श्रावण कृष्ण १४ , कलियुग वर्ष ५११५
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अगरतला – जातीय संघर्ष के बाद त्रिपुरा से लगी भारतीय सीमा पर पहुंचे १५०० से अधिक बांग्लादेशी आदिवासियों ने भारत से शरण मांगी है। इन लोगों ने शनिवार शाम भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया जिन्हें सीमा पर ही रोक दिया गया।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के उपमहानिरीक्षक भास्कर रावत ने बताया, १५०० बांग्लादेशी आदिवासी जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट कारबुक गांव में शरण लिए हैं। बीएसएफ इन लोगों को भोजन और अन्य सामग्री मुहैया करा रही है। आदिवासी बांग्लादेश के खागराचारी जिले के रहने वाले हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक स्थानीय नेता को अगवा किए जाने की खबरों के बाद क्षेत्र में संघर्ष हो गया और आदिवासी घर छोड़ने पर विवश हो गए। पलायन करने वालों में अधिकतर बौद्ध और हिंदू हैं।
त्रिपुरा गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस बारे में राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित किया है। १९८६ में गैर आदिवासियों द्वारा आदिवासियों पर हमलों के बाद ७४ हजार बौद्ध चकमा आदिवासियों ने दक्षिण त्रिपुरा में शरण ली थी। १९९७-९८ में बांग्लादेश सरकार और अलगाववादी संगठन शांति वाहिनी के बीच समझौते के बाद शरणार्थी स्वदेश लौट गए थे।
स्त्रोत : दैनिक जागरण