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आजाद मैदानमें हुई हिंसाके संदर्भमें १ वर्षके उपरांत शासन निष्क्रिय क्यों? -हिंदू जनजागृति समिति

श्रावण शुक्ल ४ , कलियुग वर्ष ५११५

पुलिस तथा पत्रकारोंको न्याय कब मिलेगा ?

मुंबई : पिछले वर्ष ११ अगस्तको रजा अकादमी तथा अन्य संगठनोंद्वारा आजाद मैदानपर किए आंदोलनके पश्चात हुई हिंसाको अब १ वर्ष व्यतीत हो गया है । किंतु इस घटनाके लिए उत्तरदायी संगठनोंपर अभीतक पाबंदी क्यों नहीं डाली गई ? इस हिंसामें महिला पुलिसकर्मियों के साथ असभ्यताका व्यवहार किया गया । पुलिस तथा पत्रकारोंपर जानलेवा आक्रमण किया गया । पुलिसकर्मियोंके शस्त्रास्त्र बलपूर्वक नियंत्रणमें लिए गए । अमर जवान स्तंभकी तोडफोड की गई ।

हिंदू जनजागृति समितिने प्रसिद्धिपत्रकद्वारा यह प्रश्न उपस्थित किया है कि अधिक मात्रामें शासकीय संपत्तिकी हानि की गई । इतने अपराधोंके पश्चात भी इस विषयमें शासनने निश्चित रूपसे कुछ कार्य क्यों नहीं किया ?

धर्मांधोंद्वारा प्रत्यक्ष आंखोके सामने की गई हिंसाके विरोधमें १ वर्षके पश्चात भी कार्रवाई न करनेवाला मुसलमानप्रेमी कांग्रेस शासन निरपराध हिंदुओंको आतंकवादी सिद्ध करनेके लिए उनपर झूठे अपराध प्रविष्ट कर त्वरित कारागृहमें बंदी बनाता है तथा उनपर अत्याचार करता है । हिंदुओ, ऐसे राजनेताओंको हटाकर हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात

पुलिसकर्मियोंकी हत्याके पश्चात भी दंगाईयोंपर हत्याका अपराध प्रविष्ट क्यों नहीं किया गया ?

हम किसी भी दंगाईको नहीं छोडेंगे, इस प्रकारका झूठा वक्तव्य देनेवाले गृहमंत्री पुलिसद्वारा जान धोखेमें डालकर बंदी बनाए गए आरोपियोंको कारागृहमें भी बंदी बनाकर रख न सके । इस हिंसामें दंगाईयोंद्वारा की गई मारपीटमें एक पुलिस सिपाहीकी मृत्यु होनेके पश्चात भी दंगाईयोंपर हत्याका अपराध प्रविष्ट नहीं किया गया । अतः शासनको यह स्पष्ट करना ही होगा कि यह बात गृहमंत्रालयके ध्यानमें आई ही नहीं या इन सभी घटनाओंकी ओर अनदेखा किया जा रहा है ?

हानिकी पूर्ति अभीतक क्यों नहीं हुई ?

हिंदू जनजागृति समितिने इस पत्रकमें यह प्रस्तुत किया है कि इस हिंसामें दंगाईयोंसे १.७५ करोड रुपएकी हानिकी पूर्ति करवानी चाहिए, इस मांगके लिए देशभक्त पत्रकार मंचको न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करनी पडी; किंतु आज एक वर्ष पूर्ण होनेके पश्चात भी शासन इस हानिकी पूर्ति करवानेमें असमर्थ है । यह सब देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि शासन इस गंभीर विषयमें  चापलूसी करने के लिए अल्पसंख्यकों की रक्षा कर रहा है । यदि दंगाईयों के विषय में शासन की यह नाकर्तापन की भूमिका रही, तो कश्मीर, उत्तरप्रदेश, बिहार राज्योंके समान महाराष्ट्र में भी हिंसा होती ही रहेगी, इसमें कुछ संदेह ही नहीं ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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