दी। देशी बमों का भी इस्तेमाल किया गया। बोगरा में जमात कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर विस्फोटक सामग्री फेंकी। इसके बाद पुलिस को उन पर रबर की गोलियां चलानी पड़ीं। इन घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ है।

बांग्लादेशी अखबारों ने हिंसा की निंदा की है। प्रथम एलो ने लिखा है कि कानूनी लड़ाई और सड़कों पर उत्पात एक साथ नहीं हो सकता। अखबार ने पार्टी के युवा नेताओं से आग्रह किया है कि वे १९७१ में जमात नेतृत्व द्वारा किए गए दुष्कर्मो पर विचार करें और नई सोच के साथ आगे आएं। डेली स्टार ने लिखा है कि प्रतिबंध आवामी लीग सरकार की योजना नहीं थी। देश की राजनीतिक वास्तविकता को देखते हुए सरकार ऐसा कोई अभियान नहीं चला रही थी। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी [बीएनपी] भी अपनी सहयोगी जमात के साथ खड़ी हो गई है। बीएनपी ने कहा कि वह किसी भी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ है।

इस बीच, पाक जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख सैयद मुनव्वर हसन ने कहा है कि अदालत का फैसला असंवैधानिक, पक्षपातपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। अभी तक तथाकथित न्यायाधिकरण यह कर रहा था। अब हाई कोर्ट भी उसी के पदचिन्हों पर चल पड़ा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के बड़े बेटे साजिब वाजिद ने समकाल अखबार से कहा है कि हसन के बयान से एक बार फिर साफ होता है कि बांग्लादेश की जमात यहां की न होकर पाकिस्तान की ही है। समकाल ने लिखा है कि साजिब देश की राजनीति में उतरने के लिए अपनी अमेरिकी बीवी के साथ बांग्लादेश पहुंच चुके हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अदालत के फैसले को बांग्लादेश का अंदरूनी मामला कहकर चुप्पी साध ली।

स्त्रोत : दैनिक जागरण 


बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पार्टी अवैध घोषित

२ अगस्त २०१३


ढाका – बांग्लादेश में हाई कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी पार्टी को अवैध घोषित कर दिया है। कोर्ट ने भविष्य में इस पार्टी के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे किसी समय सबसे शक्तिशाली कट्टरपंथी पार्टी रही जमात-ए-इस्लामी का भविष्य अनिश्चित हो गया है।

मामले की सुनवाई कर रही हाई कोर्ट की पीठ के मुख्य जज मोजेम हुसैन ने कहा, 'जमात-ए-इस्लामी को अवैध घोषित किया जाता है और इस पार्टी का चुनाव आयोग द्वारा किया गया पंजीकरण भी गैरकानूनी घोषित किया जाता है।' कोर्ट के इस फैसले से यह पार्टी अगला संसदीय चुनाव नहीं लड़ पाएगी जो इस वर्ष के अंत या अगले वर्ष के प्रारंभ में हो सकता है। जस्टिस हुसैन, एम एनायेतुर रहीम और काजी रजा-उल हक की पीठ ने राजनीतिक दल के रूप में जमात-ए-इस्लामी के पंजीकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला सुनाया है।

बांग्लादेश तरीकत फेडरेशन के सचिव जनरल रेजाउल हक चांदपुरी और २४ अन्य लोगों ने २५ जनवरी, २००९ को यह याचिका दाखिल की थी। तरीकत ऐसा संगठन है जो सूफी सिद्धांत का उपदेशक है, पंथनिरपेक्षता को बढ़ावा देता है। इस याचिका में कहा गया था कि जमात-ए-इस्लामी एक धर्म आधारित पार्टी है और यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता और संप्रभुता में विश्वास नहीं रखती है। कोर्ट के फैसले के बाद जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन किया। पुलिस ने बताया कि पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने ढाका के उत्तर पश्चिम में स्थित पबना जिले में एक सड़क को जाम कर दिया और गाडि़यों को भी नुकसान पहुंचाया।

अवामी लीग के युवा नेता की क्रास फायरिंग में मौत ढाका। रैपिड एक्शन बटालियन और अपराधियों के बीच हुई क्रास फायरिंग में बांग्लादेश में सत्ताधारी अवामी लीग पार्टी के युवा नेता जाहिद सिद्दकी तारिक की मौत हो गई। इससे पहले पार्टी के युवा मोर्चा 'जुबो लीग' के नेता तारिक ने मंगलवार को अपनी पार्टी के ही साथी रियाजुल हक खान मिल्की की हत्या कर दी थी। मिल्की की मौत को लेकर देश में हंगामा खड़ा हो गया था।

स्त्रोत : दैनिक जागरण 

 

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