श्रावण कृष्ण १३ , कलियुग वर्ष ५११५
ईसाई धर्मवाली सोनियाके राज्यमें इस अतिरिक्त अन्य क्या हो सकता है ? अतः हिंदुओ, आप ही धर्मांध ईसाई मिशनरियोंको प्रतिबंध करने हेतु संगठित रहें !
देवभूमिको ईसाईभूमि बनानेका षडयंत्र !
देहरादून – सामाजिक कार्यकर्त्री जयश्री देसाईद्वारा प्राप्त जानकारी दैनिक सामनामें प्रकाशित की गई है । उसने यह जानकारी दी है कि ‘उत्तराखंडमें आए महाप्रलयके पश्चात धर्मांध ईसाई निराधार तथा दुःखी बाढपीडित हिंदुओंकी परिस्थितिका अनुचित लाभ उठानेका प्रयास कर रहे हैं । सहायता कार्यके नामपर धर्मांध ईसाई हिंदुओंका धर्मपरिवर्तन करने हेतु बाइबलका वितरण कर उन्हें प्रलोभन दिखा रहे हैं । अतः यह भय व्यक्त हो रहा है कि यदि प्राकृतिक आपत्तिका धर्मपरिवर्तन हेतु उपयोग करनेवाले धर्मांध ईसाई मिशनरियोंके इस षडयंत्रको समय रहते प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो देवभूमिको ईसाईभूमि होनेमें अधिक समय नहीं लगेगा ।’
१. महाप्रलयके पश्चात उत्तराखंडका कांग्रेस शासन वहांका जनजीवन पूर्वस्थितिपर लाने हेतु कुछ भी प्रयास नहीं कर रहा है । शासन वहांकी स्थानीय जनताकी ओर अनदेखा कर रही है; इसीलिए पूरे उत्तराखंडमें सहायता कार्य करने हेतु अनेक स्वयंसेवी संगठन पहुंचे हैं । (कांग्रेसके राजनेता पिछले ६६ वर्षोंसे जनताकी ओर अनदेखा ही कर रहे हैं । जनतामें अभीतक कांग्रेसके प्रति असंतोष उत्पन्न नहीं हुआ है ; इसीलिए जनताको इस प्रकारकी दयनीय स्थिति सहनी पडती है । यह कांग्रेसको चुनकर देनेका ही फल है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इनमें ईसाई मिशनरियोंसे संबंधित अनेक संगठन भी कार्य कर रहे हैं । (कांग्रेसकी अध्यक्षाके ईसाई होनेके कारण कांग्रेस इन मिशनरियोंको धर्मपरिवर्तनका कार्य करने हेतु योग्य वातावरण उत्पन्न करेगी, इसमें कोई आश्चर्य नहीं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. शासन कुछ भी प्रयास नहीं कर रहा है, अतः यहांके प्रशासनने स्वयंसेवी संस्थाओंको सहायता तथा पुनर्वसन कार्य करनेकी अनुमति दी है । इस बातका पूरा लाभ उठाते हुए अधिकांश ईसाई संगठनोंने पुनर्वसन हेतु गांव-गांव गोद (दत्तक)लेनेके लिए भारी प्रयास आरंभ किए हैं । (यदि ईसाई संगठन इस प्रकार भारी स्वरूपमें प्रयास कर रहे हैं, तो इस समय बलशाली हिंदूनिष्ठ संगठन तथा दल क्या सोए हुए हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. यह भय व्यक्त किया जा रहा है कि धार्मिक पार्श्वभूमिवाले संगठनोंको पुनर्वसन कार्यसे रोकनेके कुछ भी प्रयास दिखाई नहीं देते । यदि ईसाई संगठनोंका यह सहायता कार्य इसी प्रकार आरंभ रहा, तो दत्तक लिए गए गांव कल ईसाई मिशनरियोंके सुदृढ किले बन जाएंगे तथा कट्टर हिंदू उत्तराखंडकी अवस्था नागालैंड, मेघालयके समान ईसाईबहुल होनेमें समय नहीं लगेगा ।
मिशनरियोंद्वारा बाइबलका वितरण तथा येशुकी प्रशंसा !
