श्रावण कृष्ण ११ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, धर्मांधोंद्वारा आपके श्रद्धास्थानोंपर आघात करनेका षडयंत्र पहचानें !
नाशिक – नाशिक जनपदके श्रीक्षेत्र चांदवड इस नगरके एक पहाडीपर प्राचीन कालका हेमाडपंथी शिवमंदिर है । यहांके हिंदुओंके संगठितहोनेके कारण उसके पासवाली कब्रपर छतका निर्माण कार्य करनेका प्रयास विफल हुआ ।
१. कुछ वर्ष पूर्व धर्मांधोंने यहांकी पहाडीपर एक कब्रका निर्माण किया है ।
२. इस कब्रका विस्तार हो तथा हिंदुओंकी धार्मिक भावनाको जानबूझकर आघात पहुंचे, इस कुटिल उद्देश्यसे १० से १५ धर्मांधोंने कब्रपर छतका निर्माणकार्य आरंभ किया है । (मार्गपर कहीं भी तथा मुख्यरूपसे मंदिरोंके पास छोटी छोटी अवैध कब्र बनाना, वहां नमाज पढना आरंभ करना, पश्चात उसपर छतका निर्माणकार्य कर मस्जिदमें उसका रूपांतर करना, यह धर्मांधोंका नित्यका ही षडयंत्र हो गया है । हिंदुओ यह सत्य पहचानें कि यदि इस षडयंत्रके विरोधमें संगठित होकर वैध मार्गसे प्रतिकार न किया गया, तो कालांतरमें आपको अपने ही देशमें दर दर भटकना पडेगा ! इसलिए आरंभमें ही सतर्क रहकर अवैध कब्रका निर्माणकार्य ही न होने पाए, इसे वैध मार्गसे देखें – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. श्री चंद्रेश्वर देवस्थानके महंत पू. श्री जयदेवपुरीजी महाराजने इन धर्मांधोंका तीव्र विरोध किया; किंतु धर्मांधोंकी संख्या अधिक होनेके कारण उन्होंने महंतको मात देकर अवैध कब्रपर छतका निर्माण कार्य प्रारंभ किया । अंतमें महंतने पहाडकी तलहटीपर निवास करनेवाले चांदवड नगरके कुछ शिवभक्तोंको संपर्क कर इसकी सूचना दी । (अवैध कब्रके विरोधमें प्रतिरोध करनेवाले तथा हिंदुओंको संगठित करनेवाले श्री चंद्रेश्वर देवस्थानके धर्माभिमानी महंत पू. श्री जयदेवपुरीजी महाराजका अभिनंदन ! ऐसे सक्रिय महंत सर्वत्र होने चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
४. तदुपरांत सैकडों शिवभक्त हिंदू वाहनसे पहाडीपर गए तथा उन्होंने इस संदर्भमें धर्मांधोंको फटकारा । (यदि धर्मपर होनेवाले आघातोंके विरोधमें सर्वत्रके हिंदू इस प्रकार एकत्रित होंगे, तो हिंदू राष्ट्रकी स्थापना शीघ्र ही होगी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) ऐसा होते हुए भी धर्मांधोंकी उद्दंडता न्यून न होनेके कारण अंतमें धर्मप्रेमी हिंदुओंने उनकी पिटाई की तथा उनका साहित्य पहाडीसे नीचे फेंक दिया । (धर्मांधोंकी उद्दंडताको प्रतिबंध लगानेके लिए त्वरित प्रयास करनेवाले धर्मप्रेमी शिवभक्तोंका अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
५. भविष्यमें यह श्रीक्षेत्र चांदवड अपने नियंत्रणमें लेकर धर्मांध इस प्रकारका नाहक शोरगुल कर सकते हैं कि वहां हिंदुओंका प्राचीन तथा पवित्र शिवमंदिर था ही नहीं । साथ ही यह पूरा परिसर धर्मांधोंका ही है; इसलिए यहांके धर्माभिमानी लोगोंने हिंदुओंको सतर्क रहनेका आवाहन किया है ।
६. पहले इस पहाडीपर जानेके लिए केवल सीढियां ही थीं । सैकडों सीढियां चढकर ऊपर जाना असंभव होनेके कारण उस समय धर्मांधोंने कुछ भी नहीं किया; किंतु १ वर्ष पूर्व पहाडीतक जानेके लिए बडा मार्ग बनाया गया । अतः बडे वाहन सहजतासे पहाडीपर जा सकते हैं ; इसलिए धर्मांधोंके लिए उनका षडयंत्र रचना सहज हो गया ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात