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गांधी विचारोंके सर्वोदय मंडलकी पदयात्रामें युवकोंद्वारा राष्ट्रध्वजका अनादर !

श्रावण शुक्ल १, कलियुग वर्ष ५११५

राष्ट्रध्वजकी विडंबना करनेवाले व्यक्तियोंको गांधीविचारवादी कहनेका क्या अधिकार है ?

मुंबई : दूसरे महायुद्धमें अमेरिकाने जपानपर अणुबमका प्रयोग कर वृहत संख्यामें नरसंहार किया । मुंबई सर्वोदय मंडल संस्था पिछले २५ वर्षोसे प्रतिवर्ष ६ अगस्तको महाविद्यालयीन विद्यार्थियोंका मोर्चा निकालकर इस घटनाका निषेध व्यक्त करती है । इस निमित्त ‘युद्ध नहीं, अपितु शांति चाहिए’, इस विषयपर विशेष बल दिया जाता है । मंगलवारको मुंबईमें ४२ कनिष्ठ महाविद्यालयोंके लगभग ५०० से ६०० विद्यार्थियोंने आजाद मैदानमें इस संस्थाके नेतृत्वमें अमेरिकाके विरुद्ध प्रदर्शन किए । सभी विद्यार्थी राष्ट्रीय सेवा दल (एन.एस.एस.) के थे । इस मोर्चेमें ‘अणुशक्तिका प्रसार न करें, अण्वस्त्रोंका नाश करें, अणुयुद्धका विरोध करें’, इस प्रकारकी घोषणाएं की जा रही थीं ।

 

गांधीजीकी अहिंसाका विचार प्रस्तुत करनेवाली संस्थाके मोर्चेमें भारतके राष्ट्रध्वजका अनादर किया गया । इस मोर्चेमें सम्मिलित छात्रोंने अपने मुखमंडलपर भारतके मानचित्रको रंगवाया था, जबकि छात्राओंने अपने मुखपर राष्ट्रध्वजका रंग रंगवाया था । ऐसी स्थितिमें ये छात्र-छात्राएं ठठोली करना, अपशब्द कहना तथा मुखमंडलपर अकराल-विकराल भाव लाना आदि अनाचार कर रहे थे । ( मोर्चेका उद्देश्य स्पष्ट न होकर केवल भीड करने हेतु विद्यार्थियोंको एकत्रित कर इस प्रकारसे निरर्थक मोर्चे निकालनेवाले लोग इसके अतिरिक्त और क्या कर सकते हैं ? मुखमंडलपर राष्ट्रध्वजका रंग लगाकर उसकी विडंबना करनेवाले युवक एवं युवती तथा वैसा करनेसे उन्हें न रोकनेवाले आयोजकको देशप्रेमी कैसे कह सकते हैं ?  – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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