१. देशविदेशके करोडों रुपएकी निधि लेकर उत्तराखंडमें उपस्थित ईसाई मिशनरियोंके संगठन गांवगांवमें, छोटे-बडे देहातोंमें तथा १० से २० घरोंकी बस्तीतक भी पहुंच चुके हैं । इस प्रक्रियामें ईशान्यके राज्योंमें हिंदुओंको फंसाकर, भुलावा देकर तथा प्रलोभन दिखाकर अधिक मात्रामें धर्मपरिवर्तन करनेवाले संगठन अग्रिम पंक्तिमें हैं ।
२. बादल फटनेकी घटनाके केवल दो दिन पश्चात ही ईसाई संगठन सहायता साहित्य लेकर उत्तराखंडमें पहुंच गए । (क्या एक भी हिंदूनिष्ठ संगठन ऐसी तत्परता दिखाता है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) सर्वप्रथम इन संगठनोंने स्थानस्थानपर जाकर स्वच्छताके साहित्यका वितरण किया । साथ ही प्रत्येक साहित्यके साथ उन्होंने प्रत्येक व्यक्तिको बाइबलकी प्रति भेंटस्वरूप दी । तदुपरांत उन्होंने गांवगांवमें जाकर सहायता साहित्य संचका वितरण किया । उस प्रत्येक संचके साथ बाइबल दिया गया । (मुसलमान तथा ईसाई देशके बाढपीडितोंमें क्या कोई हिंदूनिष्ठ संगठन इस प्रकारका कार्य करते हुए भगवद्गीताका वितरण कर सकता है ? इस प्रकार भारतका धर्मनिरपेक्षतावाद हिंदुओंके मूलपर आ रहा है, अतः यह धर्मनिरपेक्षतावाद हटाकर भारतका हिंदू राष्ट्र करना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. ई.एफ.आइ.सी.ओ.आर. (एवानजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया, कमिशन ऑन रिलिफ) यह ईशान्यका ईसाई संगठन इस कार्यमें सीमापर है ।
४. सहायता साहित्यका वितरण करते समय इन संगठनोंके कार्यकर्ता प्रबलतासे येशु ईसाईकी प्रशंसा करनेवाले गीत गाते हैं ।
दो मासमें नन्स आकर हिंदू विधवा महिलाओंका धर्मपरिवर्तन करनेका प्रयास करेंगी !
ईसाई मिशनरियोंके संगठनके धर्मप्रसारका नियोजन करते हुए कार्य व्यवस्थित रूपसे आरंभ है । घरमें केवल विधवा महिलाएं तथा छोटे बच्चे ही शेष हैं । उदरनिर्वाहका कोई भी साधन नहीं तथा उत्तराखंडमें विधवाके पुनर्विवाहकी पद्धति भी नहीं । ये महिलाएं जीनेके लिए अनुचित मार्गपर जानेकी संभावनाको भी अस्वीकार नहीं कर सकतीं; इसलिए ईसाई संगठनोंने यह षडयंत्र रचा है कि आगामी दो मासमें अधिकसे अधिक संख्यामें ईसाई नन्स उत्तराखंडमें आएंगी । ये नन्स विधवा महिलाओंको सहानुभूति दिखाकर उनका धर्मपरिवर्तन करेंगी ।
देहरादूनमें अतिवर्षाके कारण मणिकर्णिका मंदिर बह गया !
देहरादून – उत्तराखंडमें अतिवर्षाके पश्चात भागीरथी नदीकी बाढमें २ अगस्तके प्रातः यहांका मणिकर्णिका मंदिर बह गया है । मणिकर्णिका मंदिर हिंदू श्रद्धालुओंका श्रद्धास्थान है तथा श्रावन माहमें यहां श्रद्धालुओंकी अत्यधिक भीड होती है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात